Delhi Elections: स्विंग वोटर्स का मिजाज—क्या बदलेगा चुनावी पासा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसवक्त एक सवाल सबके दिमाग में तैरने लगा है—क्या इस बार दिल्ली की सियासत में कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा? हर चुनाव में किसी न किसी के हाथ से सत्ता फिसल जाती है...और ये काम करते है कुछ खास तरह से वोर्टस .... दिल्ली में भी ऐसे वोटर्स है , जो सत्ता की दिशा बदल देते हैं ....ऐन मौके पर आकर पूरा खेल  बदल देते हैं . अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो वोर्टर्स कौन है ... तो चलिए बताते है ..दरसल दिल्ली की सत्ता में सरप्राइज देने वाले वोटर्स स्विंग वोटर्स हैं ....ये वही लोग हैं, जिनका दिल कभी एक पार्टी के लिए धड़कता है, तो कभी दूसरी पार्टी के लिए। और यही स्विंग वोटर्स हैं, जो सत्ता के पासे को पलटने का दम रखते हैं....वहीं अब सवाल ये भी है कि दिल्ली में स्विंग वोटर्स कौन हैं? ये स्विंग वोटर्स आखिर सत्ता का खेल क्यों बदलते हैं? चलिए एक एक बात आपको समझाते हैं - 

स्विंग वोटर्स: दिल्ली के सियासी खेल के चाणक्य

दिल्ली का स्विंग वोटर वही है, जो लोकेशन बदलने वाली हवाओं की तरह कभी इधर तो कभी उधर अपना रुख बदलता है सोचिए, जैसे आपको किसी फिल्म में जबरदस्त म्यूजिक पसंद आता है, लेकिन अगले दिन वह गाना बोरिंग लगने लगता है। कुछ ऐसा ही हाल होता है स्विंग वोटर्स का—आज किसी को वोट दिया, तो कल किसी और को। इन वोटर्स की यही ताकत होती है कि वे अपनी राय किसी भी पल बदल सकते हैं, और पूरी सियासत को उलट-पुलट कर सकते हैं।2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली, लेकिन 2015 में दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी ने बाज़ी पलट दी! 

दिल्ली में जिन सवर्ण, ओबीसी, दलित और मुस्लिम समुदायों के वोट स्विंग करते हैं, उनका खेल ही चुनावी तस्वीर बदल देता है। सवर्णों से लेकर मुसलमानों तक, इनकी वोटिंग दिशा सिर्फ संख्या में नहीं, बल्कि पार्टी की किस्मत बदलने में भी गहरी भूमिका निभाती है। चलिए बताते हैं कि रिचर्स के मुताबिक सवर्णों से लेकर मुसलमानों तक किस जाती में कितने स्विंग वोर्टस दिल्ली में खेला करने वाले हैं 

  • दिल्ली में करीब 22% सवर्ण वोटर हैं, जिनमें से 30% के पास स्विंग करने की खास ताकत है
  • 2019 में बीजेपी को जबरदस्त वोट मिले थे, लेकिन 2020 में उनका समर्थन ध्यान से बदल गया
  • वहीं ,ओबीसी वोटरों का झुकाव भी चुनाव में बड़े फेरबदल का कारण बनता है
  • 2019 में बीजेपी को 64% ओबीसी वोट मिले,एक साल बाद ये घटकर 50% रह गए और AAP को 49% समर्थन मिला!
  • इसके अलावा 2019 में बीजेपी को 44% दलित वोट मिले, जो घटकर 25% रह गए
  • इसके बदले AAP ने 69% दलित वोटों पर कब्जा कर लिया
  • वहीं , मुस्लिम वोटर्स की भूमिका भी दिलचस्प है! 
  • 2019 में बीजेपी को महज़ 7% मुस्लिम वोट मिले , 2020 में ये गिरकर 3% रह गए, वहीं AAP को मुस्लिमों से 83% वोट मिल गए

यानी कि इस गणित को समझे तो , दिल्ली में 2025 का चुनाव बड़ा ही रोमांचक होने वाला है। अगर हम देखें तो आम आदमी पार्टी का बेस वोट शेयर करीब 25% है, जबकि बीजेपी का लगभग 35%। तो, अगर ये स्विंग वोटर्स अपनी दिशा बदलते रहे, तो दिल्ली का चुनावी नतीजा हैरान करने वाला हो सकता है।अगर 2015 और 2020 जैसा वोटिंग पैटर्न दोहराया गया, तो बीजेपी को गहरी चिंता हो सकती है, क्योंकि दिल्ली के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बहुत फर्क होता है। AAP अगर इन स्विंग वोटर्स को खुश रखने में कामयाब हो जाती है, तो सत्ता का पासा पलट सकता है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो अब समझ जाइए कि दिल्ली का सियासी खेल कौन चला रहा है। दिल्ली के वोटरों का मिजाज बदलना किसी बड़े तूफान से कम नहीं! और यही वजह है कि स्विंग वोटर्स सत्ता की दिशा तय करने में सबसे बड़े खिलाड़ी हैं।2025 में दिल्ली विधानसभा के नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि स्विंग वोटर्स किसे अपना समर्थन देते हैं। बीजेपी या AAP—सियासी वादियों में लहर कौन सी उठेगी? यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि दिल्ली के लोग इस बार किसका साथ देते हैं!

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