दिल्ली का पानी पीने वालों के लिए चिंताजनक खबर-

 

 

 

 

BY-PRAKHAR SHUKLA 


पाए जा रहे गुर्दे,किडनी और कैंसर जैसे भयानक रोग-

केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की 2025 के अंत में जारी नई रिपोर्ट दिल्ली के लिए गंभीर चेतावनी लेकर आई है। सर्वेक्षण में पाया गया कि राजधानी के 13–15% भूजल नमूनों में यूरेनियम की मात्रा 30 पीपीबी की सुरक्षित सीमा से अधिक थी। इससे दिल्ली देश के उन क्षेत्रों में शामिल हो गई है जहाँ भूजल में यूरेनियम संदूषण सबसे अधिक पाया जा रहा है। यूरेनियम लंबे समय तक गुर्दों को प्रभावित करने, हड्डियों को कमजोर करने और कैंसर के जोखिम को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। 

अधिक नाइट्रेट शिशुओं में ब्लू बेबी सिंड्रोम का है कारक-
 
लेकिन समस्या केवल यूरेनियम तक सीमित नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के कई हिस्सों के भूजल में नाइट्रेट, फ्लोराइड, सीसा, लवणता, कठोरता और घुले हुए ठोस पदार्थ भी सुरक्षित सीमा से ऊपर पाए गए। नाइट्रेट संदूषण का मुख्य कारण कृषि उर्वरक, अपशिष्ट निपटान और सीवेज का रिसाव है। अधिक नाइट्रेट का सेवन विशेष रूप से शिशुओं में ब्लू-बेबी सिंड्रोम का कारण बन सकता है और वयस्कों में रक्त प्रवाह को प्रभावित कर सकता है।

सीसा एक शक्तिशाली न्यूरोटॅाक्सिन ,डाल रहा बच्चों पर संज्ञानात्मक असर-

भूजल में फ्लोराइड की अधिकता अक्सर प्राकृतिक चट्टान-जल अंत:क्रिया से होती है। अधिक फ्लोराइड वर्षों तक सेवन करने पर दंत और कंकालीय फ्लोरोसिस का कारण बन सकता है, जिससे हड्डियाँ और दाँत दोनों प्रभावित होते हैं। वहीं, रिपोर्ट बताती है कि सीसा-दूषित भूजल का सबसे बड़ा हिस्सा दिल्ली में मिला, जहाँ लगभग 9% नमूनों में सीसा सुरक्षित सीमा से ऊपर था। सीसा एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन है और बच्चों के संज्ञानात्मक विकास पर गंभीर असर डाल सकता है।


पानी के लंबे समय के सेवन से आएंगे शरीर पर दुष्प्रभाव-

दिल्ली के कई नमूनों में उच्च खारापन, कठोरता और कुल घुले हुए ठोस (TDS) भी पाए गए। यह पानी भले ही स्वाद से जहरीला न लगे, पर लंबे समय तक सेवन से गुर्दों पर दबाव, रक्तचाप में वृद्धि और निर्जलीकरण जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। शिशुओं और बुजुर्गों के लिए यह विशेष रूप से जोखिमपूर्ण है।

खराब हवा-पानी पर आश्रित दिल्ली की बड़ी आबादी-

-विशेष चिंता का विषय यह है कि कई कुओं में केवल एक नहीं, बल्कि कई प्रदूषक एक साथ मौजूद हैं। यूरेनियम, सीसा, नाइट्रेट और उच्च खनिज स्तर का मिश्रण लंबे समय तक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। संदूषण के पीछे कारणों में प्राकृतिक भूविज्ञान, गहरे जलभृतों का अत्यधिक दोहन, सीवेज रिसाव, उर्वरक अपवाह और शहरी प्रदूषण शामिल हैं। दिल्ली की बड़ी आबादी बोरवेल और ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर है, जिससे इस संकट का सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर और गंभीर हो सकता है।

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