एक साथ डेंगू और टाइफाइड: क्या करें जब बुखार दो तरफ़ से वार करे?

डेंगू और टाइफाइड एक साथ होना यानि co-infection होना वाकई में खतरनाक हो सकता है, क्योंकि दोनों ही बीमारियाँ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को कमजोर करती हैं, और इनकी लक्षण भी कुछ हद तक मिलते-जुलते हैं, जिससे सही डायग्नोसिस और इलाज में देर हो सकती है।
डेंगू और टाइफाइड एक साथ क्यों खतरनाक हैं?
डबल बुखार और कमजोरी:
दोनों ही बुखार, कमजोरी, शरीर दर्द, भूख कम लगना जैसे लक्षण देते हैं। जब दोनों साथ हों, तो ये लक्षण ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं।
ब्लड प्लेटलेट्स गिरना (डेंगू) vs आंतों पर असर (टाइफाइड):
डेंगू में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिर सकते हैं, जिससे ब्लीडिंग रिस्क बढ़ जाता है।
टाइफाइड में आंतों में सूजन या अल्सर हो सकता है, जिससे आंतों में परफोरेशन (छेद) होने का खतरा होता है।
सही समय पर पहचान मुश्किल:
डॉक्टरों के लिए यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि कौन-सी बीमारी प्रमुख है और कौन-सी ज़्यादा ध्यान माँग रही है। इससे इलाज में देरी हो सकती है।
डिहाइड्रेशन और मल्टी-ऑर्गन एफेक्ट:
दोनों बीमारियाँ शरीर को तेजी से डिहाइड्रेट कर सकती हैं और लिवर, किडनी, आंत, इत्यादि पर असर डाल सकती हैं।
कितना खतरनाक?
अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है।
लेकिन अगर जल्दी पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो ज़्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं।
इलाज और सावधानियाँ
जल्दी टेस्ट कराना ज़रूरी है, जैसे:
CBC (प्लेटलेट्स के लिए)
Dengue NS1 / IgM
Widal टेस्ट / TyphiDot (टाइफाइड के लिए)
हॉस्पिटल में भर्ती होने की ज़रूरत हो सकती है अगर:
प्लेटलेट्स बहुत गिरें
तेज बुखार बना रहे
शरीर में ब्लीडिंग या बहुत कमजोरी हो
लिवर/किडनी पर असर दिखे
घरेलू इलाज से बचें, दोनों बीमारियाँ ऐसी नहीं हैं कि सिर्फ घर पर काढ़ा पीकर ठीक हो जाएं।
डेंगू और टाइफाइड एक साथ होना गंभीर स्थिति है, लेकिन सही समय पर पहचान और इलाज से बचाव संभव है। अगर किसी को तेज बुखार, थकावट, उल्टी, या प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण हों, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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