एक ऐसा मंदिर जहां होती है कुत्तों की पूजा

हिंदू धर्म में हजारों देवी देवताओं की पूजा की जाती है , लाखों मंदिर हैं .लोग अपनी अपनी आस्था के मुताबिक अपने अपने अराध्य की पूजा करते हैं . किसी को शिव में विश्वास है , तो किसी को ब्रह्मा में , किसी को श्याम में विश्वास है तो किसी को राम में ..कोई देवी पूजा करता है , तो कोई पत्थरों को भी पूजता है. जिसका जैसा विश्वास वैसी आस्था .आपने हिंदू धर्म में , गायों की पूजा होते तो देखा होगा लेकिन क्या कभी आपने किसी कु्त्ते या कह लें कि श्वान की मंदिर में पूजा होते हुए देखा है ... या फिर कहीं श्वान का मंदिर देखा है ..अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं एक अनोखे स्वानों के मंदिर के बारे में -
शिवजी के गणों में एक काले श्वान यानी कुत्ते का भी जिक्र आता है, जिसकी शिवचरणों में उसकी प्रवृति ने तुच्छ जीव को भी निर्वाण का अधिकारी बना दिया और शिवगणों में उसने भी अहम स्थान हासिल किया. भैरव वाहन के रुप में काले श्वान भैरव वाहन के रुप में काले श्वान की पूजा होती है, की पूजा होती है, जी हां कर्नाटक राज्य में रामनगर जिले के चन्नापटना में एक मंदिर में कुत्तों की पूचा अर्चना की जाती है, जो कि इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाती है.
कर्नाटक के रामनगर जिले के चिन्नपटना गांव में एक कुत्ते का मंदिर बना है. यहां के लोगों का मानना है कि कुत्तो की पूजा करने से घर में विपदा नहीं आती है. इनमें प्राकृतिक शक्तियां होती हैं, जिससे वह अपने मालिक को बचाने के लिए इस्तेमाल करता है. वह किसी भी आपदा को पहले ही भांप लेता है.
दरसल इस मंदिर के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि कर्नाटक में जिस जगह पर यह मंदिर बना हुआ, वहां पर स्थानीय स्तर पर केमपम्मा देवी की पूजा होती है. ऐसे में यहां मंदिर बनाने के लिए एक व्यापारी ने रुपये दान किए, जिसके बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, तो दो कुत्ते यहां पर आकर रहने लगे, जिन्हें गांव वालों ने पाला. वहीं, जब मंदिर का निर्माण पूरा हो गया, तो वे कुत्ते वहां से चले गए और किसी को नहीं मिले..गांव के किसी व्यक्ति के सपने में आकर देवी ने कुत्तों को वहां लाने के लिए कहा, लेकिन काफी ढूंढने के बाद भी वे कुत्ते नहीं मिले. ऐसे में ग्रामिणों ने मंदिर में कुत्तों की मूर्ति बनाने का निर्णय लिया.
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