खरमास क्या है , क्या है इसका धार्मिक महत्व ?

हमारे हिंदू धर्म में समय-समय पर कुछ खास महीनों और दिनों को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसा ही एक महीना है खरमास, जिसे शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। यह महीना इस साल 16 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक रहेगा और मकर संक्रांति (14 जनवरी) के दिन समाप्त होगा। आइए जानें इस महीनें की धार्मिक मान्यता और इससे जुड़ी दिलचस्प बातें।

Kharmas start from today this month there will not be Manglik work | खरमास  का आज से आरंभ, इस महीने नही होंगे मांगलिक कार्य

खरमास शब्द दो भागों में बंटा हुआ है - 'खर' और 'मास'। 'खर' संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'गधा' और 'मास' का मतलब होता है 'महीना'। इसके पीछे एक प्रचलित मान्यता है जो कहती है कि एक समय की बात है जब सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। उन्हें कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी। लेकिन कुछ समय बाद घोड़ों को प्यास और थकान महसूस हुई। यह देख सूर्य देव ने रथ को एक नदी के किनारे खड़ा किया, ताकि घोड़े आराम कर सकें और पानी पी सकें।

लेकिन जैसे ही सूर्य देव ने रथ रोका, उन्होंने समझा कि पृथ्वी पर सभी गतिविधियां रुक जाएंगी, और इससे सारा संसार प्रभावित होगा। फिर उन्होंने रथ से घोड़ों को हटा लिया और दो गधों को जोड़ लिया। इन गधों की मदद से रथ की गति धीमी हुई, लेकिन यह चक्कर पूरा हुआ। तभी से सूर्य देव का यह एक माह का विशेष चक्कर 'खरमास' के रूप में जाना जाने लगा। यह हर सौर वर्ष में एक बार आता है।

हिंदू धर्म में खरमास के दौरान कुछ विशेष कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि इस समय में शुभ कार्यों का आरंभ नहीं करना चाहिए। इसलिए, इन कार्यों से बचें:

खरमास के दौरान क्यों रुक जाती हैं शादियां और मांगलिक कार्यक्रम

रिश्ते की बातचीत या शादी – खरमास के दौरान शादी या रिश्ते से संबंधित बातचीत करने से बचना चाहिए।
गृह प्रवेश और भूमि पूजन – घर में नई चीजों का प्रवेश या किसी भूमि की पूजा करना मना है।
मुंडन और तिलकोत्सव – इस महीने में मुंडन संस्कार और तिलकोत्सव (तिलक का आयोजन) नहीं किया जाता।
जनेऊ (यगोपवित संस्कार) – इस समय जनेऊ संस्कार को भी टाला जाता है।
नई चीजों का आरंभ – नए काम की शुरुआत या नई चीजों का ख्रीदने से बचना चाहिए।
खरमास के दौरान क्या करें?

खरमास के महीने में जहां कुछ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है, वहीं कई कार्यों को इस समय करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

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भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा – इस महीने में सूर्य और विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। पूजा से न केवल शांति मिलती है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
दान और जप – खरमास के दौरान दान और जप करने की परंपरा रही है। माना जाता है कि इस समय दान देने से व्यक्ति के जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ब्राह्मण, गाय और संतों की सेवा – इस माह में ब्राह्मणों, गायों और संतों की सेवा करने का विशेष महत्व है।
तीर्थ यात्रा – खरमास के दौरान तीर्थ यात्रा पर जाना भी लाभकारी माना जाता है। यह समय आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए उत्तम है।

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