मकर संक्रांति का खिचड़ी से क्या है नाता , धार्मिक महत्व यहां जानें

मकर संक्रांति वह खास दिन है, जब सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं, और साथ ही सूर्य उत्तरायण भी हो जाते हैं, जिसे बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन से मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, और जनेऊ की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है, और यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसी दिन खिचड़ी का भोग भी विशेष रूप से लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खिचड़ी का नवग्रह से भी गहरा संबंध है? तो चलिए, देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग क्यों महत्वपूर्ण है और यह नवग्रहों से कैसे जुड़ा हुआ है।ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, और यह दिन खास है क्योंकि तीन साल बाद मकर संक्रांति का उत्सव इस तिथि पर हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस दिन गंगा स्नान और दान का महत्व अत्यधिक होता है, और साथ ही भगवान सूर्य देव की पूजा से सभी प्रकार के रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं। इस दिन खिचड़ी का भोग भी ग्रहण करना चाहिए, खासकर अगर जीवन में शनि, राहु, केतु या अन्य ग्रहों के दोष हो, तो खिचड़ी से उन्हें शांत किया जा सकता है।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग लगाना और उसे ग्रहण करना न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह नवग्रह से भी जुड़ा हुआ है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, खिचड़ी में जो सामग्रियां डाली जाती हैं, वे विभिन्न ग्रहों के प्रतीक होती हैं:

  • चावल (शुक्र और चंद्रमा): खिचड़ी में चावल डालना शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव को संतुलित करता है।
  • काली दाल (शनि, राहु और केतु): काली दाल शनि, राहु और केतु के दोषों को शांत करती है।
  • हल्दी और चना दाल (गुरु): हल्दी और चना दाल गुरु ग्रह का प्रतीक होती हैं, जो ज्ञान और बुद्धिमत्ता को बढ़ाती हैं।
  • हरी सब्जी (बुद्ध): हरी सब्जी बुद्ध ग्रह का प्रतीक मानी जाती है, जो मानसिक शांति और सही निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाती है।
  • मसूर दाल (मंगल): मसूर दाल मंगल ग्रह के प्रभाव को सकारात्मक बनाती है, जिससे साहस और ऊर्जा में वृद्धि होती है।

जब ये सभी सामग्रियां एक साथ खिचड़ी में मिलती हैं, तो यह न केवल एक स्वादिष्ट भोजन बनती है, बल्कि यह सभी ग्रहों के दोषों को भी शांत कर देती है। अत: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से जीवन में ग्रहों का संतुलन बना रहता है और विभिन्न ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।

 

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