एक रामायण ऐसी भी... जिसकी शुरुआत बिस्मिल्लाह से होती है

ये देश बेमिसाल है , इसका हर एक रंग कमाल है ....यहां हर एक मोड़ पर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है . राम मंदिर अयोध्या में बनकर तैयार है ...ऐसे में अब राम और रामायण से जुड़े कई रोचक तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं , जो वाकई आपको हैरान कर देंगे .. वैसे तो हिंदू ग्रंथों की शुरुआत ऊं या श्री गणेशाय नम: से होती है, लेकिन रामपुर की रजा लाइब्रेरी में फारसी में लिखी गई वाल्मीकि रामायण की शुरुआत बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम से हुई है..जी हां ये कोई मजाक नहीं बल्कि वो सच है ... जो आपको हैरान कर देगा .. 1713 में संस्कृत में लिखी गई वाल्मीकि रामायण का फारसी में अनुवाद भी हुआ था... और ये अनुवाद किया था सुमेरचंद ने.. वैसे भी रामपुर की रजा लाइब्रेरी ज्ञान का खजाना है... यहां पर दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह भी उपलब्ध है... इस लाइब्रेरी में हजरत अली के हाथ लिखी कुरान उपलब्ध है तो फारसी में लिखी गई रामायण भी उपलब्ध है .. खास बात ये कि पर्शियन में लिखी गई रामायण बहुत खास है . इस रामायण में स्याही की जगह सोने की पानी का प्रयोग किया गया है.. इसे कीमती पत्थरों से सजाया गया है। इस रामायण में मुगल शैली में बने 258 चित्रों का इस्तेमाल किया गया है.....तस्वीरों में राम, सीता और रावण अलग मुगल अंदाज में दिखते हैं.... अब आप बस ये समझ लीजिए कि ये रामयण इतनी खास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में जब ईरान के दौरे पर गए थे तो उन्होंने इसी रामायण की प्रति ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी को भेंट की थी..
देखा जाए तो जिस समय में अयोध्या के राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है ..उस समय में ऐसी रामायण के बारे में हर कोई जानना चाहता है ...क्योंकि बहुत कम लोगों को इस रामायण के बारे में पता है .. देखा जाए तो हिंदु- मुस्लिम को लेकर भले देश में कितने भी विवाद क्यों ना हो .. हमारी संस्कृति ने दोनों को समेट कर रखा है ..हमारे इतिहास में दोनों की एकता की कई मिसाले हैं . ये पार्रिशयन रामायण भी इसी की एक मिसाल है .. सोचिए क्या है साधारण है कि सनातनियों के किसी महा ग्रंथ की शुरूआत बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम से हुई हो ... वाकई ये इस देश की अनोखी पहचान है, जहां हर धर्म का एक ही सम्मान है
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