लक्ष्मण ना होते तो राम पूरे ना होते .....

आज पूरे देश में राम नाम की धूम है . आज पूरे देश में जश्न का माहौल है .. सब रामलला की बातें कर रहे हैं , मगर लक्ष्मण जी का नाम नहीं लिया जा रहा . माना की अयोध्या में श्री राम के बाल स्वरूप को स्थापित किया गया है , मगर बचपन में भी लक्ष्मण जी के साथ के बिना राम अकेले ही लगते हैं . पूरे देश ने कल राम मंदिर का जश्न मनाया , ऐसा लगा कि जैसे मानों राम राज्य वापस स्थापित हो गया हो , ये समय जैसे त्रेता युग में पहुंच गया हो... प्राण प्रतिष्ठा के बाद भक्तों की आंखो से टपकतें आंसू जैसे श्री राम के पैर पखार रहे हों .. आज राम जी की बात हो रही है , तो फिर लक्ष्मण जी को भी याद जरूर करना चाहिए .. लक्ष्मण जी प्रेम और त्याग की मिसाल हैं ..इतना ही नहीं उनकी पत्नि उर्मिला भी रामयण की वो मजबूत कड़ी हैं , जिससे हर कोई वाकिफ नहीं है ...लक्ष्मण जी श्रेष्ठ भाई इसीलिए बन पाए क्योंकि उनका साथ उर्मिला ने दिया ..वो उर्मिला जो वन में अपनी दीदी सीती और पति लक्ष्मण जी के साथ वनवास तो नहीं गईं , मगर उनके साथ ही रही ....14 सालो तक उनकी तपस्या भी किसी से कम नहीं थी .... तो चलिए जब श्री राम अयोध्या वापस अपने मंदिर में विराजमान हो गए हैं , तो फिर याद आज भईया लक्ष्मण और भाभी उर्मिला की भी की जाए ..
इस कहानी की शुरूआत के लिए रामायाण के पन्नो को पलटना ही होगा . रामचंद्र जी को जब उनके पिता दशरथ राजपाट सौंपने वाले थे, तभी उनकी दूसरी पत्नी कैकेयी को उनकी दासी मथंरा ने खूब भड़काया। मंथरा ने कहा कि राजा तो आपके बेटे भरत को बनना चाहिए। इसके बाद कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वर मांगे, पहला भरत को गद्दी मिलनी चाहिए और दूसरा राम को 14 वर्ष तक वन में रहना होगा। राजा दशरथ को अपनी पत्नी के वर पूरे करने पड़े।जब रामचंद्र जी वनवास के लिए अयोध्या से निकले, तब लक्ष्मण जी ने भी उनके साथ जाने की इच्छा जाहिर की। लक्ष्मण के वन जाने की बात सुनकर उनकी पत्नी उर्मिला भी साथ जाने की जिद करने लगती है। तब लक्ष्मण अपनी पत्नी उर्मिला को समझाते हैं कि वह अपने बड़े भाई और मां समान भाभी सीता की सेवा करने के लिए जा रहे हैं। अगर तुम वनवास में साथ चलोगी, तो मैं ठीक तरह से सेवा नहीं कर पाऊंगा। लक्ष्मण के सेवा भाव को देखकर उर्मिला साथ जाने की जिद छोड़ देती है और महल में ही रुक जाती है..
मगर वन में पहुंचकर लक्ष्मण, भगवान राम और सीता के लिए एक कुटिया बनाते हैं। जब राम और सीता कुटिया में विश्राम करते थे, तब लक्ष्मण बाहर पहरेदारी करते थे.. कुछ दिन ऐसे ही बीत गए , और लक्ष्मण जी साए तक नहीं ... फिर धीरे धीरे लक्ष्मण जी को भी नींद सताने लगी ...और वो परेशान हो गए , कि अगर वो सो गए , तो पहरेदारी भला कौन करेगा ..इसीलिए उन्होंने निद्रा देवी से प्राथर्ना की ... तब उनके सामने निद्रा देवी प्रकट हुईं। लक्ष्मण ने निद्रा देवी से वरदान मांगा कि वह 14 साल तक निद्रा मुक्त रहना चाहते हैं। मगर प्रकृति के हिसाब से ये संभव ही नहीं था...ऐसे में निद्रा देवी ने कहा कि अगर तुम ऐसा चाहते हो , तो फिर एक ही स्थिति में ऐसा हो पाएगा .. ये नींद किसी और को पूरी करनी होगी . लक्ष्मण सोच में पड़ गए , कि आखिर इतना बड़ा त्याग कौन करेगा , जो अपने जीवन में 14 साल सिर्फ सोता रहे , फिर उनके मन में अपनी पत्नि उर्मिला का ख्याल आया .. उन्होंने देवी से कहा कि ऐसा त्याग सिर्फ उनकी पत्नि ही कर सकती हैं ... ये सुनकर देवी निद्रा रानी उर्मिला के पास पहुंची , उन्होंने पूरी बात उनके समक्ष रखी ... और उर्मिला ने पति के आदेश के रूप में इसे स्वीकार्य किया और कहा कि वो वनवास तो नहीं जा पाई , मगर इस तरह सेवा जरूर करेंगी ...फिर क्या था... लक्ष्मण जी की 14 सालों की नींद रानी उर्मिला को दे दी गई . लक्ष्मण 14 साल तक नहीं सोए और उनकी पत्नी उर्मिला लगातार 14 साल तक सोती रहीं.उनकी नीदं श्री राम के वापस आने के बाद ही खुली ...
देखा जाए तो वाकई रामायण की ये कहानी रौगंटे खड़े कर देती हैं ....ऐसा त्याग ऐसा प्रेम अब नहीं दिख सकता जहां एक भाई दूसरे भाई के कष्टों में सालों साल साथ रहे , जहां एक पत्नि अपने पति के लिए सालों सोती रहे ...अपने राजसी जीवन का परित्याग कर दे ..वाकई रामायण केवल रामायण नहीं जीवन का सुंदर सार है ..
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