चाणक्य ने बताया है , मां का आर्शीवाद मतलब ईश्वर का आर्शीवाद


चाणक्य के बारे में कौन नहीं जानता होगा . आज भी लोग चाणक्य की कही बातों को ही धर्म मानते हैं .आचार्य चाणक्य एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और महान शिक्षाविद थे. उन्हें हर विषय की गहराई से जानकारी थी. यही कारण है कि उन्होंने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में कई नीतियों का वर्णन किया है जिन्हें अपनाकर व्यक्ति तमाम मुश्किलों का आसानी से हल कर सकता है. आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में दोस्ती, दुश्मनी, विवाह, धन, तरक्की और नौकरी आदि से संबंधित कई बातें बताई हैं, जो आज भी काफी सही लगती हैं.एक श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि ब्राह्मण, विद्वान, राजा के अलावा स्त्री की ताकत क्या होती है. चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियां अपनी ताकत का इस्तेमाल कर जो चाहे वह कर सकती हैं या फिर करवा सकती हैं.आचार्य चाणक्य ने अपने पुस्तक में ये भी  बताया है कि 4 स्त्रियां मां के सामान होती हैं. इनका कभी भी निरादर नहीं करना चाहिए...वो चार महिलाएं कौन हैं , चलिए आपको बता देते हैं 
 

Who is a real saint as per Chanakya? - Quora

इस संसार में मां को सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त होता है. मां अपने बच्चे की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं. हर व्यक्ति को अपनी मां का सम्मान करना चाहिए. मां का सम्मान करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी असफल नहीं हो सकता है. 

आचार्य चाणक्य के अनुसार राज्य के राजा या शासक की पत्नी भी मां के समान ही होती है. हर व्यक्ति को राज्य के राजा या शासक की पत्नी को मां के समान ही सम्मान देना चाहिए. आज के समय में शासक देश के उच्च पद पर आसीन सत्ताधारी भी हो सकता है 

वहीं इसके अलावा आचार्य चाणक्य कहते हैं कि गुरु की पत्नी मां के समान ही होती है. हर व्यक्ति को गुरु की पत्नी को मां के समान ही सम्मान देना चाहिए.उनका आदर करना चाहिए , उनका आर्शीवाद भी मां के बराबर काम करता है 

इन सब के अलावा वैसे तो मित्र या बड़े भाई की पत्नी को भाभी कहते हैं. मगर भाभी को भी मां के समान ही दर्जा दिया जाता है. आचार्य चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति को मित्र या बड़े भाई की पत्नी को मां के समान ही सम्मान देना चाहिए.
आचार्य चाणक्य के अनुसार पत्नी की मां भी मां के समान ही होती है. हर व्यक्ति को पत्नी की मां को भी के समान ही सम्मान देना चाहिए.

यानी अगर आपको जीवन में बहुत सफल होता है , धर्म के अनुसार चलना है ..और ईश्वर के आर्शीवाद का भोगी बनना है , तो अपनी मां के अलावा भी इन माओं के आशीवार्द जरूर लें ..क्योंकि मांओं के आर्शीवाद सीधे ईश्वर से आर्शीवाद जैसे होते हैं . ईश्वर भी तभी प्रसन्न होते है जब एक मां प्रसन्न होती है .

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