वो जगह , जहां आज भी रात में आते हैं श्री कृष्ण और राधा रानी , रचाते हैं रासलीला ...


कृष्ण और राधा का प्रेम अमर है , अद्भुद है यहां तक रहस्यमई भी है . जितना इसे जानने के लिए आप आगे बढ़ेंगे इसी में खोते जाएंगे ...राधा कृष्ण का प्रेम रहस्यों की कहानी है , और इसी रहस्य का एक हिस्सा है .वृंदावन का निधिवन .. जहां पर आज भी श्री कृष्ण रासलीला करने आते हैं और रासलीला करने के बाद वही सोते हैं. सूरज निकलने से पहले वो चले जाते हैं, लेकिन कोई भी उन्हें देख नहीं पाता है. मंदिर के पट बंद होने के बाद लोगों को खूब नाच गाने की आवाज मंदिर के अंदर से आती है. आज हम इसके पीछे के कई रहे आपको बताएंगे.

A Night in Vrindavan – WordJini

निधिवन , निशानी है राधा कृष्ण के प्रेम की ... निधिवन निशानी है , श्री कृष्ण के पैरों के रज की ... निधिवन वृंदावन का वो रहस्य है , जिसे आज तक कई जान नहीं पाया , और जिसने जानने की कोशिश की , वो खुद को भूल गया . कहते हैं जिसने भी इस रहस्य को देखना चाहा. उसकी दो से तीन दिन के अंदर मौत हो जाती है. या अगर किसी ने छिप करके रासलीला देखने का प्रयास किया तो वो दूसरे दिन पागल हो जाता है.

The Unsolved Mystery of Nidhivan Where Lord Krishna Still Plays His  Rasaleela

निधिवन में राधा कृष्ण आते हैं , इसके कई प्रमाण हर सुबह मिलते हैं .. भक्त खुद चमत्कार देखकर यकीन नहीं कर पाते हैं , निधि वन के अंदर ही है ‘रंग महल’ जिसके बारे में मान्यता है कि रोज रात यहां पर राधा और कन्हैया आते हैं. रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन के पलंग को शाम सात बजे से पहले सजा दिया जाता है...पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधा जी के शृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है... सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटा पानी से खाली, दातुन कुचली हुई और पान खाया हुआ मिलता है... रंग महल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते हैं और प्रसाद स्वरूप उन्हें भी शृंगार का ही सामान मिलता है.. ऐसा कैसे होता है , आज तक कोई ये जान नहीं पाया है 

Nidhivan Temple, Uttar Pradesh - Where Miracles And Mysteries Meet 2023

इतना ही नहीं निधिवन के पेड़ भी साधारण नहीं है ...यहां के सभी पेड़ तुलसी के हैं , और जैसे पेड़ यहां आपको दिखेगे वैसे आपने कहीं और कभी नहीं देखें होंगे ...यहां के सभी पेड़ एक दूसरे से जुड़े हुए रहते हैं , और कहा जाता है , ये वास्तव में पेड़ नहीं बल्कि राधा कृष्ण की सखियां है , जो रात में अपना स्वरूप बदलकर रासलीला में शामिल होती हैं, मगर इनको देखने की कोशिश किसी ने भी कभी नहीं की  . वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम 7 बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया या तो अंधे हो गए या फिर उनके ऊपर दैवी आपदा आ गई।

 

 

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