कैसे प्रकट हुए थे बांके बिहारी , खास है मंदिर के पर्दे का रहस्य ..

ऐसो मन कर देउ मैं , निरखूँ श्यामा-श्याम।
प्रेम विन्दु दृग ते झरे वृन्दावन विश्राम।।

कृष्ण भक्ति जो करता है , वो जानता है , कि इस नाम में कितनी शक्ति है ,  कितना तेज हैं . उनका नाम लेने मात्र से कैसे कष्ट दूर होते हैं , और कैसे उद्धार होता है . उनकी एक झलक , दिल को वो शांति देती है जो कहीं और नहीं मिलती ...जब भी बात श्री कृष्ण की हो , तो वृंदावन का नाम तो लिया ही जाता है, क्योंकि वृंदावन की रज - रज में श्री कृष्ण बसे हुए हैं ..ऐसे में हम आपको आज बताएंगे वृंदावन में विराजमा श्री कृष्ण के अद्भुद स्वरूप बिहारी जी के बारे में , जिनके आगे राधे राधे कहने से सारे पाप धुल जाते हैं ..वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर दुनियाभर में प्रख्यात है... दूर-दूर से करोड़ों श्रद्धालु श्री बांके बिहारी के दर्शनों की लालसा लिए वृंदावन पहुंचते हैं... श्री बांके बिहारी के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति अपने सभी दुख-दर्द भूल जाता है और उन्हें एक टक बस निहारता ही रहता है....  बांके बिहारी की मूर्ति ही कुछ ऐसी है , ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि आखिर बांके बिहारी की मूर्ति का इतिहास क्या है , और पौराणित कथा क्या कहती है .. 

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बताया जाता है , कि बांके बिहारी की मूर्ति किसी कलाकार ने नहीं बनाई , ये मूर्ति प्रकट हुई थी .  ये मूर्ति प्रेम का प्रतीक है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, स्वामी हरिदास भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे. वो भगवान श्री कृष्ण की प्रेम भाव से निधिवन में भक्ति किया करते थे. उनके हृदय में केवल भगवान श्रीकृष्ण बसे हुए थे.भगवान श्री कृष्ण ने स्वामी हरिदास की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और निधिवन में काले रंग की पत्थर की मूर्ति के रूप में प्रकट हुए. कुछ दिन तो स्वामी हरिदास ने निधिवन में ही बांके बिहारी की पूजा की. उसके बाद अपने परिजनों की सहायता से बांके बिहारी मंदिर का निर्माण करवाया. और आज यही मंदिर प्रख्यात है ..

Huge crowd throngs Banke Bihari temple ahead of Krishna Janmashtami - India  Today

बांके बिहारी मंदिर में हर रोज भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है , यहां केवल देश ही नहीं विदेश से भी भक्त आते हैं , वृंदावन में विदेशी सबसे ज्यादा देखे जाते हैं , उनकी भक्ति देख लोग अचरज में पड़ जाते हैं .. 

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बांके बिहारी प्रेम की मूरत हैं , वो तो इतने नटखट है कि कहा जाता है , कि अगर कोई उनको नजर भर कर देख लें , तो वो उसके साथ ही चल पड़ते हैं . इसीलिए बांके बिहारी मंदिर में एक चीज जो अन्य मंदिरों के मुकाबले अलग है वो है वहां कि पर्दा प्रथा, अगर आपने कभी गौर किया हो तो बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी के दर्शन हमेशा टुकड़ों में कराये जाते हैं,,,, यानी कि बांके बिहारी जी के आगे बार-बार पर्दा डाला जाता है जिससे कोई भी ठाकुर जी को ज्यादा देर तक न देख सके..इसके पीछे भी एक कहानी है .. आज से 400 साल पहले एक भक्त ने उनसे नजरे मिलाई थी , और वो उसके पीछे चल पड़े थे . 

देखा जाए तो वृंदावन में श्री कृष्ण जी के बहुत सारे मंदिर हैं, जो अपनी बनावट और शैली के लिए प्रसिद्ध है. वृंदावन के कण-कण में भगवान श्री कृष्ण का वास माना जाता है. मगर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का इतिहास चमत्कारों से भरा हुआ है.

 

 

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