वो पंचकन्याएं , जिनका विवाह हुआ , मगर फिर भी रही कुंवारी कन्याएं

हिंदू धर्म में महिलाओं को देवी के तुल्य माना जाता है , महिलाओं की पूजा की जाती है और उनको सम्मान दिया जाता है , हालांकि आज महिलाओं और पुरूषों में कई फर्क नहीं किया जाता , मगर पुराणों में महिलाओं को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है .क्योंकि महिलाओं ने ही बड़े बड़े दुष्टों का नरसंहार किया है . कभी वो दुर्गा बनकर राक्षसों का संहार करती नजर आईं तो कभी वो सीता बनकर अग्नि परीक्षा देती नजर आईं .. वो एक महिला ही थी जिसकी शक्ति के सामने स्वयं मौत के देवता यमराज ने घुटने टेक दिए...यानी कि महिलाओं की कहानियां हिंदू धर्म को सदा ही गौरावंवित करती आई हैं .. लेकिन क्या आप जानते हैं , उन महिलाओं के बारे में जिन्हे सनातन धर्म में शादीशुदा होने के बाद भी कुंवारी समझा जाता है ... जी हां 5 महान महिलाएं पतिव्रत धर्म का पालन करते हुए इतिहास का अमिट हिस्सा बन गईं... इन पांचों में एक समानता ये थी कि शादीशुदा होते हुए भी ये आजीवन कुंवारी कन्याओं के समान मानी गईं हैं.. और इन्हें पंचकन्याएं कहा गया -
द्रौपदी
कहते हैं कि द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था इसीलिए इन्हें याज्ञसेनी कहा जाता है। द्रौपदी को पंचकन्याओं में शामिल किया गया है। द्रोपदी अत्यंत धीरजवान, पवित्र और महान महिला थी। यह 5 पांडवों की पत्नी और 5 पुत्रों की माता भी थीं। द्रौपदी के चीर हरण प्रकरण में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी। कहते हैं कि द्रौपदी को भी सदा कुंवारी कन्या बने रहने का वरदान प्राप्त था।
कुंती
ऋषि दुर्वासा से कुंती को वरदान प्राप्त था, जिस देवता का ध्यान कर संतान चाहेंगी, वो देवता उन्हे पुत्र रत्न देगा. वरदान के कारण कुंती भी आजीवन कुंवारी बनी रहीं।
तारा-बाली की पत्नी
मान्यता है की तारा का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था वो इतनी सुंदर थी की देवता और असुर दोनों ही उनसे विवाह करना चाहते थे. तारा को भी आजीवन कुंवारी रहने का वरदान प्राप्त था।
अहिल्या
गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या भी अति सुंदर थी, जिनके साथ इंद्र देव ने छल किया था और फिर ऋषि गौतम का श्राप झेला था... त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ने उनता उद्धार किया था . इनके तप और धर्म पालन की वजह से भगवान राम ने इनका उद्धार किया और वो आजीवन कुंवरी कहलाईं।
मंदोदरी-रावण की पत्नी
एक असुर और अप्सरा के मिलन से जन्मी मंदोदरी बहुत सुंदर थी. जो हमेशा रावण के गलत फैसलों का विरोध करती थी.भगवान शिव के वरदान के कारण ही मंदोदरी का विवाह रावण से हुआ था।कई संतान होने के बाद भी मंदोदरी आजीवन कुंवारी रहीं क्योंकि इन्हें चिर कौमार्य का वरदान प्राप्त था।
कहा जाता है कि अपनी पवित्रता के लिए प्रसिद्ध ऐसी कन्याओं का नाम लेने भर से सारे पाप दूर हो जाते हैं.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि सी न्यूज भारत किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.
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