हाथ जोड़ कर ही क्यों की जाती है प्रार्थना

हिंदु धर्म एक ऐसा धर्म है , जहां लोगों की आस्थाएं भगवान एक कंकड तक से है , यहां तक की अगर वे लोग पर्वत भी देखते है , तो उनको हाथ जोड़ कर प्रणाम करते है , कुछ ऐसे ही संस्कार मिले हिंदु धर्म के लोगों को , जहां वो जिसका सम्मान करते है उसके लिए हाथ जोड़ते हुए प्रणाम करते है , लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है , चलिएं बतातें है आपकों .
अक्सर हम जब किसी से मिलते है , या जब हम किसी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते है , तो हम उसको हाथ जोड़ कर प्रणाम करते है , हाथ जोड़ कर ही हम अपने इश्वर की प्राथन भी करते है , हर एक धर्म में प्रार्थना करने का अलग तरीका होता है , उसकी प्रकार हिंदु धर्म में प्रार्थना के लिए हाथों को जोड़ा जाता है , लेकिन इसके पीछे भी एक कारण है दरसल शास्त्रों में उल्लेख है कि हमारा शरीर पंचतत्वों से बना हुआ है. हमारे शरीर को दो भागों में बांटा गया है, जिसमे दाएं भाग को इडा और बाएं भाग को पिंडली कहा जाता है. माना जाता है की इडा और पिंडली नाड़ियां दोनों ही शिव और शक्ति के रूप हैं. जैसे शिव और शक्ति दोनों मिलकर अर्धनारीश्वर के रूप को पूरा करते हैं, उसी तरह जब हम दाएं हाथ को बाएं हाथ से जोड़कर हृदय के सामने रखते हैं, तो हमारा हृदय चक्र या आज्ञा चक्र सक्रिय हो जाता है. हमारे अंदर की दैवीय शक्ति हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है. हमारे सोचने और समझने की शक्ति बढ़ जाती है. हमारा मन शांत हो जाता है. शरीर में रक्त का प्रवाह भी सही होता है. इसलिए हाथ जोड़कर अभिवादन करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक विचार आते हैं, जिससे दूसरे व्यक्ति के प्रति भी सम्मान की भावना आती है.
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