छठ के आखिरी दिन जरूर करें ये काम

छठ साल में दो बार मनाया जाता है. पहला चैत्र शुक्ल षष्ठी को और दूसरा कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को. यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है, जिसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. सुख-सौभाग्य, समृद्धि, संतान और सुखी जीवन की कामना के लिए छठ पूजा की जाती है. छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है. अगर आपको इस बार अर्घ्य देने का समय और कैसे कपड़े पहनने हैं इसकी जानकारी नहीं है तो आइये बतातें हैं आपको छठ की सारी विधि ..
छठ पूजा में सूर्यदेव की अराधना का विशेष महत्व होता है. यह ऐसा पर्व होता है, जिसमें न केवल उगते सूर्य बल्कि अस्त होते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है. उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही इस पर्व का समापन होता है. छठ पूजा में पहला अर्घ्य यानी संघ्याकालीन अर्घ्य रविवार 19 नवंबर 2023 को दिया जाएगा. इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए संध्य 05:19 मिनट तक का समय रहेगा. वहीं, सोमवार 20 नवंबर को उदीयमान यानी उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्यदेव को सुबह 06:15 तक अर्घ्य दिया जाएगा..
छठ व्रतियों को कैसे कपड़े का प्रयोग करना चाहिए
सूर्य पूजा के समय कोरे और बिना सिले कपड़े पहनें. छठ पूजा में महिलाओं को सूती साड़ी पहननी चाहिए और पुरुषों को धोती पहनने की सलाह दी जाती है. छठ पूजा में शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखना विशेष जरूरी है. छठ पूजा के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का कलश माना गया है. तांबे के कलश से अर्घ्य देना लाभदायक होता है. सूर्य को अर्घ्य देते समय सूर्य देव को सीधे नहीं देखना चाहिए. गिरते हुए जल की धारा को देखकर सूर्य को अर्घ्य दें और मन ही मन अपनी इच्छा से कामना करें. छठ पूजा के बाद भी सूर्य देव को नियमित रूप से प्रतिदिन जल अर्पित करें. इससे आपके सूर्य दोष दूर हो जाते हैं.
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