क्या है पुष्य नक्षत्र का महत्त्व

ज्योतिष शास्त्र में आकाश मंडल में कुल 27 नक्षत्र होते हैं और इनमें पुष्य नक्षत्र को  सबसे शुभ माना जाता है. इस नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य के नाम से भी जाना जाता है. तिष्य यानी शुभ मांगलिक वाला नक्षत्र और अमरेज्य यानी देवताओं के द्वारा पूजे जाना वाला नक्षत्र. इस नक्षत्र के स्वामी ग्रहों के रूप में शनिदेव मान्य हैं. यह नक्षत्र इतना शुभ है कि विवाह को छोड़कर बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं. इसमें सभी अशुभ योगों को दूर करने की क्षमता होती है.  आइए जानते हैं क्या हैं पुष्य नक्षत्र की खूबियां और यह किस तरह धनदायक है…

पाणिनी संहिता में लिखा है -  पुष्य सिद्धौ नक्षत्रे    सिध्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि सिध्यः। पुष्यन्ति अस्मिन् सर्वाणि कार्याणि इति पुष्य।।  इसका मतलब है पुष्य नक्षत्र में शुरू किए गए सभी कार्य पुष्टि दायक, सर्वार्थसिद्ध होते ही हैं,  औऱ निश्चय ही फलीभूत होते हैं.इस नक्षत्र में ये काम करना बेहद ही शुभ माना जाता है . 

पुष्य नक्षत्र को खरीददारी  लिए उत्तम माना जाता है ,  इस दौरान वाहन, जमीन या घर खरीदना बेहद लाभकारी होता है. पुष्य नक्षत्र में किए गए काम दोषमुक्त होते हैं और जल्दी ही सफल हो जाते हैं.  पुष्य नक्षत्र रविवार या गुरुवार को पड़े तो यह बेहद शुभदायक माना जाता है.  इस शुभ संयोग को रवि पुष्य और गुरु पुष्य कहा जाता है. 

पुष्य एक अन्ध नक्षत्र है.  पुष्य-नक्षत्र में खोई हुई वस्तु शीघ्र प्राप्त हो जाती है. पुष्य नक्षत्र को शुभ तो माना ही जाता है लेकिन इसको थोड़ा अशुभ भी माना जाता है.  जब पुष्य नक्षत्र शुक्रवार के दिन आता है तब यहृ उत्पात व बाधाकारक होता है . विवाह में भी पुष्य नक्षत्र को अशुभ माना गया है.  विवाह लग्न के लिए पुष्य नक्षत्र अशुभ माना जाता है. 

यदि कोई पुष्य नक्षत्र के योग में स्वर्ण आभूषण खरीदता है तो उसे इन चीजों से स्थाई लाभ प्राप्त होता है. इनसे प्राप्त धन बरकत देता है. 

पुष्य नक्षत्र में यदि आप किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना चाहते हैं तो यह भी फायदेमंद हो सकता है.  निवेश से पूर्व संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करना चाहिए. 

इस काल में जो वस्तुएं खरीदी जाती हैं, उससे हमारे परिवार को भी लाभ होता है.  खरीदने वाले व्यक्ति के परिवार को भी विशेष सुविधा और शुभ फल प्रदान करती है.   

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