पू्र्णिमा का व्रत करेगा आपकी मनोकामना को पूर्ण !

हिंदु धर्म में हर एक तिथि एक विशेष दिन सम्वत नक्षत्र के साथ आती है जिसका अपना एक विशेष महत्व होता है , हिंदु धर्म में हर एक दिन देवी देवता की आराधना से और कई नियमों से जुड़ा होता है , और यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है , तो उसका जीवन सोने सा चमक जाता है , इसलिए अगर आप भी अपने जीवन में खुशी औऱ तरक्की चाहते है  तो सबसे पहले आपका ये जानना जरूरी है कि हिंदु पंचाग के अनुसार तिथी क्या है, तो आज पूर्णिमा है पूर्णिमा की दिन हिंदु पंचाग के अनुसार बेहद शुभ दिन होता है इसलिए इस दिन की पूजा का भी विशेष महत्व होता है चलिए बताते है . 


पूणिर्मा का हिंदु धर्म में पवित्र और विशेष होता है . पूर्णिमा के दिन आकाश में चंद्रमा अपने पूर्ण आकार और चमक में होता है,  प्रत्येक पूर्णिमा महीने-दर-महीने एक महत्वपूर्ण त्योहार से जुड़ी होती है. इसलिए वर्ष के बारह महीनों में, पूर्णिमा बारह विशेष अवसरों और त्योहारों का प्रतीक है. 2. पूर्णिमा के दिन, उज्ज्वल और पूर्ण चंद्रमा आकाश में चमकता है जो अंधेरे को हटाने और बुद्धि की चमक का प्रतीक है. साथ पूर्णिमा के व्रत और पूजा के कई नियम भी होते है जैसे . पूर्णिमा के दिन, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं . औऱ अपनी आस्था के अनुसार भगवान शिव या विष्णु की पूजा की जा सकती है. पूर्णिमा के लिए कोई विशेष पूजा प्रक्रिया नहीं है. भक्त अपनी इच्छानुसार पूजा कर सकता है .  घरों में सत्यनारायण पूजा करने के लिए पूर्णिमा  का दिन शुऊ माना जाता है . हालांकि पूरे दिन बिना कुछ खाए उपवास करना एक आदर्श विकल्प है, अगर भक्त चाहे तो एक बार भोजन करने की अनुमति है. लेकिन  भोजन नमक, अनाज या दालों से मुक्त औऱ सात्विक  होना चाहिए.  व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रमा के दर्शन के बाद समाप्त होता है. शाम के समय भक्त उगते हुए पूर्ण चंद्रमा का दर्शन करता है और चंद्र देव को प्रार्थना और पूजा करता है इसके बाद प्रसाद का सेवन किया जाता है. कहते है पूर्णिमा की पूजा औऱ व्रत करने से शुभ संकेत मिलते है इसके साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है . 

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