साइलेंट किलर डायबिटीज: युवाओं पर मंडराता खतरा और रोकथाम के तरीके

हाल के वर्षों में भारत में डायबिटीज के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है, और सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि यह बीमारी अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि युवाओं और किशोरों में भी तेजी से फैल रही है। पहले डायबिटीज को 'बुजुर्गों की बीमारी' माना जाता था, लेकिन बदलती जीवनशैली, खान-पान की गलत आदतें, और शारीरिक निष्क्रियता के कारण यह अब बच्चों और युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। हाल ही में प्रकाशित कई अध्ययनों और रिपोर्ट्स ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है, जो एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करता है।युवाओं में डायबिटीज के बढ़ते मामले: चौंकाने वाले आंकड़ेलैंसेट की रिपोर्ट: द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, पिछले 30 वर्षों में भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ी है। 2021 तक 20-79 वर्ष की आयु के 7.4 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे, और 2045 तक यह संख्या 12.5 करोड़ तक पहुंचने की आशंका है। विशेष रूप से, युवा आबादी में टाइप-2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
युवाओं में डायबिटीज के कारणडायबिटीज के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हैं, जो मुख्य रूप से आधुनिक जीवनशैली से जुड़े हैं:खराब खान-पान:जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, और शुगरी ड्रिंक्स का बढ़ता चलन डायबिटीज का प्रमुख कारण है। ये खाद्य पदार्थ शुगर और अस्वास्थ्यकर वसा से भरपूर होते हैं, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाते हैं।
अनियमित भोजन का समय, जैसे देर रात खाना, शरीर में ग्लूकोज के स्तर को बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
शारीरिक निष्क्रियता:स्मार्टफोन, वीडियो गेम्स, और स्ट्रीमिंग सर्विसेज के बढ़ते उपयोग ने युवाओं की शारीरिक गतिविधियों को कम किया है। घंटों बैठे रहने से मोटापा और इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, नियमित व्यायाम की कमी टाइप-2 डायबिटीज का एक बड़ा जोखिम कारक है।
मोटापा:भारत में युवाओं में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जो टाइप-2 डायबिटीज का प्रमुख कारण है। विशेष रूप से, पेट के आसपास जमा अतिरिक्त चर्बी इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाती है।
तनाव और नींद की कमी:पढ़ाई, नौकरी, और सामाजिक दबाव के कारण युवाओं में तनाव बढ़ रहा है, जो हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है और डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है।
अनियमित नींद का समय और अपर्याप्त नींद (7-8 घंटे से कम) इंसुलिन उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है।
जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक:परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री होने पर युवाओं में टाइप-1 और टाइप-2 दोनों तरह की डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में टाइप-1 डायबिटीज का खतरा अधिक होता है, जैसा कि कुछ अध्ययनों में पाया गया है।
लक्षण और प्रभावडायबिटीज के शुरुआती लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि समय पर उपचार शुरू किया जा सके।
सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
बार-बार पेशाब आना
अत्यधिक प्यास और भूख
थकान और कमजोरी
धीरे-धीरे घाव भरना
वजन में अचानक कमी (खासकर टाइप-1 में)
धुंधला दिखना या आंखों पर प्रभाव
लंबे समय तक अनियंत्रित डायबिटीज से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे:हृदय रोग और स्ट्रोक
किडनी खराब होना (डायबिटिक नेफ्रोपैथी)
नसों की क्षति (डायबिटिक न्यूरोपैथी)
रेटिना को नुकसान, जिससे अंधापन हो सकता है
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस, जो जानलेवा हो सकता है
रोकथाम और प्रबंधन के उपायस्वास्थ्य विशेषज्ञों और अध्ययनों के आधार पर, डायबिटीज को रोकने और नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
स्वस्थ खान-पान:जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, और शुगरी ड्रिंक्स से परहेज करें। इसके बजाय साबुत अनाज, मौसमी फल, सब्जियां, और हेल्दी कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करें।
करेला, आंवला, जामुन, और पालक जैसे खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार हैं।
चीनी की जगह शुगर-फ्री विकल्प या प्राकृतिक मिठास जैसे स्टीविया का उपयोग करें।
नियमित व्यायाम:रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे वॉकिंग, योग, साइकिलिंग, या तैराकी, डायबिटीज के खतरे को कम करती है।
बच्चों और किशोरों को खेल-कूद और आउटडोर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
नियमित स्वास्थ्य जांच:परिवार में डायबिटीज की हिस्ट्री होने पर नियमित ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, और कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाएं।
प्री-डायबिटीज की स्थिति का पता लगने पर तुरंत जीवनशैली में बदलाव करें।
तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद:मेडिटेशन, योग, और गहरी सांस लेने की तकनीकें तनाव को कम करने में मदद करती हैं।
रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें ताकि हार्मोनल संतुलन बना रहे।
जागरूकता और शिक्षा:विश्व डायबिटीज डे (14 नवंबर) जैसे अवसरों पर जागरूकता अभियानों में भाग लें।
डायबिटीज के लक्षणों और जोखिमों के बारे में जानकारी रखें ताकि समय पर उपचार शुरू हो सके।
युवाओं में डायबिटीज के बढ़ते मामले एक गंभीर चेतावनी हैं। यह बीमारी न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक और आर्थिक स्तर पर भी गहरा असर डालती है। समय रहते जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ खान-पान, नियमित व्यायाम, और जागरूकता के जरिए इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आप या आपके परिवार में कोई डायबिटीज के लक्षण महसूस कर रहा है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और नियमित जांच करवाएं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम इस 'साइलेंट किलर' से खुद को और अपने प्रियजनों को बचा सकते हैं।
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