संघर्षों से प्रेम

जीवन एक यात्रा है, जिसमें सुख-दुख, हर्ष-विषाद, उतार-चढ़ाव का समावेश है। इस यात्रा का सबसे अनिवार्य और अपरिहार्य हिस्सा है — संघर्ष। और यदि इस संघर्ष को प्रेम से जोड़ दिया जाए, तो वह केवल दर्द या कठिनाई नहीं रह जाता, बल्कि आत्मविकास, आत्मबोध और आत्मशांति का माध्यम बन जाता है। "संघर्षों से प्रेम" केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जो हमें जीवन की हर परिस्थिति को स्वीकारने और उससे सीखने की प्रेरणा देती है।

संघर्ष का अर्थ है—किसी लक्ष्य को पाने के लिए कठिनाइयों से जूझना, परिस्थिति के विरुद्ध खड़े होना, और अपने भीतर की कमजोरी से लड़ना। यह एक आंतरिक और बाहरी प्रक्रिया है। कभी यह आर्थिक हो सकता है, कभी मानसिक, कभी सामाजिक, तो कभी भावनात्मक। लेकिन एक बात तय है — कोई भी व्यक्ति संघर्ष के बिना महान नहीं बनता।

महात्मा गांधी ने जब दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के विरुद्ध आवाज उठाई, तो वह केवल अपने सम्मान के लिए नहीं लड़े, बल्कि उन्होंने समूची मानवता के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, जो एक मछुआरे के बेटे थे, उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों को अवसर में बदल कर भारत को एक वैज्ञानिक राष्ट्र बनाया। प्रेम केवल किसी व्यक्ति के प्रति भावनात्मक आकर्षण नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक चेतना है जो जीवन के हर तत्व से जुड़ती है। जब हम संघर्षों से प्रेम करना सीख जाते हैं, तब हमें उनसे डर नहीं लगता, बल्कि हम उनका स्वागत करते हैं क्योंकि हमें पता होता है कि वे हमें और बेहतर बनाएंगे। संघर्षों से प्रेम करने का अर्थ है — कठिनाइयों को आत्मसात करना, उन्हें अपना गुरु मानना, और उनके माध्यम से अपने भीतर की शक्ति को पहचानना। यह प्रेम आत्मदया नहीं है, बल्कि आत्मबल का परिणाम है।

संघर्ष हमें मजबूत बनाते हैं
कठिनाइयाँ हमारे धैर्य, मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं। जब हम संघर्षों से प्रेम करते हैं, तो हम खुद को हर स्थिति में टिके रहने की शक्ति देते हैं।

संघर्षों से निकलती है रचनात्मकता
इतिहास गवाह है कि सबसे सुंदर काव्य, चित्रकला, संगीत और विज्ञान के आविष्कार संघर्षों के समय में हुए हैं। प्रेमचंद, टैगोर, पिकासो या आइंस्टीन — सबने संघर्षों को सृजन का माध्यम बनाया।

संघर्ष आत्मज्ञान की ओर ले जाते हैं
जब व्यक्ति एक के बाद एक कठिनाइयों का सामना करता है, तो वह अपने भीतर झांकता है, खुद को बेहतर समझता है। यही आत्मज्ञान, जीवन की गहराइयों को छूने की कुंजी है।

संघर्ष जीवन को अर्थपूर्ण बनाते हैं
यदि जीवन में कोई संघर्ष न हो, तो उसका कोई मूल्य नहीं रह जाता। संघर्ष ही हमारे जीवन को दिशा, उद्देश्य और उद्देश्य की प्राप्ति का सुख प्रदान करता है।

जब व्यक्ति संघर्षों को गले लगाना सीख जाता है, तब वह धीरे-धीरे अपने भीतर की अपरिचित शक्तियों को पहचानने लगता है। वह जान जाता है कि "मेरे भीतर वह सब कुछ है, जिसकी मुझे जरूरत है।" यह प्रक्रिया जीवन को आत्मज्ञान, साहस और संतुलन की ओर ले जाती है। यह केवल सफलता नहीं, बल्कि सार्थकता का मार्ग है।

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