मेंटिनेंस की मांग पर बोली जज साहिबा, 'अगर इतना ही शौक है तो खुद कमाएं.'

भारत में तलाक भरण-पोषण नियमों के तहत वैवाहिक अलगाव या तलाक के दौरान या उसके बाद अपने जीवनसाथी को मेंटिनेंस के तौर पर वित्तीय सहायता प्रदान करना एक व्यक्ति का कानूनी दायित्व होता है. लेकिन कभी कभी मेंटिनेंस की मांग इतनी ज्यादा हो जाती है जिसे सुन कर ही लोग हैरान हो जाते है. एक ऐसा ही मामला कर्नाटक से सामने आ रहा है. जहां एक महिला की मेंटिनेंस डिमांड सुन कर कर्नाटक हाईकोर्ट की जज साहिबा दंग रह गई. गुजारा भत्ते में मांगी गई हाईफाई रकम को सुनकर जज ने कहा- 'अगर इतना ही शौक है तो खुद कमाएं.'
कर्नाटक हाईकोर्ट में पत्नी द्वारा मेंटीनेंस मांगने का एक अजीबोगरीब मामला पहुंचा कि कोर्ट में मौजूद लोग भी तलाक मांगने वाली महिला की डिमांड सुनकर भौचक्के रह गए. महिला के वकील ने कहा कि उनकी क्लाइंट ब्रांडेड कपड़े पहनती हैं, उन्हें मंहगे मेकअप का शौक है, और इसके अलावा उन्होंने एक सांस में कई खर्च गिना डाले. भारी भरकम धनराशि की मांग कहां खर्च होगी यह सुनकर जज भड़क गईं. हाई कोर्ट की जज ने गुस्से में कहा कि, 'एक अकेली महिला इतना खर्च नहीं कर सकती. अगर उन्हें ब्रांडेड का शौक है तो खुद कमाना चाहिए. ऐसे मामले कोर्ट की प्रक्रिया का शोषण हैं. अगर वो इतना पैसा खर्च करना चाहती हैं तो खुद कमा सकती हैं. कृपया कोर्ट को ये न बताएं कि एक व्यक्ति को बस इतना ही चाहिए. क्या कोई 6 लाख 16 हजार रूपयें एक महीने में खर्च करता है? एक अकेली महिला अपने लिए इतना खर्च कर सकती है. अगर वो खर्च करना चाहती हैं तो उन्हें कमाने दो. आपके पास परिवार की कोई और जिम्मेदारी नहीं है. आपको बच्चों की देखभाल करने की जरूरत नहीं है. आप इस धनराशि को बस अपने लिए चाहती हैं. आपको संवेदनशील होना चाहिए.'
बता दें कि गुजारा भत्ता के लिए महिला ने 6 लाख 16 हजार रुपए प्रति महीने की मांग की थी. महिला के वकील का कहना था कि महिला के घुटने के फिजियोथेरेपी के लिए करीब 4-5 लाख महीना लग जाता है. इसके अलावा जूते-कपड़ों के लिए 15,000 हर महीने, घर में खाने के लिए लिए हर महीना 60,000 रुपए और बाहर खाने के लिए अलग से पैसों की मांग इसमें शामिल है. जज ने महिला के वकील से भी कहा कि वह उचित राशि की मांग करें नहीं तो उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी.
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