सत्संग एवं श्रद्धा-सुमन अर्पण सभा में सम्मिलित हुए (विष्णु लोधी)

डोंगरगढ़ – समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और त्यागमूर्ति संत स्वामी ब्रह्मानन्द जी के 131वाँ निर्वाण दिवस के पावन अवसर पर कबीर आश्रम पिपरिया में समाजजनों द्वारा सत्संग एवं श्रद्धा-सुमन अर्पण सभा का आयोजन शनिवार को किया गया। संतों, श्रद्धालुओं एवं समाजजनों की उपस्थिति में श्रद्धा-सुमन अर्पित किए गए ।छत्तीसगढ़ लोधी समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता विष्णु लोधी ने श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए कहा कि स्वामी ब्रह्मानन्द जी का जन्म 4 दिसंबर 1894 को उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की राठ तहसील के बरहरा गाँव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम शिवदयाल लोधी था। स्वामी जी के पिता का नाम मातादीन लोधी एवं माता का नाम जशोदा बाई लोधी था। 13 सितंबर 1984 को उन्होंने नश्वर शरीर का त्याग कर हमें जीवनभर के लिए अमर संदेश सौंप दिया। वे केवल समाज सुधारक या राजनेता ही नहीं, बल्कि राष्ट्र और मानवता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सच्चे संत थे।विष्णु लोधी ने आगे कहा की स्वामी ब्रह्मानन्द जी 1967 से 1977 तक लोधी समाज एवं आज़ाद भारत के पहले संन्यासी सांसद रहे। पहली बार जनसंघ से और दूसरी बार कांग्रेस से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने कभी अपनी सांसद पेंशन को हाथ तक नहीं लगाया। वे स्वयं भिक्षा से जीवनयापन करते और पूरी राशि समाज कल्याण एवं शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित कर देते थे। उन्होंने अपने लिए मकान तक नहीं बनाया, न ही ऐश्वर्य का मार्ग चुना। 24 वर्ष की आयु में हरिद्वार हरकी पौड़ी में उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली और तभी पैसे न छूने का प्रण लिया, जिसे जीवनभर निभाया। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 1966 में गौ-हत्या के विरोध में संसद के सामने आंदोलन किया, जिसके लिए तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा। त्याग और तपस्या का ऐसा उदाहरण इतिहास में विरले ही देखने को मिलता है। विष्णु लोधी ने कहा की आज धन्य है वह समाज और धन्य है वह भूमि, जिसने स्वामी ब्रह्मानन्द जी जैसे संत महापुरुष को जन्म दिया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची साधना केवल ध्यान में नहीं, बल्कि समाज सेवा और राष्ट्र कल्याण में है। स्वामी जी की स्मृति हम सबको सदैव प्रेरणा देती रहेगी। इस अवसर पर संतोष साहेब, कुमार साहेब और विधायक यशोदानिलांबर वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

सभा में यह संकल्प लिया गया कि स्वामी ब्रह्मानन्द जी के आदर्शों पर चलकर समाज में समानता, शिक्षा और भाईचारे का दीप जलाया जाएगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भूषण साहेब, विवेक साहेब, नियम साहेब, नंदन साहेब, साध्वी अमृता, सीपर राम लोधी, प्रभु वर्मा, गंगा दास वर्मा, यशवंत वर्मा, सी.पी. वर्मा, देवकरण वर्मा, भगवती वर्मा, विश्राम वर्मा, गंगा वर्मा, लाला वर्मा, संतोष वर्मा, याद दास वर्मा, तिलक वर्मा, पारष वर्मा, संतोषी वर्मा, मिरा वर्मा, रामकली वर्मा, कदम वर्मा, फुलेश्वरी वर्मा, गीता वर्मा आदि बड़ी संख्या में साधु-संत एवं समाजजन उपस्थित थे।

रिपोर्टर - महेन्द्र शर्मा

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