डॉ. आँचल गर्ग से खास बातचीत , जानें IVF का पूरा सच, मिथकों से हकीकत तक

माँ बनना हर औरत का सपना होता है, लेकिन जब इस सपने तक पहुँचने के रास्ते में मुश्किलें आती हैं, तो क्या मेडिकल साइंस की मदद लेना शर्म की बात होनी चाहिए? IVF यानी टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया आज एक सामान्य और सफल चिकित्सा पद्धति है, लेकिन हमारे समाज में इसे लेकर अब भी झिझक, चुप्पी और तमाम गलतफहमियां हैं। लोग फुसफुसाते हैं, नज़रें चुरा लेते हैं — जैसे ये कोई गुनाह हो। लेकिन अब वक्त है इस चुप्पी को तोड़ने का। इसीलिए इस महत्वपूर्ण विषय पर सी न्यूज भारत ने उत्तर प्रदेश की जानी मानी आईवीएफ एक्सपर्ट, बांझपन विशेषज्ञ और कलर्स आईवीएफ एंड फर्टिलिटी की निदेशक डॉ आंचल गर्ग से खास बातचीत की ..और उनसे इस विषय में बेबाक जानकारी ली -
लोग IVF शब्द सुनते ही अक्सर चुप क्यों हो जाते हैं?
डॉ. आंचल गर्ग ने इस विषय पर साफ तौर पर कहा , लोग डरते हैं कि लोगों को पता चलेगा कि वे बांझपन से ग्रसित हैं। कई लोग मानते हैं कि IVF सिर्फ लास्ट ऑप्शन है। IVF उन लोगों के लिए है जहां शुक्राणु बहुत कम होते हैं या बिल्कुल नहीं होते। लेकिन हमने देखा कि उसमें पेट में चीरा भी दिया जा रहा है, दूरबीन भी डाली जा रही है। और जो 30% केसेस होते हैं उसमें पुरुष जिम्मेदार होते हैं। पुरुषों में कमियां पाई जाती हैं। IVF में मरीज अकेले ही आता है और अकेले ही अपना इलाज कराता है। इसलिए Google और नेट पर बहुत मिसलीडिंग वीडियोस भी हैं कई बार लोग Google पढ़कर आते हैं और कहते हैं कि “मैम, हमने बहुत साल से ट्राई किया है। अब हम सीधे IVF कराना चाहते हैं।” लोग सोचते हैं कि IVF में शुक्राणु दूसरे के लिए जाएंगे। यह सब मिथक है।
कई लोग मानते हैं कि IVF सिर्फ़ लास्ट ऑप्शन है,क्या ये सच है या सिर्फ़ एक मिथक?
डॉ. आंचल गर्ग ने बताया कि , यह बिल्कुल मिथक है। सबसे पहले हम मरीज की पूरी जांच करते हैं। महिला और पुरुष दोनों के टेस्ट होते हैं। कई बार दवाइयों या सरल तरीकों जैसे IUI से ही गर्भधारण संभव है। IVF उन केस में किया जाता है जहां शुक्राणु बहुत कम या बिल्कुल नहीं होते, या महिला के अंडाणु की संख्या कम हो, या IUI और दवाइयों से गर्भधारण नहीं हो पा रहा हो। एंडोमेट्रियोमा जैसे बड़े केस में भी IVF सजेस्ट किया जाता है।
आज के समय में IVF को लेकर लोगों को कितनी जानकारी है?
डॉ. आंचल गर्ग ने स्पष्ट किया कि , लोग अक्सर टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जानते हैं। लेकिन प्रोसेस की डिटेल जानकारी कम होती है। कई बार Google और YouTube से लोग मिसलीड हो जाते हैं कि IVF बहुत जटिल है। वास्तव में IVF एक सिंपल प्रोसेस है। महिला के पीरियड के दूसरे दिन से 9–10 दिन लगातार इंजेक्शन दिए जाते हैं। उसके बाद अंडे बाहर निकाले जाते हैं, उसी दिन पति के शुक्राणु डाले जाते हैं। भ्रूण लैब में विकसित होते हैं और बाद में गर्भाशय में ट्रांसफर होते हैं। 15 दिन बाद हार्मोन टेस्ट से रिजल्ट पता चलता है।
कितना स्वीकार कर पायी है आज की पीढ़ी इस चिकित्सा पद्धति को?
डॉ. आंचल गर्ग की मानें तो, काफी हद तक समझ बढ़ी है। सफलता दर अब बहुत बेहतर है। तकनीकें एडवांस हो गई हैं। कलर्स IVF में हर फैसिलिटी एक ही रूफ के नीचे है। लैब का पूरा ध्यान रखा जाता है—टेंपरेचर, प्रेशर, ह्यूमिडिटी, सब। Advanced stage embryos (ब्लास्टोसिस्ट) से प्रेग्नेंसी रेट ज्यादा रहती है। युवा पीढ़ी जागरूक है और कई बार सीधे IVF कराना चाहती है।
IVF कराना क्या शर्मिंदगी की बात है?
डॉ. आंचल गर्ग का कहना है कि, बिल्कुल नहीं। बांझपन एक बीमारी है। जैसे किसी का ट्यूमर ऑपरेशन होता है, वैसे ही IVF भी इलाज है। मरीज अकेला ही अपने इलाज के लिए आता है क्योंकि परिवार का साथ नहीं मिलता। इसलिए परिवार और समाज को चाहिए कि वे IVF करने वाले कपल्स का साहस बढ़ाएं, जज न करें।
क्या IVF को लेकर पुरुषों और महिलाओं की झिझक अलग-अलग होती है?
डॉ. आंचल गर्ग ने इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा,पुरुषों में कॉमन सवाल यह होता है कि “शुक्राणु दूसरे के लिए जाएंगे?” हम बताते हैं कि अगर उनके खुद के शुक्राणु और अंडाणु हैं, तो उन्हीं का उपयोग होता है। महिलाओं को लगता है कि बहुत दर्द होगा, पेट में चीरा आएगा। हम बताते हैं कि IVF बहुत सिंपल, अनकंप्लिकेटेड प्रोसेस है। इंजेक्शन कम दर्द वाले होते हैं, बेहोशी में सुई के माध्यम से प्रोसीजर होता है, हार्डली 10–15 मिनट में।
IVF कराने वाले लोग अपनी यात्रा शेयर करने से क्यों हिचकिचाते हैं?
इस संदर्भ में डॉ. आंचल गर्ग ने जानकारी दी कि , कई मरीज हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि समाज उन्हें जज करेगा। लेकिन कुछ आगे बढ़कर वीडियो या टेस्टिमोनियल देते हैं ताकि दूसरों को साहस मिले। यह IVF की स्वीकार्यता बढ़ाने में मदद करता है।
बांझपन में जिम्मेदारी पुरुष और महिला में कितनी है?
डॉ. आंचल गर्ग ने स्पष्ट किया... कि ये लगभग 50–50 का आकड़ा हैं
30% केस में पुरुष जिम्मेदार
30% केस में महिला जिम्मेदार
30% केस में दोनों जिम्मेदार
10% केस में रिपोर्ट्स नॉर्मल लेकिन कंसीव नहीं हो पा रहे → अनक्लीन इनफर्टिलिटी
झिझक तोड़ने की जिम्मेदारी किसकी है – समाज की, डॉक्टर्स की या IVF से गुज़र चुके कपल्स की?
इस विषय पर डॉ. आंचल गर्ग ने बताया कि , जिम्मेदारी सबकी है।परिवारजन: साहस दें..समाज: जज न करें..
डॉक्टर: पेशेंट को गाइड करें..पेशेंट्स: अनुभव शेयर करें.
एक आईवीएफ स्पेशलिस्ट होने के नाते आपके अनुभव क्या रहे?
डॉ. आंचल गर्ग ने बताया कि बहुत सकारात्मक अनुभव रहा .. मरीजों की लाइफ बदलती है, घर में खुशी आती है। पेशेंट के फोटो और बच्चों की तस्वीरें देखकर बहुत अच्छा लगता है। शुरू में भ्रांतियां होती हैं, लेकिन जागरूकता से दूर होती हैं। उम्र बढ़ने के साथ अंडे और शुक्राणु की क्वालिटी कम होती है, इसलिए जल्दी कंसीव करना बेहतर होता है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों की क्या राय होती है?
डॉ. आंचल गर्ग की मानें तो, थोड़ी मुश्किल होती है क्योंकि जागरूकता कम है। लेकिन फ्री कैंप्स और शिक्षा से लोग समझ पाते हैं और ट्रीटमेंट शुरू करते हैं।
इस प्रक्रिया में कपल्स की काउंसलिंग की क्या भूमिका होती है?
डॉ. आंचल गर्ग: बहुत जरूरी है। पेशेंट्स को बताया जाता है कि सारी चीजें कॉन्फिडेंशियल रहेंगी। मानसिक तनाव कम होता है, पेशेंट रिलैक्स्ड रहते हैं। प्रोसीजर, विजिट्स, इंजेक्शन, दर्द—सब काउंसलिंग में समझाया जाता है।
सोशल मीडिया IVF को सामान्य बनाने में कितना मददगार साबित हो रहा है?
डॉ. आंचल गर्ग का कहना है कि,बहुत मददगार है ..आजकल फेसबुक और सोशल मीडिया के जरिए लोग IVF और टेस्ट ट्यूब बेबी के बारे में जानकारी पाते हैं। जागरूकता फैलाने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा रोल है।
उम्मीद है कि IVF को लेकर आपकी सोच में एक नया आयाम जुड़ा होगा। जो बातें अब तक दबे स्वर में होती थीं, उन्हें अब खुलकर कहने का वक्त आ गया है। बांझपन कोई कमजोरी नहीं है, और IVF कोई शर्म नहीं – ये एक विज्ञान की दी हुई सौगात है, जो न सिर्फ़ ज़िंदगियों को बदलती है, बल्कि अधूरी गोद को माँ की ममता से भर देती है।तो आइए, समाज में फैली चुप्पी को तोड़ें, मिथकों को दूर करें और उन लोगों का साथ दें जो माँ-बाप बनने का सपना जी रहे हैं।और अगर आप भी अपने जीवन में नई शुरूआत करना चाहते हैं , तो जल्द ही मिले उत्तर प्रदेश की जानी मानी आईवीएफ एक्सपर्ट, बांझपन विशेषज्ञ और कलर्स आईवीएफ एंड फर्टिलिटी की निदेशक डॉ आंचल गर्ग से
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डॉ आँचल गर्ग
डायरेक्टर
कलर्स आईवीएफ एंड फर्टिलिटी सेंटर
बी 2/3, विनीतखंड, गोमतीनगर लखनऊ
संपर्क करें : 094153 01972
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