संघर्ष से सफलता तक -- डॉ ऋचा मिश्रा

संघर्ष से सफलता तक 

डॉ ऋचा मिश्रा -एक जीवंत नेतृत्व  

 

जो चला है राह अकेले सारा जग उस पर हँसा है पर इतिहास भी गवाह है उसी ने इतिहास रचा है

इस दुनिया में बहुत सी शख्सियतें है पर कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी होते हैं जो न केवल एक विश्वास है बल्कि एक नेतृत्व के रूप में भी स्थापित हो चुकी हैं। पीढ़ियों से हमारे देश के समाज ने महिलाओं पर ने केवल व्यर्थ के प्रतिबन्ध और कुरीतियां थोपी हैं बल्कि महिलाओं की क्षमताओं पर संदेह किया है और उनके सपनों को सीमित किया है। फिर भी अगर हम पीछे मुड़कर देखें, तो इतिहास असाधारण महिलाओं से भरा पड़ा है जिन्होंने इन बाधाओं को तोड़ा है और साबित किया है कि आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प किसी भी बाधा को पार कर सकता है। चाहे वो 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में विदेशी हुकूमत के छक्के छुड़ाने वाली झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई हो या अभी हाल में पकिस्तान के खिलाफ पूर्ण हुए ऑपरेशन सिन्दूर की जिसमे देश की सेना में दो बहादुर महिलाओं सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह की असाधारण युद्ध क्षमता ने साबित कर दिया कि महिलायें किसी से कम नहीं। और इसी नेतृत्व की परंपरा में एक नाम और जुड़ता है वह है उत्तर प्रदेश के विशाल स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा नेटवर्क की प्रणेता डॉ. ऋचा मिश्रा जिन्होंने ग्रामीण महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के मिशन के साथ केवल रूढ़ियों को तोड़ा है बल्कि खुद को एक सशक्त परिवर्तनकारी महिला के रूप में भी स्थापित किया है। 


डॉ. ऋचा मिश्रा चिकित्सा प्रशासन में एक प्रतिष्ठित नाम हैं जो अपनी असाधारण योग्यता और स्वास्थ्य सेवा एवं सामुदायिक कल्याण के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं। पुणे विश्वविद्यालय से अस्पताल प्रबंधन में पीएचडी के साथ उन्होंने स्विस स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट और जिनेवा से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की है, जिसके साथ उन्हें वाशिंगटन विश्वविद्यालय से स्वास्थ्य में नेतृत्व और प्रबंधन में फेलोशिप भी प्राप्त है। उनकी शैक्षिक यात्रा में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री शामिल है, जो आईआईबीएम से कार्मिक प्रबंधन में एक मजबूत आधार पर आधारित है।

शायद इसी उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता से प्रेरित डॉ. ऋचा मिश्रा ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में रोगी देखभाल, शिक्षा और सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिससे एक दूरदर्शी नेतृत्व के रूप में उनकी प्रतिष्ठा और मजबूत हुई है।

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Hind Institute of Medical Sciences ...

डॉ. ऋचा मिश्रा जो केवल एक वरिष्ठ चिकित्सक ही नहीं बल्कि राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित शेखर हॉस्पिटल, हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बाराबंकी, हिंद इंटर ऑफ मेडिकल साइंसेज सीतापुर, अद्यान्त  इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, श्री बालाजी चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी, चेयरपर्सन और निदेशक भी हैं। जिन्होंने अपनी संघर्ष यात्रा में लैंगिक भेदभाव से लेकर व्यवस्थागत बाधाओं तक हर तरह की चुनौतियों का सामना किया है। विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करके, उन्होंने न केवल गुणवत्तापूर्ण देखभाल की परिपाटी स्थापित की है बल्कि अनगिनत युवा महिलाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित भी किया है। उनकी कहानी एक सशक्त प्रेरणा है कि महिलाओं को जब जब मौका दिया जाता है, तो वे उद्योगों, समुदायों और उन सीमाओं को नया रूप दे सकती हैं। इसीलिए डॉ ऋचा मिश्रा ने शेखर हॉस्पिटल, हिंद मेडिकल एंड नर्सिंग कॉलेज के बाद आगे बढ़ते हुए योगी सरकार की मिशन शक्ति नीति पर काम करते हुए राजधानी लखनऊ में नारी शक्ति को समर्पित अद्यांत हॉस्पिटल एंड इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज को स्थापित किया। जो मुख्य रूप से मेडिकल के क्षेत्र में देश के वह एकलौते संस्थान बनने की तरफ अग्रसर है जिसमे केवल नारी शक्ति ही शिक्षा लेगी। यानि देश के एक मात्र मेडिकल कॉलेज होगा जहाँ सिर्फ महिलाएं ही पढ़ेंगी और अपने घर समाज और देश का नाम रोशन करेंगी। और शायद यही कारण रहा कि डॉ ऋचा मिश्रा को विभिन्न मंचों से कई बार बड़ी उपाधियों से सम्मानित किया गया।  

Dr. Richa Mishra - Director of Shekhar Hospital


डॉ ऋचा मिश्रा की नेतृत्व क्षमता की सशक्त यात्रा की शुरुआत 1996 में नासिक के एक निजी अस्पताल में प्रबंधन कार्यकारी के रूप में शुरू हुई। इस शुरुआती अनुभव ने उद्योग पर व्यापक प्रभाव डालने के उनके दृष्टिकोण को जन्म दिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने लखनऊ में अपना खुद का स्वास्थ्य सेवा संस्थान - एक साधारण 50-बिस्तर वाला अस्पताल और नर्सिंग स्कूल - स्थापित करने का बीड़ा उठाया। डॉ ऋचा मिश्रा बताती हैं कि अपने उस अस्पताल को संचालित करते समय मुझे एहसास हुआ कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की कितनी कमी है जिसके कारण मुझे नर्सों और पैरामेडिक्स के लिए शिक्षा व्यवस्था को शुरू करने की प्रेरणा मिली।"

और इसी कमी को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर मैंने अपना पहला नर्सिंग कॉलेज स्थापित किया, जो अंततः बाराबंकी में एक पूर्ण मेडिकल कॉलेज, हिंद आयुर्विज्ञान संस्थान में विकसित हुआ, जहाँ वे निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। इस संस्थान की सफलता के बाद, उन्होंने सीतापुर में एक और चिकित्सा और स्नातकोत्तर संस्थान की स्थापना की। एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए कम से कम 800 बिस्तरों की आवश्यकता होती है जो न केवल स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है बल्कि क्षेत्र में महत्वपूर्ण रोजगार भी प्रदान करता है।

डॉ. ऋचा की उपलब्धियाँ केवल चिकित्सा संस्थानों तक ही सीमित नहीं रहीं। इन वर्षों में, उन्होंने ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण पर अपना ध्यान केंद्रित किया कुल मिलाकर दो मेडिकल कॉलेज, सात अस्पताल, पाँच नर्सिंग कॉलेज, तीन पैरामेडिकल कॉलेज, दो स्कूल और यहाँ तक कि एक फैशन डिजाइनिंग कॉलेज भी बनवाया। 

Dr Richa Mishra


पर डॉ ऋचा मिश्रा के लिए असफलताओं से सफलता तक का सफर इतना आसान नहीं रहा उनके संघर्ष से शिखर तक पहुंचने का मार्ग चुनौतियो से भरा हुआ रहा है। लेकिन आर्थिक तंगी, लैंगिक असमानता और यहाँ तक कि परिवार के संदेह जैसी कई चुनौतियों के बावजूद उन्होंने लगातार आगे बढ़ना जारी रखा। डॉ ऋचा मिश्रा बताती हैं कि सफलता कभी आसानी से नहीं मिली मुझे कई असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन हर असफलता ने मुझे और मज़बूत और दृढ़निश्चयी बनाया। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में एक महिला नेतृत्व और प्रबंधक के रूप में मुझे अप्रत्याशित रूप से पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ा। डॉ ऋचा मिश्रा बताती हैं कि लोग अक्सर मेरी क्षमताओं से ज़्यादा मेरे रूप-रंग पर ध्यान देते थे। इसलिए प्रशंसा के बजाय मुझे आलोचना और संदेह का सामना करना पड़ा।" सीमित धन के कारण उन्हें सौदेबाजी और बातचीत के लिए साझेदारियों की तलाश करनी पड़ी और अक्सर व्यवसाय का चेहरा बनकर आगे बढ़ना पड़ा। हालाँकि  व्यवसाय की सफलता के बाद इनमें से कुछ साझेदारियाँ टूट भी गईं। फिर भी मैंने इन जरुरी और अप्रत्याशित अनुभवों से प्रेरणा लेकर खुद को दृढ़ संकल्प के साथ स्थापित किया।  

इसी बाधाओं और कठिन परिश्रम से भरी उनकी इस यात्रा ने उनके संगठन के भीतर संस्कृति को आकार दिया है, और एक ऐसा माहौल बनाया है जहाँ टीम का हर सदस्य मूल्यवान और सशक्त महसूस करता है। डॉ ऋचा बताती हैं कि अगर आप कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं, तो याद रखें कि आप इसे अकेले नहीं कर सकते। एक सहयोगी टीम बनाना, ज्ञान साझा करना और अहंकार को दूर रखना सच्ची सफलता के लिए ज़रूरी है।

 

और अब भविष्य की ओर देखते हुए, डॉ. ऋचा अपने संस्थानों को स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की कल्पना करती हैं, जिसका मिशन दोनों क्षेत्रों में मानकों को ऊँचा उठाना है। उनका लक्ष्य न केवल पहुँच का विस्तार करना है, बल्कि उत्कृष्टता के ऐसे केंद्र स्थापित करना है जो ग्रामीण समुदायों और समग्र समाज, दोनों को लाभान्वित करें। सतत विकास और प्रभाव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, वह कहती हैं मैं चाहती हूँ कि मेरे संस्थान स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में मानक स्थापित करें और अपने संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति के लिए गुणवत्ता और सशक्तिकरण सुनिश्चित करें।"

Dr. Richa Mishra Mam- Director of Shekhar Hospital and Chairperson of Hind  Institute of Medical Sciences Lucknow..

डॉ. ऋचा शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाओं, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह कहती हैं कि मेरा हमेशा से लक्ष्य महिलाओं के विकास और स्वतंत्रता का समर्थन करके बदलाव लाना रहा है। 

अपने संघर्ष मार्ग पर विचार करते हुए डॉ. ऋचा आत्मविश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देती हैं। उनका मानना ​​है कि महिलाओं को वास्तव में सफल होने के लिए अपने परिवारों और सामाजिक दायरे से मज़बूत समर्थन की आवश्यकता होती है। वह बताती हैं बाधाएँ व्यवसाय से परे होती है वे अक्सर पारिवारिक अपेक्षाओं और सामाजिक धारणाओं में निहित होती हैं। लेकिन आत्मविश्वास महत्वपूर्ण है। यही आत्मविश्वास साहस का रूप लेकर आपको आहे बढ़ने का हौसला देता है। डॉ ऋचा मिश्रा का कहना है कि जीत यानि सफलता का यह सफ़र आसान नहीं है लेकिन डर को खुद पर हावी न होने दें। पुरुष प्रतिस्पर्धी व्यवस्था और उद्योग की बाधाएँ कठिन होती हैं लेकिन सफलता के लिए दृढ़ता और लचीलापन ज़रूरी है। बस आपको चलते जाना है असफलताओं से घबड़ाकर रुकना नहीं है बस चलते जाइये सफलता एक न एक दिन जरूर मिलेगी।

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