डॉ. विवेक कुमार यादव के साथ,डायग्नोस्टिक सेंटर पर सबसे बड़ा इंटरव्यू

जब हम किसी बीमारी का शिकार होते हैं, तो सबसे पहले डॉक्टर हमें जांच कराने की सलाह देते हैं। इन जांचों के परिणामों के आधार पर ही इलाज की दिशा तय की जाती है। अगर हम सीधे कहें, तो आज की चिकित्सा व्यवस्था में डायग्नोस्टिक सेंटरों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। ये सेंटर न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी देते हैं, बल्कि डॉक्टरों को सही इलाज निर्धारित करने में भी मदद करते हैं। हालांकि, इन जांचों के विषय में आमतौर पर हमें ज्यादा जानकारी नहीं होती, और हम यह नहीं समझ पाते कि आखिर ये जांचें कैसे काम करती हैं और किस उद्देश्य के लिए की जाती हैं।इसी विषय पर और अधिक जानने के लिए, हमने बात की है उत्तर प्रदेश के जाने-माने रेडियोलॉजिस्ट और सिग्मा इमेजिंग एंड डायगनोस्टिक सेंटर के डायरेक्टर, डॉ. विवेक कुमार यादव से। डॉ. यादव ने हमें इस क्षेत्र की गहरी जानकारी दी है और बताया है कि डायग्नोस्टिक सेंटर किस तरह से हमारी सेहत को बेहतर समझने में मदद करते हैं और कैसे ये जांचें हमारे इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

डायग्नोस्टिक सेंटर खोलने से पहले आपको ये बातें जाननी चाहिए

सवाल 1: डायग्नोस्टिक सेंटर जाने से पहले हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक  हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम जो जांच कराने जा रहे हैं, उसके लिए क्या तैयारी चाहिए। जैसे कुछ जांचों के लिए खाली पेट जाना जरूरी होता है, जैसे ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड। इसके अलावा, जांच की प्रकृति और तकनीक के आधार पर सावधानियां रखनी होती हैं।

सवाल 2: कौन-कौन सी जांचें होती हैं जो डायग्नोस्टिक सेंटर में की जाती हैं?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक  डायग्नोस्टिक सेंटर में मुख्य रूप से रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी से संबंधित जांचें होती हैं। इसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एक्सरे, एमआरआई, ब्लड और यूरिन टेस्ट, हार्मोनल टेस्ट, और जेनेटिक टेस्ट शामिल हैं।

सवाल 3: क्या कोई ऐसी जांचें हैं जो अभी तक संभव नहीं हो पाई हैं?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक  कोई भी जांच आजकल असंभव नहीं है, लेकिन कुछ बीमारियों का डायग्नोसिस करना कठिन होता है क्योंकि उनके स्पष्ट लक्षण नहीं होते। जैसे अल्जाइमर और कुछ अन्य बीमारियां जिनके लक्षण अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं, उनका सही निदान थोड़ा मुश्किल होता है।

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सवाल 4: सीटी स्कैन और एमआरआई में क्या अंतर है?

उत्तर: सीटी स्कैन एक्सरे आधारित तकनीक है और हड्डियों जैसी संरचनाओं को बेहतर दिखाता है, जबकि एमआरआई एक मैग्नेटिक फील्ड पर आधारित तकनीक है जो सॉफ्ट टिश्यू, जैसे ब्रेन, जॉइंट्स और टेंडन की समस्याओं को बेहतर तरीके से दिखाती है।

सवाल 5: क्या सीटी स्कैन और एमआरआई की जांचों से शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक ..हां, सीटी स्कैन से विकिरण का प्रभाव पड़ता है, जो शरीर के टिश्यूस पर असर डाल सकता है। अत्यधिक विकिरण से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी हो सकता है। हालांकि, एमआरआई में विकिरण नहीं होता क्योंकि यह मैग्नेटिक फील्ड पर आधारित होती है।

सवाल 6: सिटी स्कैन और एमआरआई महंगे क्यों होते हैं?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक .. इन दोनों जांचों में अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग होता है, जिनकी कीमत बहुत अधिक होती है, साथ ही इन मशीनों का रखरखाव भी महंगा होता है, यही वजह है कि इनकी जांचें महंगी होती हैं।

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सवाल 7: अल्ट्रासाउंड से कौन-कौन सी जांचें की जा सकती हैं?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक .. अल्ट्रासाउंड एक सुरक्षित और सस्ती जांच है, जिसका उपयोग लिवर, किडनी, पित्ताशय, पैनक्रियाज, और गर्भावस्था जैसी जांचों के लिए किया जाता है। इसमें कोई विकिरण नहीं होता और यह बहुत प्रभावी होती है।

सवाल 8: क्या डायग्नोस्टिक सेंटर पर व्यवसायिक प्रभाव होते हैं?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक ..हां, कुछ सेंटरों में व्यवसायिक दृष्टिकोण से मशीनें पुरानी हो सकती हैं और डॉक्टर की बजाय नॉन-प्रोफेशनल लोग काम कर रहे होते हैं, जो डायग्नोसिस की सटीकता पर असर डाल सकते हैं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, लेकिन सरकार इस पर नियंत्रण रख रही है।

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सवाल 9: क्या पथरी की जांच में भ्रांतियां हैं?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक .. हां, पथरी की विभिन्न प्रकारें होती हैं। पित्ताशय की पथरी अल्ट्रासाउंड से अच्छे से दिखती है, जबकि कुछ गुर्दे की पथरियां केवल सिटी स्कैन में ही नजर आती हैं। इस कारण से लोगों को पथरी की जांच से संबंधित भ्रम हो सकता है।

सवाल 10: क्या बिना जांच के इलाज संभव है?

डॉ विवेक कुमार यादव मुताबिक .. आजकल चिकित्सा क्षेत्र में जांचों का प्रचलन बढ़ गया है क्योंकि इससे डॉक्टर को इलाज की दिशा निर्धारित करने में मदद मिलती है। हालांकि, कुछ मामलों में बिना जांच के भी उपचार किया जा सकता है, लेकिन डायग्नोस्टिक रिपोर्ट से उपचार की दिशा अधिक सटीक होती है।

इस बातचीत से हमें यह साफ़ समझ में आता है कि डायग्नोस्टिक सेंटरों की भूमिका आज के चिकित्सा क्षेत्र में कितनी अहम है... ये सेंटर न सिर्फ हमारी बीमारियों का सही पता लगाने में मदद करते हैं, बल्कि सही इलाज की दिशा भी तय करते हैं। डॉ. विवेक कुमार यादव ने जो जानकारी हमें दी, वह न केवल हमारे स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाती है, बल्कि हमें यह भी समझाती है कि आधुनिक चिकित्सा तकनीक ने किस तरह से उपचार के तरीके को और अधिक सटीक और प्रभावी बना दिया है। इसलिए, अगली बार जब हम किसी जांच के लिए जाएं, तो यह जानने का प्रयास करें कि इन जांचों के जरिए हम अपनी सेहत के बारे में कितना महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, और कैसे यह हमारे इलाज को और अधिक सफल बना सकता है। सही जानकारी ही सही इलाज की कुंजी है, और यही आज की चिकित्सा व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत है। तो अगर आप भी सही इलाज पाना चाहते हैं ...और सटीक जांच करना चाहते हैं 

तो सोचना क्या सम्पर्क करें 

सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नॉस्टिक्स
(विश्वास से समर्पण तक)

एल.जी.एफ.लीला टॉवर, खसरा नं. 120, रायपुर, आई.आई.एम रोड, लखनऊ 

मोबाइल नंबर 
9129436669, 9198196669

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