सीटी स्कैन पर सबसे बड़ा इंटरव्यू

सीटी स्कैन पर सबसे बड़ा इंटरव्यू
जब भी हम बीमार पड़ते हैं या शरीर में कोई तकलीफ महसूस होती है, तो सबसे पहले डॉक्टर हमें किसी न किसी जांच की सलाह देते हैं। और इन्ही जांचों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है बैसे भी तमाम तरह की जांचे चिकित्सा क्षेत्र में की जाती है पर आज हम बात करने जा रहे सीटी स्कैन जाँच की । एक ऐसी जांच जो बिना चुभन के, बिना दर्द के, शरीर के भीतर की तस्वीरें खींच लाती है।पर क्या वाकई सीटी स्कैन इतना आसान और सुरक्षित है? क्या इससे शरीर को कोई नुकसान तो नहीं? कितनी सटीकता के साथ आपकी बीमारी की जानकारी हो सकती है कुछ इन्हीं सारे सवालों का जवाब जानने के लिए हमने बातचीत की रेडियोलॉजी के क्षेत्र में लंबा अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ डॉ. विवेक कुमार यादव से, जो उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक भी हैं....तो चलिए बताते हैं ,उनसे बातचीत में क्या कुछ खास जानकारी मिली
क्या है यह सीटी स्कैन?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट और सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि देखिए सिटी स्कैन एक तरह की एक्सरे की ही एडवांस वर्जन समझ लीजिए। जैसे एक्सरे में हम एक बीम से रेज या किरणे डालते हैं। वैसे ही सीटी स्कैन एक बड़ी मशीन हो गई जिसमें कई तरह से रेज डालकर और बॉडी को छोटे-छोटे सेक्शंस में बाँट कर और उसकी इमेजिन कर सकते हैं।
इसमें कौन सी तकनीक का उपयोग किया जाता है?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि एक्सरे तकनीक ही सीटी स्कैन में भी यूज़ होती है। बट थोड़ा हाई रेंज के एक्सरेज होते हैं। तो इसमें अलग-अलग तकनीक उपयोग में लायी जाती है। मतलब एक ही तरीके का देखिए कि एक्सरे को हम शरीर पर डाल रहे हैं। फिर उसको डिटेक्ट करके उससे इमेज बना रहे हैं। बेसिक तकनीक एक्सरे ही है।
कितने तरह की होती है सीटी स्कैन ?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि सीटी स्कैन शरीर के अलग अलग अंगों पर निर्भर करता है। जैसे ब्रेन का सीटी स्कैन हमने करा लिया। बॉडी में चेस्ट का थोरेक्स का सिटी स्कैन हो गया। एब्डोमेन में पूरे पेट का सिटी स्कैन हो गया या कभी कोई हड्डी टूटी फ्रैक्चर हुआ चोट लगी तो हड्डी का भी आप सीटी स्कैन करा सकते हैं।
किन-किन बीमारियों में हमें जैसे सीटी स्कैन की जांच ज्यादा मतलब जरूरी मानी जाती है?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट और सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि देखिए पहले तो ट्रॉमा के केस में जैसे कहीं चोट हुआ, एक्सीडेंट हुआ तो उसमें सिटी बहुत ही बेहतरीन एक मॉडलिटी क्योंकि उसमें टाइम बहुत कम लगता है और कोई चीज आप कराने जाओ जैसे अल्ट्रासाउंड कराने जाओ या फिर एमआरआई कराने जाओ तो उसमें टाइम लगता है। पेशेंट को लेटना पड़ेगा। काफी देर की प्रक्रिया होती है इसमें 15-20 मिनट लगेगा। वहीं सीटी स्कैन में समय नाम मात्र का लगता है? आपने टेबल पर मरीज को लिटाया मरीज बहुत दर्द में है। हड्डी टूटी है उसकी तो महज 2 सेकंड के अंदर सिटी स्कैन आपका हो जाएगा पूरे बॉडी का और कहां पे हड्डी टूटी है, कहां ब्लीड हो रहा है, सब चीजें पता चल जाएंगी। तो एक तो ये हो गया सीटी स्कैन ट्रॉमा में बहुत फायदेमंद है। दूसरी चीजें क्या है कि कुछ कैंसर अगर डिटेक्ट हो गया। मान लीजिए अल्ट्रासाउंड में हमें कैंसर की संभावना लगी तो उसमें हम कंट्रास्ट सीटी स्कैन की सलाह देते हैं हैं ये देखने के लिए कि कैंसर कहां का कितने दूर फैला हुआ है और उसके मतलब कितने दूर तक मेटास्टेसिस हुई है। लिवर में पहुंचा है की नहीं है। आसपास कोई लिंफ नोड है कि नहीं। आसपास कितना फैला हुआ है। ये सब जानने के लिए हम सीटी स्कैन कराते हैं। तो एक तरह से हम उसकी स्टेजिंग करते हैं कि कैंसर कितना एडवांस हुआ है।
कई बार सीटी स्कैन और रिपोर्ट में कुछ अंतर भी आता है क्या?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि ऐसा नहीं है कि शरीर में जो भी है वो सीटी स्कैन में निकलकर सामने आ जाता है। अगर हम बीमार हैं उसके कारण जो भी हमारे शरीर में बदलाव आ रहे हैं क्योंकि सीटी स्कैन हम शरीर की ही इमेज बना रहे हैं जो भी बदलाव हैं। सीटी स्कैन में आ ही जातें हैं।
सीटी स्कैन के माध्यम से कितनी प्रतिशत बीमारी का खुलासा हो जाता है?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट और सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि देखिए जैसे हमने बताया कुछ चीजें हैं जो बहुत सटीकता से हम सिटी स्कैन जांच में बता सकते हैं। जैसे दिमाग में अगर तुरंत अभी एक्सीडेंट हुआ और दिमाग में ब्लीड या रक्तस्त्राव हुआ है।उसमे अगर एक घंटे के अंदर आप अगर सीटी स्कैन करा लेते हो तो तुरंत आपको पता चल जाएगा। उसमें ब्लीड हुआ है। सीटी स्कैन में वो अलग से ही चमकता है अब वही अगर ब्लीड 5 दिन, 10 दिन, 15 दिन हो गया तो सीटी स्कैन पर पकड़ में थोड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि फिर उसकी इंटेंसिटी कम होती जाती है। इसी तरह से हमारे जैसे छाती में टीबी रोग होता है। टीबी के लिए अगर हम सीटी स्कैन कराते हैं तो बहुत अच्छे से डिटेक्ट हो जाता है। कहीं कैविटी बनी है कहीं इंफेक्शन है। पेट में कहीं पर पानी है, कोई गांठ बन रही है। वो सारी समस्या सीटी स्कैन में बहुत अच्छे से डिटेक्ट जाती सामने आ जाती है है।
इसमें क्या आपको लगता है कि ये कितने प्रतिशत बीमारी का खुलासा कर देती है?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट और सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि देखिए अब देखिए ज्यादातर सीटी स्कैन जाँच से 80 से 90% चीजें हमको पता चल जाती हैं। कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनको डिटेक्ट करना थोड़ा कठिन होता है। फिर उसके लिए और भी चीजों को हमको इनवॉल्व करना पड़ेगा। जैसे आपको बताएं एक छोटी सी बात पित्ताशय की पथरी की ये वो है जो अल्ट्रासाउंड जांच में बहुत अच्छे से दिखती है। लेकिन आप सीटी स्कैन स्कैन करोगे तो सीटी स्कैन में पथरी दिखेगी ही नहीं। नॉर्मल रिपोर्ट आ जाएगी। अगर डॉक्टर को नहीं पता है कि अल्ट्रासाउंड में पथरी आई या मरीज ने नहीं बताया कि पथरी आई है। क्योंकि उसके जो स्टोंस या पथरी होते हैं वो एक्सरे बीम उसमें से आरपार पास हो जाती है। तो वो आपको सीटी स्कैन में आपको दिखेगा नहीं। तो ऐसी कुछ-कुछ बीमारियां हैं जो थोड़ी सी मतलब एक्सरे करा लो, एमआरआई करा लो। इसीलिए हिस्ट्री देना बहुत जरूरी है कि मरीज जब भी जांच के लिए जा रहा है तो वो प्रॉपर मेडिकल हिस्ट्री डॉक्टर को बताएं कि हमको ये ये सा,समस्यायें है और हमने इससे पहले हमने ये जांचे कराई हैं। तो उससे फिर जुड़कर अच्छी रिपोर्ट एक बनाई जा सकती है।
जैसा कि आपने बताया कि अभी किसी का एक्सीडेंट हुआ तो टाइम ड्यूरेशन क्या होना चाहिए कि हमें एक्चुअल कंडीशन पता चल जाए?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट और सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के निदेशक डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि मान लीजिए किसी कारणबश हमने लेट कर दिया क्योंकि आजकल हॉस्पिटल्स में कभी-कभी होता है ना कि नंबर आने पर डिपेंड करता है तो कितना मतलब टाइम ड्यूरेशन का ध्यान रखना होगा। देखिए डिटेक्ट तो वो हो जाएगा देर से लेकिन भी लेकिन जब सबसे जल्दी जानकारी या डिटेक्शन जो ब्लड का होता है वो सिटी स्कैन पर ही होता है। ब्रेन में जो ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है वो पता चल जाता है ।यानि जब एक्सीडेंट हुआ तो आप तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाओ तुरंत डिटेक्ट हो जाएगा। जी मतलब आपकी जानकारी में ऐसा कुछ ऐसा आता है जैसे ब्रेन हैमरेज का केस हुआ कुछ ऐसा तो आपको सिटी स्कैन कराना ही है।
कितने समय अंतराल सीटी स्कैन हो जाना चाहिए जिससे कि मरीज का इलाज कर उसे बचाया जा सके?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि देखिए कोई भी एक्सीडेंट होता है तो टाइम जितना जल्दी हम बचाएं करें उतना ज्यादा बेहतर है। जितनी जल्दी उसको अस्पताल पहुंचाएं और सबसे पहले पेशेंट को स्टेबलाइज करना जरूरी है। सिर्फ जांच ही जरूरी नहीं होती है। मरीज आया है है वो बेहोश है। उसके मुंह में कुछ पड़ा हुआ है वो सांस नहीं ले पा रहा है। उसमें हम सीटी स्कैन तुरंत नहीं करेंगे। पहले उसकी थोड़ी सी कंडीशन स्टेबल करेंगे और देख्नेगे कि मरीज सांस ले पा रहा है अच्छे से की नहीं बाकी अंग ठीक है या नहीं । बीपी वगैरह सब ठीक है कि नहीं तो फिर उसका हम सीटी स्कैन करते हैं
क्या सीटी स्कैन में का शरीर पर कोई दुष्प्रभाव होते हैं? क्या कैंसर भी हो जाता है?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि मैंने आपको बताया कि सीटी स्कैन में एक्सरेज निकलती हैं और कोई भी रेज या किरणे हमारे जब स्किन पर पड़ती है तो नुकसान तो होता ही है जैसे जब हम सूरज की रौशनी में जाते हैं तो सन रेज यने सूर्य की रोशनी से भी एक्सरे हो जाता है। उससे भी कैंसर हो सकता है है। स्किन कैंसर हो जाता है। तो वैसे ही एक्सरे भी एक विकिरण है। कि हमारे शरीर पर अगर ज्यादा पड़ गया तो वो कैंसर की संभावना रहती है। लेक्किन उतना इतना हाई डोज़ एक बार में आपको नहीं मिलता कि उससे तुरंत कैंसर हो जाए। हां लेकिन विकिरण की संभावना तो होती ही है मतलब आपने साल में एक बार सिटी करा ली छ महीना या एक साल का अंतराल में ही दोबारा कराइये उससे जल्दी मत दोबारा कराइए। सीटी स्कैन बार बार नहीं कराना चाहिए ये नहीं कि आज कराया और फिर 10 दिन बाद दोबारा करा रहे हैं। टाइम टाइम ड्यूरेशन होना चाहिए।
कितना टाइम लगता है सीटी स्कैन में?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि सिटी स्कैन डिपेंड करता है कि हम किस पार्ट का करा रहे हैं और मशीन हमारी कितनी फास्ट है। जैसे शुरुआत में जब सीटी आनी शुरू हुई तो सिंगल स्लाइस आती थी एक स्लाइस। तो उसमें एक ब्रेन का भी आपको करने में 10 से 15 मिनट लगते थे। तो आजकल की सीटी मशीन पूरे बॉडी को 6 सेकंड के अंदर भी स्कैन कर सकती हैं। जो हाई एंड मशीनें आ रही हैं 256 स्लाइस, 300 स्लाइस, 500 स्लाइस वो 6 सेकंड के अंदर पूरे शरीर का आपके स्कैनकर देती हैं।
ये खाली पेट आना है कुछ खाकर आना है पेशेंट को क्यों बोला जाता है?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि अगर हम बात करें कि पेट का अगर सीटी स्कैन कराना है या बॉडी में किसी और पार्ट का कराना है देखिये जैसे सीटी स्कैन एक तो प्लेन होती है। बिना कंट्रास्ट लगाए हम करते हैं। तो उसमें कोई ऐसा नियम नहीं कि आप खा के ना खा के आओ। लेकिन जो कंट्रास्ट सीटी स्कैन होती है जिसमें हम डाई लगाते हैं नसों के द्वारा तो उसमें हम प्रेफर करते हैं कि मरीज खाली पेट रहे क्योंकि डाई के रिएक्शन से कभी कभी मरीज को उल्टी होने की संभावना रहती है। क्योंकि अगर उसने कुछ खाया है तो वो उल्टी करेगा तो उसके लंग्स यानि फेफड़ों में चला जाएगा। तो इसलिए खाली पेट अगर रहेगा तो ज्यादा बेहतर होगा।
किन लोगों को सीटी स्कैन कराने से बचना चाहिए?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि देखिए एक तो जैसे बताया कि उसमें विकिरण होती है तो सबसे पहले कॉन्ट्रा इंडिकेशन है प्रेग्नेंट औरतों को नहीं कराना चाहिए बिल्कुल भी। अगर आपको थोड़ी भी शंका है पीरियड मिस हुआ है तब भी आप बता दीजिए कि प्रेगनेंसी के चांसेस हैं। तो आप सिटी स्कैन और एक्सरे दोनों कराएं इस दशा में।
सीटी स्कैन को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं। क्या मैसेज देना चाहेंगे आप?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि भ्रांतियां हर चीज को लेकर होती है लेकिन सीटी स्कैन स्कैन एक बहुत ही अच्छी जांच विधि है। अगर कुछ जांचे हैं जैसे एक आप लिवर की एक गांठ ले लो। लिवर में बहुत तरह से गांठे हो सकती है। मान लीजिए वह इनफेक्टिव है या कैंसरस है या सिंपल सिस्ट बना हुआ है तो सीटी स्कैन अगर कंट्रास्ट हम करा के देखेंगे तो उसमें पता चल जाता है अगर वो कंट्रास्ट बहुत तेजी से ले रहा है तो वो कैंसर है। कंट्रास्ट नहीं जा रहा है तो वो एब्सिस हो सकती है। फ्लूइड हो सकती है। तो ऐसे परिस्थति में सीटी स्कैन बहुत अच्छीजांच विधि है जो साफ़ साफ हमको बता देगी कि कि मतलब है समस्या आखिर है क्या?
पेशेंट आते होंगे जो एमआरआई कराते हैं, एक्सरे कराते हैं और सिटी स्कैन भी कराते हैं। ठीक है? तो इन तीनों में आपको क्या लगता है? एक बड़ा अंतर क्या है ?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा किअगर हम ओवरऑल इन तीनों की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा जो रेज़ होती है वो किस जांच तकनीक सबसे ज्यादा नुकसान करती हैं? देखिए रेज तो सीटी और एक्सरे में ही होता है। एमआरआई में कोई रेज नहीं होती है। ठीक है? तो एमआरआई सेफ है। उसमें कोई रेडिएशन नहीं है। अल्ट्रासाउंड में भी कोई रेडिएशन नहीं है। रेडिएशन वाली दो ही जांचे हैं। एक्सरे और सिटी स्कैन। तो बस रेडिएशन का जो भी खतरा है इन्हीं दोनों से है। मतलब रेडिएशन में बस इनहीं दोनों से खतरा है। अच्छा जैसे किसी ने पेशेंट ने कराया स्कैन ये सिटी स्कैन कराया। तो क्या मतलब हमारे आसपास हमारी फैमिली मेंबर या हमारे साथ कोई हमारे साथ जा रहा है हमें स्कैनिंग के लिए जाने क्योंकि किसी के साथ की जरूरत होती है वहां किसी को साथ ले जाने की। तो क्या उनपर भी रेज़ का नुकसान होता है तो ऐसा नहीं है तो अगर कोई साथ में उस कमरे में जा रहे हैं जिसमें सीटी स्कैन हो रहा है तब उनको रेज का खतरा का खतरा रहता है। बाकी आप साथ में हो तो कोई दिक्कत नहीं है। ये केवल एक भ्रान्ति है कि साथ में जो रहता है उसको भी खतरा होता है।
सरल भाषा में आप सीटी स्कैन, एमआरआई और एक्सरे के बारे में तो क्या बताएंगे?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ विवेक कुमार यादव ने कहा कि अगर हड्डियों के बारे में कोई चीज जाननी है कि हड्डी में फ्रैक्चर है या हड्डी टूटी है कि नहीं है तो उसके लिए एक्सरे या सीटी स्कैन बहुत अच्छी जाँच है। उसमें बोन बहुत अच्छे से दिखती है। छोटा सा भी अगर कहीं चिप फ्रैक्चर भी हुआ है तो वो भी बहुत अच्छे से दिख जाएगा। वहीं पर अगर हम बात करें कि गॉल ब्लैडर या हेपेटोबिलेरी सिस्टम जिसको हम बोलते हैं गॉल ब्लैडर आ गया, लीवर आ गया उसमें पूरी सीबीडी और ये सब चीजें आ गई। उसका अगर कोई बीमारी हुई है, उसमें पथरी है, कैंसर है, कोई चीज हो रही है तो एमआरआई में बहुत अच्छे से दिखेगी। तो मोटा-मोटा अगर कहें तो सॉफ्ट टिश्यू हमारे जो हो गए जैसे हमारी स्किन हो गई, फेशिया हो गई, मसल हो गई। ये सब का डिफरेंशिएशन एमआरआई में बहुत अच्छे से दिखता है। देखिए तीनों अलग-अलग तरह की जांचे हैं और अलग-अलग चीजों के लिए एडवाइस होती है। अलग-अलग चीजें डिटेक्ट करने के लिए होती हैं। बेसिक हम जो है शुरू करते हैं अल्ट्रासाउंड से ही। अल्ट्रासाउंड सबसे सुरक्षित भी है, सस्ता भी है। अगर अल्ट्रासाउंड में कोई बीमारी पकड़ में आई है और वो क्लियर नहीं हो पा रही तो फिर उसका हम सीटी स्कैन कराते हैं और उससे भी समस्या स्पष्ट नहीं हो पा रही है तो फिर हम एमआरआई की तरफ बढ़ते हैं अल्ट्रासाउंड सस्ता है आपका। सीटी स्कैन उससे महंगा है, एमआरआई उससे भी महंगा है। जैसे ब्रेन का कोई दिक्कत है, स्पाइन का कोई दिक्कत है, जॉइंट्स का कोई दिक्कत है तो ये सब सॉफ्ट टिश्यू में है तो एमआरआई सबसे बेहतर है उसके लिए। बाकी समस्याओं के सीटी स्कैन बढ़िया है
किसी भी रोग या समस्या से सम्बंधित सभी प्रकार की जाँचों के लिए संपर्क करें
डॉ विवेक कुमार यादव
डायरेक्टर
सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर
खसरा संख्या 120, लीला टावर,
एलजीएफ,बैंक ऑफ बड़ौदा के नीचे,
महर्षि विश्वविद्यालय के सामने,आईआईएम रोड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश 226013
संपर्क करें--- 9793636669
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