डॉ ज़रशा सिद्दीकी, डर्मेटोलॉजिस्ट ने बताया स्किन पिगमेंटेशन का सफल उपचार

डॉ ज़रशा सिद्दीकी, डर्मेटोलॉजिस्ट ने बताया स्किन पिगमेंटेशन का सफल उपचार
किसी भी इंसान के व्यक्तित्व में चेहरे की बहुत बड़ी भूमिका होती है हर इंसान का प्रयास रहता है कि उसका चेहरा खूबसूरत और बेदाग़ रहे और अगर बात हम नारी शक्ति की करें तो आज के समय में महिलाएं अपने चेहरे के प्रति बहुत संवेदनशील रहती है क्योंकि नारी स्वरूप बिना खूबसूरत चेहरे के सम्पूर्ण ही नहीं होता तो आज के समय में आपके व्यक्तित्व को प्रभावी बनाने के लिए न केवल ज्ञान और पैसा ही जरुरी ही नहीं होता अच्छा चेहरा और खूबसूरत फिगर भी बड़ी अहमियत रखता है। पर कभी कभी व्यस्तता के चलते हम अपने चेहरे की उतनी देखभाल नही कर पाते जितनी होनी चाहिए और फिर शुरू होता है स्किन की यानि चेहरे से जुडी समस्याओं की शुरुआत -आज के समय में अमूनन त्वचा की समस्याये आम हो चुकी है क्योंकि न वो संतुलित जीवनशैली है न वो शुद्ध खानपान और न ही तनाव मुक्त जीवन। यूं तो चेहरे से जुडी कई समस्याएं आती हैं पर अगर आम समस्याओं की बात करें तो महिलाएं आजकल स्किन पिगमेंटेशन यानि झाइयों से पीड़ित देखी जाती हैं। इसलिए आज हम चर्चा करने जा रहे इसी महत्वपूर्ण समस्या स्किन पिगमेंटेशन यानि झाइयों पर और इस समस्या पर आज महत्वपूर्ण जानकारी दे रही हैं उत्तर प्रदेश की जानी मानी डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मोसाइन सायरा हॉस्पिटल लखनऊ की विभाग प्रमुख डॉ जरशा सिद्दीकी
क्या होती है ये स्किन पिगमेंटेशन?
इस महत्वपूर्ण समस्या पर जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश की जानी मानी डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मोसाइन सायरा हॉस्पिटल लखनऊ की विंभाग प्रमुख डॉ जरशा सिद्दीकी ने कहा कि पिगमेंटेशन का मतलब है त्त्वचा के रंग में होने वाले बदलाव जो मुख्य रूप से मेलानिन की मात्रा में असंतुलन के कारण होता है। मेलानिन एक प्राकृतिक पिगमेंट है जो हमारी त्वचा, बालों और आंखों को रंग देता है। और जब चेहरे पर मेलानिन ज्यादा हो जाता है तो चेहरे पर काले और भूरे धब्बे यानि स्पॉट हो जातें हैं इसी को हम स्किन पिगमेंटेशन यानि झाइयां
पिगमेंटेशन के कारण क्या क्या हैं?
इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश की जानी मानी डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मोसाइन सायरा हॉस्पिटल लखनऊ की विंभाग प्रमुख डॉ जरशा सिद्दीकी ने कहा कि सूरज की किरणों से निकलने वाली अल्ट्रावाइलेट रेज़ यानि – लम्बे समय तक धूप में रहने से मेलानिन का उत्पादन बढ़ सकता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव के समय जैसे प्रेग्नेंसी,थायरॉयड या पीसीओएस जैसी स्थितियों से भी स्किन पिगमेंटेशन हो सकते हैं।
इसके अलावा त्वचा की चोटें और मुंहासे कटने पर स्किन पर गहरे या हल्के निशान बन सकते हैं। और कई मामलो में दवाइयों के साइड इफेक्ट् जैसे कुछ एंटीबायोटिक्स या कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स भी स्किन पर असर डालकर आपको स्किन पिगमेंटेशन से पीड़ित कर सकते हैं .
स्किन पिगमेंटेशन कितने प्रकार होता है?
स्किन पिगमेंटेशन के प्रकारों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश की जानी मानी डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मोसाइन सायरा हॉस्पिटल लखनऊ की विंभाग प्रमुख डॉ जरशा सिद्दीकी ने स्किन पिगमेंटशन के प्रकारों के बारे में बताते हुए कहा कि एक होता हाईपर पिग्मेंटेशन, एक होता हाईपो पिग्मेंटेशन, और एक डीप पिगमेंटेशन। अब तीनो प्रकारों को ध्यान से जान लीजिए।
1. हाइपरपिगमेंटेशन----
जब त्वचा में मेलानिन का उत्पादन बढ़ जाता है, तो कुछ हिस्से सामान्य से गहरे रंग के हो जाते हैं। यह समस्या सूरज की किरणों, हार्मोनल बदलाव, या त्वचा की चोटों के कारण हो सकती है। यह त्वचा पर भूरे या गहरे रंग के धब्बों के रूप में दिखता है और ज्यादातर ज्यादातर गर्भावस्था, हार्मोनल बदलाव या ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के कारण होता है। इस समस्या से पीड़ित होने पर चेहरे पर गाल, माथे, और नाक के आसपास अधिक प्रभाव दिखता है।सन स्पॉट्स या एज स्पॉट्स हो जाते हैं और यह मुंहासे, एक्जिमा, सोरायसिस, या चोटों के कारण भी हो सकता है। ये पिग,पिगमेंटेशन सबसे ज्यादा लोगों को होता है।
2. हाइपोपिगमेंटेशन
इस बारे में बात करते हुए उत्तर प्रदेश की जानी मानी डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मोसाइन सायरा हॉस्पिटल लखनऊ की विंभाग प्रमुख डॉ जरशा सिद्दीकी ने कहा कि जब त्वचा में मेलानिन की कमी होती है, तो कुछ हिस्से हल्के रंग के हो जाते हैं। इसी को हाइपो पिगमेंटेशन कहा जाता है। हाइपोपिगमेंटेशन के मुख्य प्रकार:
विटिलिगो (Vitiligo) का नाम आता हैं यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम मेलानोसाइट्स पर हमला कर देता है इसके कारण त्वचा पर सफेद या हल्के रंग के धब्बे बन जाते हैं। यह चेहरे, हाथ, पैर और अन्य अंगों पर हो सकता है।
इस्के अलावा अल्बिनिज़्म भी हाइपोपिगमेंटेशन का ही एक प्रकार हैं जो एक अनुवांशिक (Genetic) समस्या है, जिसमें शरीर में मेलानिन नहीं बनता। इसके कारण व्यक्ति की त्वचा, बाल और आंखों का रंग हल्का या सफेद हो जाता है।
3. डिपिगमेंटेशन (Depigmentation)
जब त्वचा पूरी तरह से रंगहीन हो जाती है, तो इसे डिपिगमेंटेशन कहा जाता है। यह आमतौर पर विटिलिगो या गंभीर स्किन डिसऑर्डर के कारण होता है।
स्किन पिगमेंटेशन के उपचार क्या हैं?
इस बारे में बात करते हुए उत्तर प्रदेश की जानी मानी डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मोसाइन सायरा हॉस्पिटल लखनऊ की विभाग प्रमुख डॉ जरशा सिद्दीकी ने बताया कि अमूनन ज्यादा होने वाले हाइपरपिगमेंटेशन का उपचार सनस्क्रीन (SPF 50+) वाली ये चेहरे की त्वचा को हानिकारक UV किरणों से बचाता है और पिगमेंटेशन को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा विटामिन C सीरम को सुबह के समय लगाए ये आपके काले धब्बों को कम करने में मदद करता है।
इसके साथ साथ आप हाइड्रोक्विनोन क्रीम का भी उपयोग कर सकते हैं और हाइड्रोक्विनोन क्रीम को रात को सोने से पहले लगाएं।
इसके अलावा आप कुशल एवं प्रशिक्षित डर्मेटोलॉजिस्ट के द्वारा लेजर ट्रीटमेंट्स का भी उपयोग कर सकते हैं। लेज़र ट्रीटमेंट गहरे धब्बों को काम करके उन्हें हल्का करता है।
इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात अगर आप स्किन पिगमेंटेशन या झाइयों से बचना चाहते हैं तो आप स्वस्थ जीवनशैली के द्वारा अपनी त्वचा को काफी हद तक स्वस्थ, बेदाग और चमकदार रख सकते हैं। क्योंकि आपके आहार, तनाव और नींद का आपकी त्वचा पर ख़ासा प्रभाव पड़ता है। इसलिए एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C से भरपूर आहार लें, योग करें और अच्छी नींद लें। और बाहर जाते समय सनस्क्रीन क्रीम का प्रयोग जरूर करें।
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