डेंगू शॉक सिंड्रोम: देर कर दी तो जान भी जा सकती है!

डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome - DSS) एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है, जो डेंगू बुखार के उन्नत चरण में विकसित हो सकती है। यह तब होता है जब डेंगू वायरस के कारण शरीर में रक्त का संचार (blood circulation) बुरी तरह प्रभावित हो जाता है और ब्लड प्रेशर खतरनाक रूप से गिर जाता है। अगर समय रहते इलाज न मिले, तो यह मौत का कारण भी बन सकता है।

क्या है डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)?

डेंगू शॉक सिंड्रोम डेंगू हेमोरेजिक फीवर (DHF) का एक उन्नत और घातक रूप है। इसमें शरीर में खून और प्लाज्मा का रिसाव शुरू हो जाता है, जिससे:

रक्तचाप तेजी से गिरता है
अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती
अंग काम करना बंद कर सकते हैं (organ failure)
और मरीज शॉक की स्थिति में चला जाता है

कैसे बनता है DSS जानलेवा?

रक्तचाप गिरना: शरीर में प्लाज्मा लीकेज के कारण ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है, जिससे BP गिर जाता है।
ऑर्गन फेलियर: शरीर के जरूरी अंग – जैसे लीवर, किडनी, और ब्रेन – को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता।
ब्लीडिंग: प्लेटलेट्स कम होने से शरीर में आंतरिक रक्तस्राव (internal bleeding) हो सकता है।
देर से इलाज: DSS तेजी से फैलता है, और अगर तुरंत ICU सपोर्ट न मिले तो मौत का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

DSS के लक्षण क्या हैं?

डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण सामान्य डेंगू से कहीं अधिक गंभीर होते हैं:

हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना
तेज़ धड़कन या नाड़ी (pulse)
बहुत कम ब्लड प्रेशर
चक्कर आना या बेहोशी
पेट में तेज़ दर्द
बार-बार उल्टी
ब्लीडिंग (नाक, मसूड़ों, पेशाब में खून)

इलाज कैसे होता है?

DSS एक मेडिकल इमरजेंसी है। इसका इलाज अस्पताल में तुरंत शुरू करना ज़रूरी होता है:

IV फ्लूड्स (पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स)
ब्लड और प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन
ICU मॉनिटरिंग
कभी-कभी वेंटिलेटर सपोर्ट

बचाव कैसे करें डेंगू और DSS से?

मच्छरों से बचाव करें (मच्छरदानी, क्रीम, स्प्रे)
पानी जमा न होने दें (कूलर, गमले, टायर आदि में)
डेंगू के लक्षणों को हल्के में न लें – बुखार, शरीर में दर्द, प्लेटलेट्स कम होना
समय पर ब्लड टेस्ट कराएं (NS1, CBC आदि)
बुखार 3-4 दिन से ज्यादा हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें

डेंगू शॉक सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जो तेज़ी से बिगड़ सकती है और अगर समय रहते इलाज न मिले तो जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए डेंगू को कभी हल्के में न लें, खासकर जब प्लेटलेट्स गिरने लगें और शरीर में गंभीर लक्षण दिखने लगें। सावधानी और समय पर इलाज ही इसका सबसे बड़ा बचाव है।

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