काग्रेंस को टागरेट कर रही बीजेपी , ED की खुली पोल ?
बहुत समय से एक बात कही जाती है .. कि बीजेपी जांच एंजेसियों को अपने इशारे पर नचाती है ... लेकिन बीजेपी ने हमेशा इसका विरोध किया ... विपक्ष कहता रहा कि बीजेपी विपक्षियों को परेशान करने के लिए सीबीआई और खासकर ईडी का इस्तेमाल कर रही है , बीजेपी ने कहा कि ऐसा नहीं है ... मगर अब एक सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को आइना दिखाकर ये साबित कर दिया है कहीं , तो कुछ गड़बड़ है ...
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में उसकी बेहद कम दोषसिद्धि दर पर कड़ी फटकार लगाई है.... जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने सीधे सवाल उठाए, "अगर आरोपी दोषी नहीं ठहराया जाता, तो इसका क्या मतलब है?" कोर्ट ने ये भी पूछा कि किसी आरोपी को बिना मुकदमा चलाए सालों तक हिरासत में रखना क्या सही है? यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की गई थी, जो पिछले दो साल से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद हैं..सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा बेबुनियाद तौर पर नहीं बोला .. बल्कि सुप्रीम कोर्ट के पास इसका पुख्ता कारण है - दरसल ईडी के आंकड़ों से पता चलता है कि उसकी दोषसिद्धि दर यानी कि conviction rate बेहद खराब है
2014 से 2024 तक पीएमएलए के तहत कुल 5,297 मामले दर्ज किए गएलेकिन केवल 40 मामलों में ही दोषसिद्धि हो पाई वहीं, 3 मामलों में बरी भी किया गया..यही नहीं, पिछले 17 वर्षों में 5,422 मामलों में से केवल 23 मामलों में अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया
जो कुल मामलों का सिर्फ 0.42% है
वहीं खास बात ये भी है कि ईडी पर बयान और रिसर्च के मुताबिक एक खास बात भी निकल कर सामने आई है .. और वो ये है कि ज्यादातर मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ दर्ज किए गए हैं..जैसे
- बीजेपी की सरकार में 2014 से 2022 के बीच, ईडी ने 121 प्रमुख राजनेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले दर्ज किए
- जिनमें से 95% मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ थे
- इस दौरान, 2020 में 34 और 2021-2023 में हर साल 26-26 मामलों का पंजीकरण किया गया
- हालांकि, इनमें से केवल 5 मामलों में सुनवाई पूरी हुई और 1 मामले में 2020 में सजा हुई।
- खास बात ये है कि कांग्रेस की सरकार में ऐसा नहीं था
- 2004 - 2014 के बीज कांग्रेस सरकार में महज 26 नेताओं से ईडी ने पूछताथ की थी
- इसमें केवल 54 फीसदी यानी की महज 14 नेता ही विपक्ष के शामिल थे .
देखा जाए तो ये आकड़े बहुत कुछ बता रहे हैं ..वहीं सबसे बड़ी बात ये है कि ईडी गिरफ्तरी तो कर रही है ... नेताओं को महिनों जेल में रख रही है .. लेकिन दोषसिद्ध नहीं कर पा रही है .. कहीं ना कहीं , इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के कड़े शब्दों ने प्रवर्तन निदेशालय को स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर उसे मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में सजा की दर को बढ़ाना है, तो उसे सिर्फ गिरफ्तारी और संपत्ति की जब्ती पर नहीं, बल्कि अपनी जांच की मजबूती पर काम करना होगा ..वरना विपक्ष के पास हजारों सवाल तैयार है ..
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