क्यों विफल हो रही भारतीय शिक्षा प्रणाली ?

शिक्षा शेरनी का दूध है जो उसे पिएगा वो दहादेगा  ज़रूर  !!
आज सम्पूर्ण देश में सरकार और उसकी योजनाओं की चर्चा है एक तरफ सरकार फ्री अनाज लोगन तक पहुंचा रही है तो वहीं दूसरी ओर माकन और चूलाह भी सर्कार मुहैया करवा रही है लेकिन जब बात सब्सिडी की आती है तब गरीबों को चंद  सब्सिसी और अमीरों को बिना सब्सिसी के सिलिंडर दे दिया जाता है | हम और आप इसी में खुश हो जाते हैं कि सरकार फ्री में योजना दे रही है लेकिन शायद हम लोग इतना पढ़ लिख गए हैं या कहें की अभी इतना नहीं पढ़ पाए हैं की सरकारों से असल मुदों और अख्लियत पा सवल या बात करने से भी कतराते हैं | 
अब बात अगर शिक्षा की हो रही है तब यह भी समझने की जरुरत है आखिर मूलभूत शिक्षा है कहाँ ? 
भारत जब आज़ाद हुआ तब एक पद्दति होती थी जिसको गुरुकुल पदात्ति कहते थे जिसके तत पशचात प्राचीन सभ्यता से लोग अलंकृत हुए और एक नयी प्रणाली का जन्म हुआ | 

भारत में शिक्षा का इतिहास बहुत पुराना है, जो वैदिक काल से शुरू होकर गुरुकुल और फिर आधुनिक शिक्षा प्रणाली तक फैला है, जिसमें ब्रिटिश शासन के दौरान पश्चिमी शिक्षा का प्रभाव भी देखा गया 

भारत की प्राचीन शिक्षा आध्यात्मिकता पर आधारित थी। शिक्षा, मुक्ति एवं आत्मबोध के साधन के रूप में थी। यह व्यक्ति के लिये नहीं बल्कि धर्म के लिये थी। भारत की शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परम्परा विश्व इतिहास में प्राचीनतम है। प्राचीन काल में शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया गया था। भारत 'विश्वगुरु' कहलाता था।  प्राचीन भारत की शिक्षा का प्रारंभिक रूप हम ऋग्वेद में देखते हैं। ऋग्वेद युग की शिक्षा का उद्देश्य था तत्व साक्षात्कार। ब्रह्मचर्य, तप और योगाभ्यास से तत्व का साक्षात्कार करने वाले ऋषि, विप्र, वैघस, कवि, मुनि, मनीषी के नामों से प्रसिद्ध थे। साक्षात्कृत तत्वों का मंत्रों के आकार में संग्रह होता गया वैदिक संहिताओं में, जिनका स्वाध्याय, सांगोपांग अध्ययन, श्रवण, मनन और निदिध्यासन वैदिक शिक्षा रही।  

लॉर्ड मैकाले:   लॉर्ड मैकाले को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के जनक के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने भारत में अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया. 

लॉर्ड मैकाले का नाम भारतीय शिक्षा प्रणाली के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 1835 में प्रस्तुत उनके "मिनट ऑन एजुकेशन" ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की दिशा बदल दी और इसे अंग्रेज़ी भाषा और पाश्चात्य विचारधारा की ओर मोड़ दिया। यह प्रणाली भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों को दरकिनार कर अंग्रेज़ी शासन के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की आपूर्ति करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। लॉर्ड मैकाले-पैकेज शिक्षा प्रणाली ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा दी, लेकिन इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी देखे गए। इस प्रणाली ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को पीछे छोड़ दिया और पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने पर ज़ोर दिया। हालांकि, आधुनिक भारत में शिक्षा प्रणाली में कई सुधार किए जा रहे हैं, जिससे यह अधिक समावेशी और प्रासंगिक बन सके। अब समय आ गया है कि हम अपनी पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के श्रेष्ठ तत्वों को अपनाते हुए एक संतुलित और समावेशी शिक्षा प्रणाली विकसित करें, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो।


भारतीय शिक्षा प्रणाली देश की सबसे पुरानी संस्थाओं में से एक है, लेकिन यह अभी भी अनेक समस्याओं से जूझ रही है। वर्तमान समय में भारत में शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह प्रणाली छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान देने में असफल हो रही है और इसका सीधा प्रभाव देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास पर पड़ रहा है।
शिक्षकों की गुणवत्ता भारतीय शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। कई शिक्षकों की योग्यता और प्रशिक्षण स्तर संतोषजनक नहीं होता, जिससे छात्रों की शिक्षा प्रभावित होती है। साथ ही, शिक्षकों की कमी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

 

 

 

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