उत्तर प्रदेश की राजनीति में पीडीए वर्ग को साधने में कोशिशें तेज़

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग—यानी पीडीए—को केंद्र में रखकर सत्ता तक पहुंचने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 में पीडीए कार्ड खेलते हुए इसे एक प्रभावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया। इस रणनीति के चलते वे भारतीय जनता पार्टी को बैकफुट पर लाने में सफल भी रहे। अब भाजपा भी इस वर्ग को अपने पक्ष में लाने के लिए सक्रिय हो गई है।
पार्टी के नेता हर स्तर पर इन समुदायों को साधने में जुटे हैं। भाजपा ने संगठनात्मक ढांचे में भी पिछड़ा और दलित प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली माने जाने वाले राजभर समुदाय की ओर विशेष ध्यान देते दिखाई दे रहे हैं।
संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बहस और राजनीतिक संकेत
हाल ही में संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर बहस छिड़ी। इस बहस की शुरुआत समाजवादी पार्टी की ओर से सलेमपुर के सांसद रमाशंकर राजभर ने की। माना जा रहा है कि यह कदम अखिलेश यादव की रणनीति का हिस्सा था, जिसमें वे पीडीए चेहरों को उभारते हुए भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दल अपने-अपने जातीय समीकरण साधने में लगे हैं। समाजवादी पार्टी का यह प्रयास स्पष्ट संकेत देता है कि वह लगातार सामाजिक आधार को मज़बूत करने की दिशा में काम कर रही है।
पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला और सुहेलदेव का संदर्भ
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि यदि छोटे दल और उनके नेता कुछ कहें तो बात समझ में आती है, लेकिन कांग्रेस जैसे पुराने और बड़े दल का इस तरह की कार्रवाई पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने साफ किया कि जो भारत के खिलाफ साजिश करेंगे, उनके खिलाफ सरकार की नीति स्पष्ट है।
अपने भाषण में पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर महाराजा सुहेलदेव तक का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये महापुरुष देश के लिए बलिदान देने वाले थे और उनकी विचारधारा ही भाजपा की प्रेरणा है।
राजनीतिक संदेश: राजभर समुदाय को साधने की कवायद
पीएम मोदी द्वारा संसद में महाराजा सुहेलदेव का नाम लेना सिर्फ ऐतिहासिक संदर्भ नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है। इसे भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश में राजभर समुदाय को अपने पक्ष में करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2024 में यह समुदाय भाजपा से थोड़ा दूरी बनाता दिखा, भले ही ओम प्रकाश राजभर जैसे नेता पार्टी के साथ थे। अब, महाराजा सुहेलदेव का बार-बार उल्लेख कर पीएम मोदी इस समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।
हाल ही में अखिलेश यादव ने गोमती रिवर फ्रंट पर महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की थी, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनकी प्रतिमा का अनावरण कर चुके हैं। ऐसे में पीएम मोदी का संसद से सुहेलदेव का नाम लेना यूपी की आगामी राजनीति में एक निर्णायक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
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