परीक्षा में असफलता, लेकिन जिंदगी में जीत: कर्नाटक में माता-पिता ने बेटे की हार को बनाया हिम्मत की मिसाल

कर्नाटक के बागलकोट में हाल ही में ऐसा उदाहरण सामने आया है, जो असफलता के प्रति सोच को बदल सकता है। जहां 10वीं की परीक्षा में एक छात्र फेल हो गया, वहां उसके माता-पिता ने न केवल उसे डांटा नहीं, बल्कि उसका हौसला बढ़ाया। इस घटना ने सोशल मीडिया पर लोगों के दिल जीत लिए हैं और पैरेंटिंग के मायनों को एक नई दिशा दी है।
समाज को आईना दिखाती एक सच्ची कहानी
अभिषेक चोलचागुड्डा, बागलकोट के बसवेश्वर इंग्लिश मीडियम स्कूल के छात्र हैं। हाल ही में आए कर्नाटक बोर्ड 10वीं परीक्षा परिणाम में उन्हें 600 में से केवल 200 अंक मिले, जिससे वह फेल हो गए। अक्सर इस तरह के परिणाम आने पर छात्र मानसिक दबाव का शिकार हो जाते हैं, क्योंकि समाज, स्कूल और यहां तक कि परिवार से भी उन्हें ताने मिलते हैं।
बेटे के फेल होने पर परिवार ने मनाया जश्न
अभिषेक के माता-पिता ने इस स्थिति को अलग नजरिए से देखा। उन्होंने बेटे के कम अंकों को जीवन की एक असफलता मानकर निराश नहीं किया, बल्कि परिवार ने मिलकर केक काटा और मिठाइयां बांटीं। इस खुशी का उद्देश्य केवल एक था — अभिषेक का आत्मविश्वास टूटने न पाए।
पिता के शब्दों में छिपी गहराई
अभिषेक के पिता ने कहा, "तुम परीक्षा में असफल हो सकते हो, लेकिन जीवन में नहीं। यह अंत नहीं, एक नई शुरुआत है।" इन शब्दों ने अभिषेक को भीतर से प्रेरित किया। अभिषेक ने कहा कि वह दोबारा परीक्षा देगा और इस बार पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ेगा।
सोशल मीडिया पर लोगों की सराहना
यह कहानी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है। हजारों लोग अभिषेक के माता-पिता के इस व्यवहार की तारीफ कर रहे हैं और इसे एक प्रेरणादायक उदाहरण मान रहे हैं। यह घटना उन सभी परिवारों के लिए एक संदेश है, जो सिर्फ अंकों के आधार पर बच्चों की सफलता तय करते हैं।
जिंदगी की सबसे बड़ी सीख: असफलता अंत नहीं
इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि जीवन में नंबर ही सब कुछ नहीं होते। कभी-कभी गिरकर ही इंसान आगे बढ़ता है। ऐसे में माता-पिता का सकारात्मक रवैया बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और उन्हें असफलता से उबरने का हौसला देता है।
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