फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की बेहतरीन रचना- ‘बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे'

क्या आप जानते हैं फैज़ अहमद फैज़ कोन थे, फैज़ अहमद मशहूर पाकिस्तानी शायर थे। ये काफी बेहतरीन रचनाये भी लिखते थे और इनकी रचनाओं का काफी प्रयोग भी किया जाता था। आइये पढ़ते हैं इनकी एक बेहतरीन रचना -‘बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे'

1-कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

वो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे

जो इश्क़ को काम समझते थे       

या काम से आशिक़ी करते थे

हम जीते-जी मसरूफ़ रहे

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

काम इश्क़ के आड़े आता रहा

और इश्क़ से काम उलझता रहा

फिर आख़िर तंग आ कर हम ने

दोनों को अधूरा छोड़ दिया

कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया।

 

2-बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे

बोल ज़बाँ अब तक तेरी है

तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा

बोल कि जाँ अब तक तेरी है

देख कि आहन-गर की दुकाँ में

तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन

खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहाने

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