अब बिहार और यूपी में भी उगाएं सेब, कमाएं लाखों!

परंपरागत रूप से सेब की खेती केवल हिमालयीन क्षेत्रों में ही होती आई है, लेकिन अब नई किस्मों और तकनीकों की वजह से उत्तर प्रदेश और बिहार में भी सफलतापूर्वक सेब की खेती की जा रही है—जो किसानों के लिए आय का एक नयी स्रोत बन गया है।

1. क्यों अब संभव? – हरिमन‑99 की कहानी

हरिमन‑99 वेरायटी को खासतौर पर गर्म जलवायु (40‑48 °C तक) वाले क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। यह वेरायटी बिहार व यूपी की मिट्टी और तापमान में भी अच्छी तरह पनप सकती है..यह किस्म पत्थरीली, दोमट या लाल मिट्टी में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है, जिससे बिहार‑यूपी जैसे क्षेत्रों में खेती संभव हुई है 

2. सरकारी प्रोत्साहन: सब्सिडी और पायलट योजना

बिहार सरकार विशेष उद्यानिकी फसल योजना के अंतर्गत किसानों को प्रति हेक्टेयर 2,46,250 की लागत का 50% सब्सिडी देती है, यानी 1,23,225 तक सहायता पायलट परियोजना के रूप में बिहार के सात जिलों (वैशाली, बेगूसराय, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, कटिहार, समस्तीपुर, औरंगाबाद) में लगभग 10 हेक्टेयर तक की सेब की खेती शुरू की गई है. 
चयनित किसानों को वैशाली में प्रशिक्षण और हिमाचल से हरिमन‑99 के पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं 
 
3. खेती की प्रक्रिया – ध्यान रखें:

सिंचाई: ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिस्टम) या फ्लड सिंचाई किया जाता है; कम पानी में भी कार्य हो सकता है 
रोपण समय: पौधे लगाना 15 नवंबर से 15 फरवरी तक उपयुक्त माना गया है।
फल आने तक समय: लगभग 3‑5 साल में उत्पादन शुरू हो जाता है। चौथे वर्ष तक प्रति पेड़ 50 किलो फल संभव है; पूर्ण क्षमता पर 7‑8 वर्षों में एक क्विंटल तक फल मिलता है 
धूप एवं देख‑रेख: प्रतिदिन कम से कम 8 घंटे धूप जरूरी है ताकि फल का रंग, स्वाद और गुणवत्ता ठीक हो; साथ ही पौधे को फंगस आदि से बचाने की जरूरत होती है 

क्या यह किसानों के लिए लाभदायक है?

उचित किस्म (हरिमन‑99) और जलवायु अनुकूलता।

सरकारी प्रशिक्षण और वित्तीय समर्थन (50% सब्सिडी)।

गल्फ तककी परियोजनाओं में सफल उदाहरण, जैसे औरंगाबाद व मुजफ्फरपुर के किसान।

कुछ चुनौतियाँ: मार्केट लिंकेज, प्रति फल कीमत, लॉजिस्टिक्स और छोटे किसान समूहों की संगठना आवश्यक है।

सुझाव – अगर आप खेती शुरू करना चाहते हैं:

अपने जिले के उद्यान विभाग या सहायक निदेशक, डेसिरी (वैशाली) से संपर्क करें।

प्रशिक्षण प्राप्त करें और पौधे की गुणवत्ता सुनिश्चित करें।

सब्सिडी और आवेदन प्रक्रिया की जानकारी उद्यान निदेशालय की वेबसाइट (horticulture.bihar.gov.in) पर उपलब्ध है 

छोटे किसानों का समूह बनाएं ताकि लागत साझा हो, तथा विपणन व लॉजिस्टिक्स में सहयोग मिल सके।

अब बिहार और उत्तर प्रदेश में भी सेब की खेती सिर्फ कल्पना नहीं रह गई है। सही किस्म (हरिमन‑99), सरकारी सहायता, और स्थानीय किसान की पहल ने इसे सफल एवं लाभदायक विकल्प बना दिया है। यदि आप सोच रहे हैं कि क्या यह आपके लिए है—तो देश-विदेश में उपजे सेब की बजाय अपने खेत के सेब का स्वाद आपका मुनाफा बता सकता है।

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