दिलचस्प है गायघाट विधानसभा की सीट, जानिए समीकरण...

मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित गायघाट विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 1967 में हुआ था। अब तक यहां 14 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। वर्ष 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट गायघाट के 23, बंदरा के 12 और कटरा के छह पंचायतों को मिलाकर बनी। सामान्य वर्ग के तहत आने वाला यह पूरी तरह ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है, जहां विकास के साथ-साथ जातीय समीकरण भी हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं।

मतदान में महिलाओं की मजबूत भागीदारी-

पिछले विधानसभा चुनाव में यहां 57.75% मतदान दर्ज किया गया था, जिसमें महिलाओं की भागीदारी 64.77% रही, जो पुरुषों के 51.42% के मुकाबले कहीं अधिक थी। यह दर्शाता है कि अब महिलाएं चुनावी परिणामों में अहम भूमिका निभा रही हैं।

राजनीतिक इतिहास और समीकरण-

गायघाट की राजनीतिक यात्रा काफी दिलचस्प रही है। 1980 में इसी सीट से बीजेपी ने पहली बार मुजफ्फरपुर जिले में अपना खाता खोला, जब जीतेन्द्र प्रसाद सिंह विजयी हुए। वहीं कांग्रेस, जिसने शुरुआती वर्षों में लगातार जीत दर्ज की थी, लेकिन कांग्रेश को यहां आखिरी जीत 1985 में मिली थी, जब वीरेंद्र कुमार सिंह विधायक बने थे।

गायघाट का जातीय गणित-

इस क्षेत्र में यादव, कुशवाहा, ब्राह्मण, भूमिहार, दलित और मुसहर समुदाय निर्णायक हैं। यादव और मुस्लिम मतदाता पारंपरिक रूप से आरजेडी के साथ रहते हैं, जबकि भूमिहार और ब्राह्मण समुदाय का झुकाव बीजेपी की ओर रहा है। वहीं जेडीयू का आधार पिछड़े वर्गों और दलित समुदायों में माना जाता है।

महेश्वर प्रसाद यादव का दबदबा

गायघाट विधानसभा ने कई चर्चित नेताओं को जन्म दिया। प्रारंभिक वर्षों में नीतीश्वर प्रसाद सिंह ने 1952 से लेकर 1972 तक कई बार जीत दर्ज की। इसके बाद महेश्वर प्रसाद यादव इस सीट के सबसे प्रभावशाली नेताओं में उभरे। उन्होंने अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ते हुए कई बार जीत हासिल की 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में, 1995 में जनता दल से, 2005 और 2015 में आरजेडी के टिकट पर विधायक बने। 2010 में उन्हें बीजेपी की वीणा देवी ने हराया, लेकिन 2015 में उन्होंने वापसी करते हुए वीणा देवी को शिकस्त दी।

2020 में समीकरण बदले-

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गए। आरजेडी के निरंजन राय ने 59,778 वोट हासिल कर जेडीयू प्रत्याशी महेश्वर प्रसाद यादव को 7,566 वोटों से पराजित किया। एलजेपी प्रत्याशी कोमल सिंह  को 36,749 वोट मिले, जिससे एनडीए के वोट बंटे और आरजेडी को फायदा मिला।

2025 में कौन मैदान में?

इस बार जेडीयू ने कोमल सिंह को टिकट दिया है, जो पार्टी की 13 महिला उम्मीदवारों में से एक हैं। उनका सीधा मुकाबला आरजेडी विधायक निरंजन राय से है, जिन्होंने पिछला चुनाव जीता था। वहीं जनसुराज पार्टी के अशोक कुमार के उतरने से मुकाबला एक बार फिर त्रिकोणीय माना जा रहा है।

गायघाट के प्रमुख स्थानीय मुद्दे-

यह इलाका आज भी बाढ़, सड़क, सिंचाई और रोजगार की समस्याओं से जूझ रहा है। गंडक और बागमती नदियों के किनारे बसे क्षेत्र हर साल बाढ़ की मार झेलते हैं। उपजाऊ जमीन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के बावजूद रोजगार की कमी और पलायन बड़े मुद्दे हैं। स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं, जबकि शिक्षा और उद्योग के अवसर भी बहुत कम हैं।

जनसांख्यिकीय तस्वीर-

2024 के निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, गायघाट विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5,53,319 है, जिसमें 2,89,089 पुरुष और 2,64,230 महिलाएं शामिल हैं।
कुल 3,30,371 मतदाता पंजीकृत हैं — इनमें 1,73,961 पुरुष, 1,56,404 महिलाएं और 6 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

भौगोलिक स्थिति-

गायघाट मुजफ्फरपुर जिले के उत्तरी भाग में स्थित है। इसकी सीमाएं औराई, कटरा और मीनापुर प्रखंडों से मिलती हैं। गायघाट रेलवे स्टेशन समस्तीपुर–मुजफ्फरपुर रेल मार्ग पर स्थित है, जबकि सड़क मार्ग से यह मुजफ्फरपुर से 35 किमी, दरभंगा से 55 किमी और सीतामढ़ी से 60 किमी की दूरी पर है।

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