श्रीमद् भागवत कथा सबसे ऊंची प्रेम सगाई,भगवान प्रेम के अधीन

गंज बासौदा  :गंज हनुमान मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में जब कथा व्यास श्री कृष्ण चंद्र ठाकुर जी महाराज ने सूरदास के भक्ति पद सबसे ऊंची प्रेम सगाई को गिया तो श्रृद्धालुओं से खचाखच भरे पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु श्रोता, नृत्य करने पर विवश हो उठे। सूरदास जी के पदों को सुनकर श्रद्धालुओं के नेत्र सजल हो गए। कथा के तृतीय दिवस प्रसिद्ध कथा वाचक श्री कृष्ण चंद्र ठाकुर जी महाराज ने बताया कि भगवान भक्त के अधीन होते हैं, वह भक्ति के वश में होते हैं। भगवान गरीब और अमीर का भेद नहीं करते। जब दुर्योधन ने भगवान कृष्ण को हस्तिनापुर आने का निमंत्रण भेजा और उन्हें अपने विलासिता से भरे महल में भोजन पर बुलाया परंतु भगवान कृष्ण ने अहंकारी दुर्योधन के छप्पन भोग को  त्याग कर, कृष्ण को पुत्र के समान प्रेम करने वाली विदुरानी, जिन्हे वह काकी जी कहते थे, उसके टूटे हुए घर जाकर रूखे सूखे भोजन कर प्रसन्न हो गए । भक्ति की पराकाष्ठा तो तब हो गई जब श्री कृष्ण के अनुराग में अनुरक्त भक्त शिरोमणि काकी विदुराणी, भगवान कृष्ण को अपने हाथों से केले के छिलके खिलाती रही और भगवान कृष्ण भी बड़े प्रेम से उनके हाथों से केले के छिलकों के खाते रहे। श्री कृष्ण चंद्र ठाकुर जी ने कहा कि प्रेम परिचय को पहचान बना देता है, प्रेम इंसान को भगवान बना देता है। कथा व्यास ने कहा कि हरि के दरबार में जाति पाति पूछे नहीं कोई, हरि को भजै तो हरि को होई, अर्थात हरि के दरबार में जाति-पाति का भेद नहीं होता , जो हरि को भजता है, उनका प्रेममय स्मरण करता है, हरि उनके हो जाते हैं।

हम सबका आदि धर्म सनातन है, बाकी सब सनातन की उपासना पद्धति
कथा को कहते  हुए कथावाचक श्री कृष्ण चंद्र ठाकुर जी महाराज ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि जब भगवान वेद व्यास से पूछा गया कि धर्म क्या है तो उन्होंने धर्म को परिभाषित करते हुए बताया कि जो व्यवहार आप स्वयं के लिए उचित नहीं समझते, उसको  दूसरों के साथ ना करना ही धर्म है। जीव हिंसा पर कुठाराघात करते हुए ठाकुर जी ने कहा कि जीव हिंसा पाप है, हमारे जैन‌ भाई अहिंसा को सर्वोपरि मानते हैं, यह धर्म है। हमारे सिख भाई, गुरूद्वारों में लंगर सेवा करते हैं, यह धर्म है।
जैन‌, बुद्ध, आर्य, सिख सभी सनातन की शाखाएं हैं।

गंज हनुमान सत्संग समिति का होगा गठन कथा के प्रारंभ में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए गंज हनुमान मंदिर के महंत महेश्वर दास त्यागी जी महाराज ने कहा कि गंज बासौदा परम सिद्ध संतों की भूमि है। इस भूमि पर निरंतर सुयोग्य विद्वानों द्वारा सत्संग आयोजित होते रहें, इसके लिए श्री गंज हनुमान सत्संग सेवा समिति का गठन किया गया है। उन्होंने क्षेत्रवासियों और दान दाताओं से इस समिति से जुड़ने का आह्वान किया है। जिससे प्रति बर्ष सत्संग आयोजित किए जा सकें।
कथा में आष्टा से संत छबीलदास जी महाराज, चित्रकूट से संत जगमोहन दास जी महाराज विशेष रूप से उपस्थित रहे।


रिपोर्टर : हेमंत आनंद 

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