1 एकड़ में 5 लाख कमाई! जानिए बेल की ‘गोमा यशी’ खेती का राज

कृषि क्षेत्र में नई किस्मों और वैज्ञानिक तरीकों के जरिए किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी हैं। ऐसी ही एक क्रांतिकारी किस्म है, बेल की 'गोमा यशी' (Goma Yashi), जो कम उपजाऊ, यहां तक कि बंजर जमीन में भी अद्भुत उत्पादन देती है। यदि आप कम पानी और कम देखभाल में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह बेल की किस्म आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है।

'गोमा यशी' किस्म क्या है?

‘गोमा यशी’ एक उन्नत बेल (wood apple) की किस्म है, जिसे सेंट्रल होर्टिकल्चर एक्सपेरिमेंटल स्टेशन (VRC - CHES), गोडा, महाराष्ट्र में विकसित किया गया है। यह सूखा सहनशील, कीट-रोग प्रतिरोधी, और कम संसाधनों में टिकाऊ किस्म है।

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

1 एकड़ में लगभग 120-150 पौधे लगाए जा सकते हैं।

एक परिपक्व पेड़ से सालाना ₹3,000–₹5,000 तक की कमाई हो सकती है।

4-5 वर्षों में एक किसान ₹3–5 लाख प्रति एकड़ तक की आमदनी ले सकता है।

औषधीय और औद्योगिक महत्व

गोमा यशी के फल में डाइजेस्टिव एंजाइम, विटामिन C, और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।

इसका उपयोग चूर्ण, मुरब्बा, कैंडी, जूस, आयुर्वेदिक औषधियों और प्रसंस्कृत उत्पादों में होता है।

फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स इसे भारी मात्रा में खरीदती हैं।

 किसानों के लिए सलाह:

पौधारोपण का समय: जून–जुलाई सबसे उपयुक्त है।

विस्तार के लिए जगह दें: पौधों के बीच 6x6 मीटर की दूरी रखें।

खाद व सिंचाई: शुरुआती दो वर्षों में जैविक खाद और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें।

प्रूनिंग (छंटाई): साल में एक बार छंटाई कर पेड़ों को संतुलित रखें।

बाजार संपर्क: स्थानीय मंडियों के साथ साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जा सकता है।

बेल की ‘गोमा यशी’ किस्म कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का जरिया बन सकती है। बंजर ज़मीनों में खेती करने वाले किसान इसका चुनाव कर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। सरकारी सहायता, नर्सरी और कृषि विज्ञान केंद्रों से जुड़कर प्रशिक्षण और पौधे आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं। अगर आप परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं तो 'गोमा यशी' बेल की खेती एक बेहतरीन मौका हो सकती है।

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