गोंडा का लाल इटली में करेगा रिसर्च सुपरकंप्यूटर को विकसित

गोण्डा : मनकापुर गोण्डा कड़ी मेहनत व पक्का इरादा, ये मंत्र इंसान को सफलता की नई ऊंचाइयों पर लेकर जाता है। किसान के घर में जन्मे एक युवा वैज्ञानिक डॉ गौरव शुक्ल इटली के एक रिसर्च ग्रांट के विजेता बने हैं, जिसके तहत उन्हें इटली में रहकर रिसर्च करने के लिए आमंत्रित किया गया हैं। यह रिसर्च ग्रांट किसी एक युवा वैज्ञानिक को दिया जाना था और इसके लिए बीते वर्ष दिसंबर में पूरी दुनिया से आवेदन आमंत्रित किये गए थे।दो बार इंटरव्यू के बाद, डॉ गौरव ने सौ प्रतिशत स्कोर प्राप्त करने पर उन्हें इस रिसर्च ग्रांट का विजेता घोषित किया गया। वह इटली की एक राष्ट्रीय लैब - इंस्टिट्यूट ऑफ़ नैनो साइंस , पीसा में वहाँ के रिसर्च डायरेक्टर प्रोफेसर स्टेफन हैउन के साथ अपना शोध कार्य करेंगे। डॉ गौरव इटली में सुपरकंडक्टर और सेमीकंडक्टर के अंतराफलक पर कम तापमान पर सुपरकम्प्युटर की सम्भावनाओ को विकसित करने का काम करेंगे। वह इटली में अपना शोध कार्य अप्रैल से शुरू करेंगे। डॉ गौरव मनकापुर कोतवाली क्षेत्र की ग्राम पंचायत महादेवा के निवासी है। किसान अनिल कुमार शुक्ल के तीन संतान में दूसरे नंबर पर हैं , बड़ी बहन शिक्षिका व छोटा भाई इंजीनियर है।डॉ गौरव के प्राथमिक शिक्षा गांव के प्राथमिक विद्यालय सतिया से करने के बाद हाइस्कूल व इंटर की शिक्षा कस्बे स्थित डीपी इंटर कॉलेज और एपी इंटर कॉलेज मनकापुर से प्राप्त कर आगे की पढाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी और एमएससी की डिग्री प्राप्त किया।इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमएससी के बाद नेट (एआईआर-64), सीएसआईआर-जेआरएफ (एआईआर-127), और जेस्ट (एआईआर - 310) जैसी राष्ट्रीय परीक्षा पास करके बैंगलोर के सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज से पीएचडी की। पीएचडी के दौरान डॉ गौरव ने सेल्फ क्लीनिंग सरफेस, स्ट्रक्चरल कलर्स, सेंसर्स, और प्लास्मोनिक्स फील्ड में रिसर्च किया। गौरतलब है क़ि स्व-सफाई करने वाले कृत्रिम संरचनात्मक रंगों के निर्माण के शोध को अमेरिका क़ि एप्लाइड ऑप्टिक्स जर्नल ने अपने कवर पेज पे जगह दी थी। डॉ गौरव के ५ शोध कार्यों को भारत सरकार की विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने अपने वेबसाइट पे भी प्रमुखता से दिखया है , जिसमे लौ कॉस्ट हाइड्रोजन प्रोडक्शन, आर्द्रता सेंसर , ऑक्सीजन सेंसर्स , कृत्रिम कृत्रिम संरचनात्मक रंगों का निर्माण मुख्य हैं ।डॉ गौरव अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी, अमेरिकन ऑप्टिकल सोसाइटी , और मैटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी हैं। इस समय डॉ गौरव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे , मुंबई के डिपार्टमेंट ऑफ़ फिजिक्स में पोस्टडॉक्टोरल साइंटिस्ट के रूम में कार्यरत हैं, जहाँ पर वो मानव मस्तिष्क की तरह काम करने वाले आर्टिफीसियल न्यूरोमोर्फिक यंत्र का निर्माण करने के लिए शोध कर रहे है। पिछले साल डॉ गौरव को सिंगापुर की मैटेरियल्स रिसर्च सोसाइटी के द्वारा कराई जाने वाली एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपना शोध प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया था जहाँ पर उन्होंने शोध प्रस्तुति के साथ साथ एक सत्र की अध्यक्षता भी की। डॉ गौरव विज्ञान संचार पर बहुत जोर देते हैं और इसलिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के अलावा 10th और 12th के विद्यार्थियों को विज्ञान प्रदर्शन के माध्यम से विज्ञान में रूचि पैदा करते पर भी जोर देते है। डॉक्टर गौरव के इस सफलता से परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है।कामदार शुक्ला,हरिराम शुक्ला,विजय प्रताप शुक्ल,संतोष शुक्ल,शैलेश,राहुल,अमन, आदि लोगो ने गौरव के इस सफलता पर उन्हें बधाई दिया है।
रिपोर्टर : बी के ओझा
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