ज्ञान से बढ़कर कोई दान नहीं शिक्षक से बढ़कर कोई महान

गुजरात :  ज्ञान से बढ़कर कोई दान नहीं शिक्षक से बढ़कर कोई महान नहीं भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1818 को मद्रास से 64 किलोमीटर दूर तिरूमानी ग्राम में हुआ था डॉक्टर राधाकृष्णन ने अपना जीवन शिक्षक के रूप में प्रारंभ किया था इसलिए वे समझते थे की शैक्षणिक कार्य कितने परिश्रम धैर्य एवं लगन का कार्य है इस कारण उन्होंने अपना जन्मदिन 5 सितंबर शिक्षक रूप में मनाने का संकल्प किया क्रिस्टल चर्चित के अनुसार शिक्षक के हाथों में वह शक्तियां हैं जो अभी तक प्रधानमंत्री जी को भी नहीं मिल पाई है शिक्षक में वह समर्थ है उतनी शासन को भी नहीं मिल पाई है शिक्षक में शिक्षक में वह शक्ति है जो देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को भी नहीं मिल पाई है जिस व्यक्ति में जिस व्यक्ति में इतनी सारी हैसियत हो वह शिक्षक के सिवाय और किसी में नहीं हो सकती हिंदी में टीचर का अर्थ शिक्षक होता है शिक्षक के निम्न गुण देखकर पढ़कर प्रशंसा और सम्मान के सिवा और कोई शब्द नहीं मिलते टीचर में सात शब्द होते हैं  
T-Trend निपुण
E-Equality समानता
A-Active क्रियाशील
C- Character चरित्रवान
H- humanity मानवीय दृष्टिकोण 
E-Education शिक्षा
R- Recpectfully सम्मानित

 गुणो का समन्वय तिमिराच्छादित अज्ञान को ज्ञान लोक में परिवर्तित कर गुरु समूचे विश्व में आलोक बिखरने में सक्षम है इसलिए कहा गया है कबीरा बैनर अंध है गुरु को कहते और हरि रूठे गुरु ठोर है गुरु रूठे नहीं ठोर
अध्यापक राष्ट्र, संस्कृति के चतुर माली होते है। शिक्षक अभिभावक है, राजनीतज्ञ है, गाइड है, शिक्षक का काम जितना महत्वपूर्ण है लेकिन प्रतिष्ठा कम है। चाणक्य के अनुसार शिक्षक कभी साधारण नही होता प्रलय और निर्माण उसकी गौद में खेलते है।यदि शासन प्रशासन विद्यार्थियों और अभिवावक अपने बच्चों को संस्कारवान चरित्रवान, ज्ञानवान और देशभक्त बनाना चाहते है तो शिक्षकों को गुरु सम्मान देना होगा।पपर्याप्त सुविधा देनी होगी उनकी समस्यायों पर सहानभूति पूर्ण गभीरता से विचार करना।

शिक्षकों को भी विद्यार्थियों को कोर्स की किताबो और परीक्षा के अंकों के सीमित दायरे तक ही न रखे अन्यथा वो दुनिया का व्यवहारिक ज्ञान अर्जित नही कर पाएंगे। शिक्षक उन्हें teach less learn more के सिंद्धान्त पर शिक्षण कार्य कराए। यदि सभी मिलकर युद्ध स्तर पर प्रयत्न करें तो सफलता जरूर मिलेगी। मुमकिन नही खुश्क मील हर जमीन प्यासे चल पड़े है तो दरिया जरूर मिलेगा।शिक्षक की जिस शैक्षणिक कार्ये से रोजी रोटी चलती है उसको उसके प्रति समर्पित होना चाहिए।शैक्षणिक कार्ये को पूजा समझना चाहिये।मूल्यांकन कार्ये में निष्पक्षता होनी चाहिये। शिक्षकों को नई नई जानकारी होना आवश्यक है ताकि छात्र-छात्राओं में जरूरी योग्यता,दक्षता बेहतर आदतें नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था राष्ट्र सेवा का भाव तथा आदर्श नागरिक बनने की इच्छा जगा सकते हैं शिक्षक किसी भी राष्ट्र की नींव होता है शिक्षक का कार्य आत्मा भक्ति की साधना है शिक्षा मनुष्य रचना की पाठशाला है।

शिक्षक छात्र दोनों मिलकर अज्ञान पर पड़े आवरण को दूर कर यथार्थ को समझ कर जीने का अभ्यास करे भक्त है तो भगवान है शिष्य है तो शिक्षक का महत्व है आज इस बात की आवश्यकता है की शिक्षक छात्रों के मन में कर्तव्य का ऐसा दिया जलाए जिससे पूरा भारत देश प्रकाशवान हो उठे सब कह उठे सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।शिक्षक का गुरु का स्थान आज भी प्रथम है कल भी प्रथम था कल भी प्रथम रहेगा क्योंकि ज्ञान के बल पर चला यह संसार है
इस मिट्टी पर सबसे पहले शिक्षक का अधिकार है।

 

रिपोर्टर : चंद्रकांत पूजारी

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