धर्म क्यों और किसलिए जरूरी क्या हे यह धर्म?!
सूरत : हकीकत में देखे तो दुनिया में बहुत सारे अलग अलग धर्म प्रस्थापित हे। और हर धर्म की अपनी एक परम्परा और मान्यता हे। जो जिस तरह की स्थिति थी उस तरह से प्रस्थापित हुई हे। याने की धर्म यानी की एक ऐसी परंपरा और साधना हे जो हमे जीना शिखाती हे जो हमे सच का रास्ता दिखाती हे और धर्म करने पर वह सर्वोच्च पद को प्राप्त करने की ताकत देती हे। आदि अनंत काल से यह धर्म को अलग अलग रूप से प्रस्थापित कर के सिर्फ एक ही चीज को लास्ट में दिखाया हे आप धर्म की परंपरा से जी लेंगे तो आप को मोक्ष , जन्नत , सिद्धत्व या तो इस पूरे चक्र से शांति मिलेगी। और आपका आत्मा संपूर्ण पवित्र हो जाएगा।।
धर्म की मूल परंपरा बदल दो धर्म अपने आप बदल जाएगा।।
आप एक बात हमेश याद रखिए के कोईभी धर्म का या संस्कृति का कभी भी संपूर्ण नाश संभव ही नहीं हे। क्योंकि कही न कही वो पनपता ही हे। जब तक सत्य हे तब तक आपका धर्म हे। लेकिन किसी भी धर्म को बदला जा सकता हे वह बहुत ही आसान हे?!बस किसीभी तरीके से उसकी मान्यता बदल दो तो धीरे धीरे वह पूरा धर्म बदल जाएगा उसका मूल ही नष्ट हो जाएगा और वहीं धर्म के नाम पे एक दूसरा धर्म चलने लगेगा इसीलिए अपने अपने सही धर्म को जान कर उसकी ही साथ दृढ़ विश्वास से चलना जरूरी हे अगर वह न कर शकों तो उसमें कोई भी बांध छोड़ मत करो । और जो कर रहे हे उसको रोको यही आपके धर्म के लिए सही हे।और आज के कलियुग में यह करना भी सबसे बड़ा धर्म ही हे।
आजकल धर्म का धंधा और धंधे का धर्म का जमाना।
बहुत सारे हमारे बिजनेस मेन भाई बोलते हे की धंधा ही सबसे बड़ा धर्म हे। लेकिन वह तो सिर्फ अपने धंधे प्रत्ये प्रेम जाहिर करते हे। लेकिन आज कल हमारे राज नेता और धर्म के बड़े बड़े ठेकेदारों ने सच में धर्म का धंधा बना दिया हे और कितने सारे धंधे ही ऐसे हे जिसको अपने आप ही धर्म बनाकर आगे बढ़ रहे हे। जो इस कलयुग में सबसे खतरनाक रूप लेता एक राक्षसी कृत्य हे। जिससे सारे धर्म को बहुत हानी हो रही हे और साथमे धर्म अपना मूल मंत्र छोड़कर राजसत्ता के पैरों में पड़ा हुआ साफ दिखता हे।। इसलिए ऐसे कार्य में शामिल होने से पहले आम और धार्मिक आदमी को हजार बार सोचना चाहिए और धर्म के मूल रूप को पकड़कर ही आगे बढ़ना चाहिए।।
धर्म को बे वजह दिखावे के लिए सड़क पे नहीं लाना चाहिए।
किसी भी धर्म को अपने परंपरा , भावनाओं और संस्कृति को लिखे हुए या विशेष दिन के अलावा बे वजह रास्ते पे नहीं लाना चाहिए। क्योंकि रास्ते पे तो हररोज उसे लाया जाता हे जिसे बेचना होता हे। जैसे सब्जी , सारी खान पान की चीजें , पहरवेश वगैरा अगर आप अपने धर्म को बेचने निकले हो तो उसे रास्ते पे ला के खड़ा करदो क्योंकि याद रखना दोस्तो धर्म करने की चीज हे दिखाने की नहीं।
हर धर्म की नींव हे सत्य उसे मत खोए।
आप दुनिया का कोईभी धर्म पकड़ लो चाहे उसके अनुयायी कम हो या ज्यादा लेकिन उसकी नींव तो अंत में सत्य पर ही टिकी हे। यानी कि सभी धर्मों में सत्य का एक विशेष महत्व हे सब में यह साफ हे की सत्य के मार्ग पर चलो धर्म अपने आप हो जाएगा बिना सत्य पर चले धर्म होना संभव ही नहीं हे। यानी कि सत्य ही सब का मूल हे और सत्य को रखकर आदमी धर्म और धार्मिक क्रिया कर सकता है। अगर सत्य के बिना वो करे तो उसका कुछ भी फल उसे नहीं मिलेगा।
कर्म किए जा फल की चिंता मत कर।।
आप सबको पता हे कि भगवान श्री कृष्ण ने यह वाक्य गीता में कहा हे। के आप सिर्फ़ कर्म की चिंता करो और अच्छे कर्म करते रहो और कर्म करके भूल जाओ। बाकी अपने आप सब में देख लूंगा। और भगवान विष्णु के यह सभी अवतार बस यही दिखाते हे के पृथ्वी पर आके हमे क्या करना है। लेकिन हम कुछ अलग दिशा में चले जाते हे। और इस कर्म के मूल स्वाद और स्वैग को भूल कर सिर्फ और सिर्फ शॉर्ट कट अपनाने के लिए धर्म करने का ढोंग करने जाते हे और बार बार वह शक्ति हमे इशारे कर के समझा रही हे के बेटा कर्म पे ध्यान दे धर्म अपने आप हो जाएगा।।
सत्य और कर्म के मूल सिद्धांत धर्म और अनंत का द्वार ।।
कबीर ने कहा हे
मल मल धोए शरीर को धोए न मन का मेल ,
नहाए गंगा गोमती रहे बैल के बेल।
यानी कि अगर आप के जीवन में सत्य और कर्म नहीं हे तो आप धर्म का कोईभी शॉर्ट कट मार्ग नहीं अपना सकते। धर्म में लिखे कोईभी शॉर्ट मार्ग उसके लिए हे जिसने उस धर्म की मान मर्यादा को सामने रखकर अपने कर्म किए हो। अगर वह हर पल झूठ का सहारा ले कर आगे बढ़ा हे , अगर वह अपने फायदे के लिए किसका भी कितनी हद तक नुकसान कर चुका हे , अगर वह रोज धर्म स्थान पे जाकर भी वहा धंधा ही करता हे तो उसके लिए कोईभी धर्म में कोई भी शॉर्ट कट नहीं हे सिर्फ नर्क या अगली तीर्यच जीव की योनी ही उसका शॉर्टकट हे। इसीलिए यह लेख से में आप को अवगत कराना चाहता हु के।।
मूल धर्म को छोड़ दिया पापी तुझसा न कोई,
धर्म न करो तो चल जावे पर मूल धर्म न खोई।
जो सही हे वो कर न शकों तो चलेगा धर्म की क्रिया न कर शकों चलेगा लेकिन अपने मूल धर्म को खोने मत देना उसके साथ रहना बस आज इतनी ही अपनी कर्म की बुक में सही कर प्रण ले लो।।।
रिपोर्टर : चंद्रकांत सी पूजारी
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