नवसारी के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने जल एवं पर्यावरण प्रदूषण रोकने हेतु अधिसूचना जारी की

नवसारी : नवसारी जिले में प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले धार्मिक उत्सवों के दौरान विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है। स्थापना के पश्चात धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार मूर्तियों का विसर्जन नदियों, झीलों एवं समुद्र के जल में किया जाता है। देवी-देवताओं की मूर्तियों के निर्माण में रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जाता है। ऐसी मूर्तियों को नदियों, झीलों एवं समुद्र में विसर्जित किया जाता है। इन मूर्तियों के जल में मिल जाने से जल में रहने वाले जलीय जीव, मछलियाँ आदि मर जाते हैं। जिससे जल एवं पर्यावरण को हानि पहुँचती है।
जल एवं पर्यावरण प्रदूषण रोकने हेतु, नवसारी के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट श्री योगराजसिंह झाला ने उन्हें प्रदत्त अधिकार के अंतर्गत नवसारी जिले के सम्पूर्ण क्षेत्र में धार्मिक आयोजनों के दौरान देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के निर्माण एवं विसर्जन पर रोक लगाते हुए एक अधिसूचना जारी की है। जिसमें कहा गया है कि मूर्तियों के निर्माण में ऐसे कोई चिन्ह या प्रतीक नहीं रखे जाएँ जिनसे अन्य धर्मों के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचे। आयोजकों को इन्हें 12 फीट से अधिक ऊँचा नहीं रखना चाहिए। मूर्तियों के निर्माण में विषैले एवं घटिया सिंथेटिक, रासायनिक या रंगे रंगों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। पीओपी की मूर्तियों को प्राकृतिक नदियों/झीलों में विसर्जित नहीं किया जाना चाहिए और न ही उनके तटों पर पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। मूर्ति निर्माताओं द्वारा मूर्ति निर्माण स्थल और बिक्री स्थल के आसपास का क्षेत्र कूड़ा-कचरा युक्त नहीं होना चाहिए। मूर्ति निर्माताओं को बिना बिकी मूर्तियों और निर्माण के दौरान खंडित मूर्तियों को अनुपयोगी स्थिति में नहीं छोड़ना चाहिए। ये नियम उन मूर्ति निर्माताओं/व्यापारियों पर भी लागू होंगे जो नवसारी जिले के बाहर से मूर्तियाँ लाकर बेचते हैं। गणेश विसर्जन के बाद सभी पंडाल/मंडप दो दिनों से अधिक समय तक खुले नहीं रखे जाएँगे। यह अधिसूचना 01/08/2025 से 29/09/2025 तक लागू रहेगी।
इस अधिसूचना का उल्लंघन करने या उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 223 के अंतर्गत दंड का पात्र होगा।
रिपोर्टर : तारमोहम्मद मेमन
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