पेट्रोल सेक्टर से बढ़ा ली ढाई गुना आय, और प्रजा को बोल दिया टाटा बाय-बाय।

सूरत : जी हां मित्रों हमारे देश में पेट्रोल डीजल ही और गैस एक ऐसी प्रोडक्ट है की जिसको आज भी जीएसटी की सूची में शामिल नहीं किया गया। और केंद्र और राज्य सरकार है अपने मन मुताबिक उसमें टैक्स शामिल कर रहे हैं जो वेट के स्वरूप पर सरचार्ज के स्वरूप पर और उसके ऊपर जीएसटी लेकर टैक्स का कलेक्शन कर रहे हैं। अगर हम कोई भी एक राज्य का उदाहरण भी ले ले तो उसमें वेट शेष और अलग प्रकार के छुपे हुए खर्च शामिल है जिससे हमें 30 से ₹40 का पेट्रोल आज भी 90 से 100 रुपए में मिलता है। तो आईए जानते हैं इसकी सच्चाई और यह भी जानते हैं कि आपकी सरकार कैसे कर रही है देश को आपके साथ बेवफाई।
राज्य वाइज पेट्रोलियम पैदाशो से मिल रही आय।
अगर आप देखें की हर एक राज्यों में पेट्रोल और डीजल का यानी कि पेट्रोल के पदार्थ का पूरा माजरा अलग पूरा टैक्स का कलेक्शन अलग-अलग रित से हो रहा है। और सब राज्य अपनी ही चल रहा है यह नीचे दिए हुए आंकड़ों से साफ साबित हो जाएगा।
देखते हे आय के आंकड़े
तो अब जानते हैं सरकारी वेबसाइट के अनुसार कितना टैक्स पेट्रोल और डीजल से आया ।
आंध्र प्रदेश 8,777 करोड़ से लेकर 15,970.4 करोड़
अरुणाचल प्रदेश 56 करोड़ से 210.0 करोड़
असम 2,268 करोड़ से 6,057.7 करोड़
बिहार 2,885 करोड़ से 10,275.4 करोड़
चंडीगढ़ 84 करोड़ से 88.6 करोड़
छत्तीसगढ 2,645 करोड़ से 6,810.6 करोड़
दिल्ली 2,798 करोड़ से 4,619.3 करोड़
गोवा 478 करोड़ से 1,274.1 करोड़
गुजरात 15,879 करोड़ से 24,586.2 करोड़
हरयाणा 5,112 करोड़ से 10,087.4 करोड़
हिमाचल प्रदेश 234 करोड़ से 1,615.9 करोड़
जम्मू एवं कश्मीर 951 करोड़ से 1,675.1 करोड़
झारखंड 2,076 करोड़ से 5,726.0 करोड़
कर्नाटक 8,668 करोड़ से 23,427.6 करोड़
केरल 5,378 करोड़ से 12,281.2 करोड़
मध्य प्रदेश 6,832 करोड़ से 15,329.4 करोड़
महाराष्ट्र 19,795 करोड़ से 36,992.2 करोड़
मणिपुर 116 करोड़ से 270.5 करोड़
मिजोरम 58 करोड़ से 152.3 करोड़
नगालैंड 83 करोड़ से 194.1 करोड़
ओडिशा 2,865 करोड़ से 9,759.3 करोड़
पंजाब 4,179 करोड़ से 8,178.9 करोड़
राजस्थान 8,373 करोड़ से 18,873.8 करोड़
सिक्किम 74 करोड़ से 190.3 करोड़
तमिलनाडु 12,316 करोड़ से 24,861.3 करोड़
तेलंगाना 4,527 करोड़ से 15,515.8
त्रिपुरा 180 करोड़ से 523.2 करोड़
उतार प्रदेश 12,579 करोड़ से 31,214.1 करोड़
उत्तराखंड 1,157 करोड़ से 2,159.5 करोड़
पश्चिम बंगाल 5,563 करोड़ से 12,979.0 करोड़ ऐसे कुल पूरे देश का टेक्स कलेक्शन 137157.3 करोड़ से 302058.52 करोड़ तक पहुंचा।।
तो इस तरह अगर सिर्फ डायरेक्ट टेक्स को जोड़ दिया जाए तो भी 2014 15 में 137 हजार करोड़ से सिर्फ पेट्रोल प्रोडक्ट में टेक्स की आय 2024 25 में 3 लाख 2 हजार करोड़ की हो गई हे।
अब जानते हे इस प्रोडक्ट की कुल आय
और अब हम आगे जाकर जब इसी सरकारी साइट मुताबिक पूरी आय देखेंगे तो हमारी आंखे 4 हो जाएगी क्योंकि सिर्फ पेट्रोलियम कंपनियों ने ही देश को 2023 24 में 755000 करोड़ से ज्यादा आय करके दी हे जिसमें सारे पेट्रोलियम प्रोडक्ट और उसका मुनाफा जोड़ा हुआ हे जो आय 2014 - 15 में 3 लाख 32 हजार करोड़ थी।
सड़क और विकास के साथ आय का जोड़
अब जो सबसे जरूरी हे उस पॉइंट पर आए तो यह बात तय हे की भारत में पिछले कई सालों से रोड बनते ही जा रहे हे। और उनके आंकड़े भी अब नेता अपने भाषण में बोल रहे हे। लेकिन यह आंकड़े उसकी पोल खोल रहे हे।
आज कल कही नेता हाई वे और एक्सप्रेस वे को लेकर अपनी पीठ थपथपाते हे लेकिन अगर सही माइनो में देखा जाए तो पिछले 5 सालों में 10 लाख करोड़ से ज्यादा सिर्फ और सिर्फ पेट्रोल डीजल पे ही टेक्स का कलेक्शन हुआ हे। और सदके 7 लाख 84 हजार करोड़ की ही बनी हे।
इच्छा हो तो कल से ही पेट्रोल डीजल के दाम 10 से 15% गीर सकते हे।
अगर राज्य और केंद्र सरकार की इच्छा शक्ति हो तो यह दाम 24 घंटे में ही आपके राज्य में 10 से 15 % घट सकते हे। लेकिन इसमें सारी सरकार एकजुट हो कर सारा टेक्स का मार जनता पर थोप रही हे। न तो वो अपनी और से टेक्स घटा रही हे और न तो कोई राज्य को सही तरीके से उसकी पहल करने को बोल रही हे। इसमें तेरीभी चुप और मेरी भी चुप वाला घाट हो रहा हे।
टेक्स के नाम पर चल रही लुट।
साथ में इसमें हम रोड से जुड़े हुए सारे टेक्स यानी कि गाड़ियों पर लगते , उसके बीमें से आते और टोल टेक्स को जोड़ दिया जाए तो यह एक बहुत मोटा जोल हे और साफ नजर आता हे की सरकारे देश और उसके लोगो को टीक के नाम पर लूट चला रहे हे। और उसमें भी पेट्रोलियम विभाग का तो ऐसा हाल हे के हर राज्य में अपने हिसाब से टेक्स वसूली चल रही हे। साथ में कितने रोड पर उसने लोन भी ले रखी हे। पिछले कई सालों में दंड से लेकर स्टैम्प ड्यूटी 10 से 2 गुना बढ़ाई गई लेकिन पेट्रोल और डीजल के दाम वैश्विक बाजार में गिरे फिरभी उसको किसी भी प्रकार से प्रजा को राहत देने की कोशिश नहीं हो रही हे। सिर्फ और सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा हे।अब देखते हे यह आंकड़े के साथ किस देशभक्त सरकार की जमीर जागृत होते हे और वह अपने राज्य की प्रजा को थोड़ी राहत देते हे। देश की मालिक जनता को कोटि कोटि नमन करता हूं कि आपने समय में से समय निकालकर महत्वपूर्ण आलेख जो हमारे द्वारा लिखा गया इस लिए वापस लेखक प्रतिक संघवी राजकोट गुजरात का देश की मालिक जनता को कोटि कोटि नमन पसंद आए तो जनहित में राष्ट्रहित में जनजागृति के लिए आप अपने स्नेहीजनों को शेयर अवश्य करे।
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