देश को मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए अब जनता को जागरूक होना होगा, अन्यथा देर हो जाएगी

गुजरात :
शीर्षक: देश को मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए अब जनता को जागरूक होना होगा, अन्यथा देर हो जाएगी
जनता की जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। जब लोग अपने अधिकारों, कर्तव्यों और सत्य-असत्य की पहचान करने लगते हैं, तभी समाज और देश सशक्त होता है। जागरूक जनता ही भ्रष्टाचार, अन्याय और गलत नीतियों के खिलाफ खड़ी हो सकती है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर जागरूक बने, तो बड़े बदलाव स्वतः संभव हैं।
किसी भी राष्ट्र की उन्नति और भलाई केवल सरकार या प्रशासन पर निर्भर नहीं होती, बल्कि उसमें जनता की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण होती है। जब जनता जागरूक होती है, तभी समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव होते हैं। जनता की जागरूकता का अर्थ है—अपने अधिकारों और कर्तव्यों की समझ, सत्य-असत्य की पहचान, और सामाजिक व राष्ट्रीय मुद्दों पर सजग रहना। यदि लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, भ्रष्टाचार, चुनाव और नीतियों से जुड़े विषयों पर जागरूक रहेंगे, तो न केवल वे स्वयं सशक्त होंगे, बल्कि पूरे देश के विकास में योगदान देंगे।
आज के समय में जागरूक नागरिक ही गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। यही जनता लोकतंत्र की असली ताकत है। एक जागरूक समाज में न तो अंधविश्वास पनपता है, न ही अन्याय लंबे समय तक टिक पाता है। देश की भलाई के लिए जरूरी है कि जनता सही और गलत में अंतर करे, अपने अधिकारों का प्रयोग करे, कर्तव्यों का पालन करे, और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण करे।
*उदाहरण:* हाल ही में एक छोटे से गाँव में, ग्रामीणों ने जागरूकता के बल पर अपने क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने प्रशासन को सूचित किया, सामूहिक याचिका दायर की, और स्थानीय मीडिया के माध्यम से मुद्दे को उजागर किया। उनकी जागरूकता और एकजुटता के कारण अवैध खनन रुक गया, और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा जा सका। यह उदाहरण दर्शाता है कि जागरूक जनता छोटे स्तर पर भी बड़े बदलाव ला सकती है।
देश की मालिक जनता को नेताओं, राजनेताओं, राजनीतिक दलों और पदाधिकारियों की झूठी जुमलेबाजी से बचना चाहिए। इतने वर्षों में वास्तविक हकीकत को देखकर और समझकर भी जनता जागरूक नहीं हो रही, यह अत्यंत दुखद है। लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च होती है, इसलिए जनता को चाहिए कि इतने वर्षों की मनमानी पर अंकुश लगाए। विशेष रूप से देश की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करे। देश की मालिक जनता का आत्मचिंतन अत्यंत आवश्यक है। विचार करें कि अब तक कब और कहाँ धोखा नहीं खाया? किसने आपको धोखा दिया? इस पर अवश्य चिंतन करें।
अपनी भूल स्वीकार करते हुए जनता को चाहिए कि भूतकाल की गलतियों को दोहराए नहीं और सावधानी से कदम बढ़ाए। इसके लिए एक सर्वश्रेष्ठ जागरूक नागरिक बनें, समझदार बनें। समझदारी से ही गलतियाँ दोबारा नहीं होंगी। अपने साथ परिवार, परिवार के साथ राज्य, और राज्य के साथ हमारा प्यारा भारत देश, जो कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, फिर से वही गौरव प्राप्त कर सकता है, यदि जनता जागरूक होगी।
आज के समय में देश की सभी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएँ चौपट हो गई हैं। अधिकांश डुप्लिकेट सामानों का व्यापार देश में हो रहा है। सभी क्षेत्रों और विभागों को गंदा व्यापार और गंदा धंधा बना दिया गया है। यह समस्या केवल व्यापार तक सीमित नहीं है। नेता, राजनेता, राजनीतिक दल और उनके पदाधिकारी, यहाँ तक कि अधिकांश धर्मगुरु भी झूठे और डुप्लिकेट हो गए हैं। अधिकांश धर्मगुरु धन-दौलत के भूखे हैं; उन्हें सही-गलत से कोई सरोकार नहीं, केवल धन से मतलब है।
ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकांश धर्मगुरु भी डुप्लिकेट हो गए हैं, जो विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर हमारे देश की सर्वश्रेष्ठ सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था को बर्बाद कर रहे हैं। ये धर्मगुरु, नेता, राजनेता, राजनीतिक दल, उनके पदाधिकारी और बड़े-बड़े उद्योगपति व व्यापारी एक-दूसरे के दलाल बन चुके हैं। इनका एकमात्र मंत्र है—अपना खजाना भरना, चाहे तरीका गलत ही क्यों न हो। ये अपनी तिजोरियाँ देश के साथ-साथ विदेशों में भी भर रहे हैं। मौज-मस्ती और शौक पूरे करने में देश के धन की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। इन्हें पता है कि देश की जनता इनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
देश की मालिक जनता का जैसा शोषण हो सकता है, वैसा हो रहा है। यदि अब भी जनता नहीं जागी, तो यह देश का दुर्भाग्य होगा। क्योंकि नेता से लेकर पदाधिकारी तक यही कहते हैं, “अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।”
अंततः कहा जा सकता है कि जागरूक जनता ही सशक्त राष्ट्र की नींव है। जब प्रत्येक नागरिक सजग होगा, तभी देश सही मायनों में प्रगति की राह पर अग्रसर होगा।
लेखक : चंद्रकांत सी. पूजारी
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