आज मनाई जाएगी लोहड़ी , जानिए लोहड़ी के दिन इसे जुड़े हर महत्व का तथ्य

 सुंदर मुंदरिये ! …………

हो तेरा कौन बेचारा, हो दुल्ला भट्टी वाला,

हो दुल्ले घी व्याही, हो सेर शक्कर आई,

हो कुड़ी दे बाझे पाई, हो कुड़ी दा लाल पटारा, हो

लोहड़ी का पर्व आज धूमधाम से मनाया जाएगा .ये साल का सबसे पहला बड़ा पर्व भी होता हैं. औऱ ये मकर संक्राति के एक दिन पहले मनाया जाता हैं .इस पर्व को पंजाब और हरियाणा में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता हैं. लोहड़ी  के पर्व को  किसानों के लिए नया साल भी माना जाता हैं . लोहड़ी का त्योहार भारत के उत्तरी हिस्सों में भी बहुत महत्व रखता है. मकर संक्रांति से एक दिन पहले पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है. यह त्योहार ज्यादातर सिख धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है. हर साल त्योहार को पूरे समुदाय के साथ आनंद लेकर बड़े पैमाने पर मनाया जा जाता है. हालांकि इस साल लोगों को कोरोना वायरस के प्रसार को ध्यान में रखते हुए यह सलाह दी जाती है कि लोग इसे अपने परिवार और करीबी लोगों के साथ मनाएं और बड़े समारोहों से बचें. इस त्योहार पर, लोग ढोल की थाप पर नाचते हैं. इसके अलावा स्नैक्स और लजीज भोजन का आनंद लेते हैं. फसल से जुडा उत्सव होने से गजक, गुड़, मूंगफली और पॉपकॉर्न को भी आग में भी डाला जाता है.ये कहा जाता है कि लोहड़ी मौसम का आखिरी ठंडा दिन होता है और उसके बाद, दिन बड़े और गर्म हो जाते हैं. इसके अलावा ये वसंत के मौसम का स्वागत करना शुरू कर देता है.

जानिए क्या है लोहड़ी की कहानी-

आपको बता दें कि लोहड़ी के त्योहार पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है. दुल्ला भट्टी मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के वक्त पर पंजाब में रहता था. मध्य पूर्व के गुलाम बाजार में हिंदू लड़कियों को जबरन बेचने के लिए ले जाने से बचाने के लिए उन्हें आज भी पंजाब में एक नायक के रूप में माना और याद किया जाता है. कहानी में बताया गया है कि उन्होंने जिनको बचाया था उनमें दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी थीं, जो बाद में धीरे-धीरे पंजाब की लोककथाओं का विषय बन गईं थीं.

लोहड़ी शब्द का अर्थ-

बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि लोहड़ी शब्दतिलोहड़ीसे बना है. इसमें तिल का मतलब तिल और रोड़ी का मतलब गुड़ होता है. ऐसी मान्यता है कि ये दोनों खाद्य पदार्थ नए साल के लिए नई ऊर्जा लाते हैं, और शरीर को शुद्ध करने में मदद करते हैं. इसलिए प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए गुड़, गजक, तिल की चिक्की जैसे खाद्य पदार्थ अग्नि में अर्पित किए जाते हैं.

अलाव का महत्व-

मान्यता है कि इस दिन अग्नि देवता को खाद्य पदार्थ चढ़ाने से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और समृद्धि आती है. यहां, अलाव अग्नि देव का प्रतीक माना गया है. ईश्वर को भोजन अर्पित करने के बाद, सभी लोग अग्नि देव से समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद लेते हैं.

अलाव की परिक्रमा-

माना जाता है कि लोहड़ी पर अगर कोई आग के चारों तरफ परिक्रमा देता है, तो उसे समृद्धि मिलती है. पंजाब में यह त्योहार नई दुल्हनों के लिए विशेष महत्व रखता है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अलाव की परिक्रमा करने से उनकी प्रार्थनाओं और चिंताओं का तत्काल जवाब मिलेगा और जीवन सकारात्मकता से भर जाएगा.

फसल का त्योहार-

लोहड़ी पंजाबी किसानों के लिए नया साल है. इस दिन, किसान कटाई शुरू होने से पहले प्रार्थना करते हैं और अपनी फसलों के लिए आभार प्रकट करते हैं. साथ ही अग्नि देव से उनकी भूमि को उपजाऊ बनाने की प्रार्थना करते हैं. परिक्रमा करते वक्तआदर दिलतेर जाएका जाप करते हैं, जिसका अर्थ होता हैसम्मान आए और गरीबी दूर हो जाए”.

  

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