हरयाली तीज में क्यों करते हैं खीरे की पूजा , जाने इसके पीछे की वजह...

आज यानि 7 अगस्त को महिलाए हरयाली तीज का पर्व बड़े ही धूमधाम से मना रही हैं. महिलाए ये पर्व अपने पति की दीर्घायु की कामना और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं. वैसे तो साल भर में तीन प्रकार की तीज होती हैं, जिसमें हरियाली तीज सबसे पहले पड़ता है.बता दें की हरयाली तीज का पर्व सावन महीने के की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती हैं. आज के दिन सुहागिन महिलाए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं. पूजा करने के लिए बहुत सारी सामग्री शामिल होती हैं उसी में से एक सामग्री हैं खीरा. जी हाँ ऐसा कहा जाता हैं की अगर हरयाली तीज में खीरे की पूजा नहीं होती हैं तो पूजा अधूरी मानी जाति हैं. तो चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता हैं...
क्यों करते हैं खीरे की पूजा...
शास्त्र में कहा गया हैं की खीरे का संबंध चंद्रमा से होता हैं. उनका संबंध चंद्र ग्रह से होता है. हरियाली तीज में शिव शक्ति के साथ ही चंद्रमा पूजन का भी महत्व है. इसलिए पूजा के दौरान खीरा रखना अनिवार्य माना जाता है. और ऐसा भी कहा जाता हैं की भगवान शिव को चंद्रमा अधिक प्रिय हैं. इस भगवान शिव ने अपने माथे पर सुशोभित किया है. चंद्रमा से खीरे का संबंध है और चंद्र का शिव से. इसलिए हरियाली तीज की पूजा में खीरा को चंद्रमा का प्रतीक मानकर पूजा जाता है, जिससे कि चंद्रमा के शुभ फल से मन के विकार दूर हों, शुभता प्राप्त हो और व्रत में किसी तरह का दोष न रहे.
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