हजारीबाग सदर विधायक प्रदीप प्रसाद का बड़ा फैसला संजीवनी सेवा कुटीर तीन दिनों में हटाया जाएगा प्रशासनिक एवं राज्य सरकार के दबाव को देखते हुए लिया गया निर्णय

हजारीबाग : सदर विधायक प्रदीप प्रसाद ने मंगलवार को उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह को एक संवेदनशील और गंभीर पत्र लिखते हुए कहा है कि जनहित एवं जनभावना को ध्यान में रखते हुए दिनांक 04 जनवरी 25 को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज, हजारीबाग परिसर में संजीवनी सेवा कुटीर की स्थापना की गई थी। यह कोई व्यक्तिगत या राजनैतिक प्रतिष्ठान नहीं था, बल्कि एक पूर्णतः सामाजिक सेवा केंद्र था जिसका उद्देश्य था अस्पताल परिसर में मौजूद अव्यवस्था, चिकित्सकीय सहायता की कमी, और गरीब व असहाय मरीजों की उपेक्षा को देखते हुए एक मानवतावादी सहयोग केंद्र प्रदान करना। इस सेवा कुटीर की स्थापना हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल, चतरा सांसद कालीचरण सिंह,बरही विधायक मनोज कुमार यादव, बड़कागांव विधायक रौशनलाल चौधरी,बरकट्ठा विधायक अमित यादव,मांडू विधायक तिवारी महतो, चतरा विधायक जनार्दन पासवान,बगोदर विधायक नागेंद्र महतो और सिमरिया विधायक उज्जवल दास के साथ शहर के गणमान्य लोगों एवं प्रशासनिक अधिकारियों एवं आम जनता की गरिमामयी उपस्थिति में विधिवत रूप से जनता को समर्पित की गई थी इस सेवा कुटीर को सेवा कुटीर में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मरीज और उनके परिजन सहायता प्राप्त करते थे। यहां 24 घंटे समर्पित कर्मचारी सेवा में लगे रहते थे जो मरीजों को भोजन, पेयजल, प्राथमिक चिकित्सा सहायता, मार्गदर्शन एवं दवाओं की उपलब्धता की दिशा में नि:शुल्क सहायता प्रदान करते थे। विधायक ने पत्र में गहरी पीड़ा प्रकट करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक पवित्र सेवा भावना को राजनीतिक रंग देकर विवाद का विषय बना दिया गया। 10 मई 2025 को सदर अंचलाधिकारी, हजारीबाग द्वारा अतिक्रमण वाद संख्या 02/2025-26 के अंतर्गत उन्हें अतिक्रमणकर्ता घोषित करते हुए नोटिस जारी किया गया। यह न केवल सेवा कुटीर की गरिमा का अपमान है, बल्कि उन सैकड़ों जरूरतमंदों की भावना को भी ठेस पहुँचाता है, जो प्रतिदिन इस सेवा कुटीर पर अपनी उम्मीद टिकाए रहते थे। विधायक प्रदीप प्रसाद ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी मंशा कभी भी किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि या स्वार्थ साधने की नहीं रही है। उन्होंने सदैव समाज, विशेषकर वंचित, गरीब और पीड़ित वर्ग के कल्याण को ही सर्वोपरि प्राथमिकता दी है। उनका कहना है कि उन्होंने इस सेवा कुटीर के माध्यम से न तो कोई लाभ प्राप्त किया और न ही इसका किसी भी राजनीतिक उद्देश्य से उपयोग किया। उन्होंने बताया कि इस समस्त घटनाक्रम से वह व्यक्तिगत रूप से अत्यंत आहत हैं, क्योंकि सेवा को लेकर उठाए गए इस सराहनीय प्रयास को तुच्छ विवाद में घसीटा गया। तथापि, स्थिति की गंभीरता और प्रशासनिक दृष्टिकोण का सम्मान करते हुए उन्होंने यह निर्णय लिया है कि वे स्वेच्छा से तीन दिनों के भीतर संजीवनी सेवा कुटीर को हटा लेंगे, ताकि कोई और विवाद उत्पन्न न हो। यदि जिला प्रशासन चाहे, तो वह स्वयं भी इसे हटा सकता है उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। विधायक ने कहा कि सेवा कुटीर में कार्यरत समर्पित कर्मचारियों के चेहरे पर गहरी निराशा देखी जा सकती है, क्योंकि वे दिन-रात बीमारों की सेवा में जुटे रहते थे। यह कुटीर सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों की सेवा, सहायता और सहारा का प्रतीक बन चुका था। इसे हटाया जाना एक गहरे सामाजिक शून्य को जन्म देगा। पत्र के माध्यम से विधायक प्रदीप प्रसाद ने जिला प्रशासन से यह भी अनुरोध किया है कि अस्पताल परिसर में स्थायी रूप से एक हेल्प डेस्क की स्थापना अविलंब की जाए, जहाँ मरीजों को नि:शुल्क सहायता, मार्गदर्शन, पेयजल, स्ट्रेचर सुविधा, प्राथमिक जानकारी, औषधि केंद्र की जानकारी आदि उपलब्ध कराई जा सके। जिससे कि भविष्य में कोई भी गरीब, बेसहारा, दूर-दराज से आने वाला मरीज इलाज या व्यवस्था के अभाव में परेशान न हो। उन्होंने कहा कि सेवा भावना को विवाद का विषय बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है, और जिला प्रशासन को चाहिए कि वह जनभावना का सम्मान करते हुए मरीजों की सुविधा और जरूरतों के अनुरूप स्थायी समाधान निकाले।
रिपोर्टर : निशांत
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