पत्रकार पर हमला और बरियातू प्रोजेक्ट में भारी अनियमितताएं: सच्चाई उजागर करने पर दबंगों का कहर
हजारीबाग : जिले के केरेडारी प्रखंड अंतर्गत में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल, हजारीबाग द्वारा बरियातू पंचायत में चल रहे निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार उजागर करने की कोशिश अब जानलेवा खतरे में बदलती दिख रही है। सुनील कुमार ठाकुर, जो अनियमितताओं की पड़ताल कर रहे थे, पर दबंगों ने हमला कर उन्हें जान से मारने की धमकी दी। जानकारी के अनुसार, हजारीबाग जाने के क्रम में पथलवा घाट क्षेत्र में कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें रोका, जंगल की ओर ले जाकर लगभग एक घंटे तक बंधक बनाए रखा और चेतावनी दी कि यदि सच्चाई मीडिया में दिखाई बरियातू प्रोजेक्ट को तो अंजाम भुगतना पड़ेगा। हमलावरों ने पहचान छिपाने के लिए नकाब और मास्क पहन रखे थे और धमकी देने के बाद जंगल की ओर फरार हो गए। इसे साफ नजर आ रही है कि संवेदक प्रदीप कुमार मेहता ने एक कार्य कराया है
यह घटना बताती है कि क्षेत्र में भ्रष्टाचारियों और कुछ ठेकेदारों का मनोबल किस हद तक बढ़ चुका है कि अब वे पत्रकारों को डराने-धमकाने से भी नहीं हिचक रहे। पत्रकार समुदाय और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश केरेडारी थाने में आवेदन भी दिया पर अब तक कोई केस दर्ज नहीं किया गया थानेदार की तरफ से प्रशासन की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं और दोषियों की शीघ्र गिरफ्तारी व पत्रकार सुरक्षा की मांग तेज हो गई है। स्कूटी इंजीनियर अमरेंद्र कुमार और AE भुवन दास स्थल की जांच किए पर इसी बीच बरियातू प्रोजेक्ट एक बार फिर विवादों में है। जांच के दौरान गंभीर खामियां और प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई। मौके पर अमरेंद्र कुमार, भुवन दास तथा सी न्यूज़ भारत के संवाददाता सुनील कुमार ठाकुर पहुंचे। ग्रामीणों ने योजनाओं में मौजूद कई कमियों को प्रत्यक्ष रूप से दिखाया, जो भ्रष्टाचार की ओर साफ इशारा करती हैं। जांच में पाया गया कि सड़क के पीसीसी हिस्सों में जगह-जगह दरारें हैं। गढ़वाल (बाउंड्री) की हालत और भी खराब है—कई स्थानों पर दरारें और टूट-फूट दिखी। पुलिया निर्माण अधूरा और कमजोर पाया गया। घटिया पत्थरों से पुलिया का न्यूज़ दिया गया गढ़वाल की नींव 1.5 से 2 फीट तक ही पाया गया सबसे बड़ा सवाल तब खड़ा हुआ जब जांच के लिए AE भुवन दास स्कूटी इंजीनियर अमरेंद्र कुमार, संवेदक प्रदीप कुमार को अपने साथ लेकर स्थल पर पहुंचीं। इससे निष्पक्ष जांच पर गंभीर संदेह पैदा हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि हर खामी बताने पर केवल “सुधर जाएगा” कहकर बात टाल दी गई। योजना की कुल लागत लगभग ₹1 करोड़ 68 लाख बताई जा रही है, लेकिन गुणवत्ता बेहद घटिया है। गढ़वाल में बाहर से मसाला पोत दिया गया है, अंदर से हिस्सा खोखला है। नींव की गहराई मानकों से कम और सीमेंट की जगह बालू अधिक होने की शिकायतें भी सामने आईं। अब सवाल साफ है—क्या इतनी बड़ी योजना मिलीभगत से चलाई जा रही है? और क्या दोषी अधिकारियों व संवेदक पर ठोस कार्रवाई होगी, या मामला फिर “सुधर जाएगा” कहकर दबा दिया जाएगा? जनता की मांग है कि दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाए और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
रिपोर्टर : सुनील कुमार ठाकुर

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