प्रेगनेंसी प्लान कर रहे हैं? डाउन सिंड्रोम की जांच के लिए कराएं ये टेस्ट

प्रेगनेंसी से पहले कुछ खास टेस्ट करवा लेने से डाउन सिंड्रोम और दूसरी जीन संबंधी बीमारियों का पता लगाना आसान हो जाता है। इससे मां-बाप दोनों को भविष्य में बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है।

प्रेगनेंसी से पहले कराए जाने वाले मुख्य टेस्ट:

जननुगत परामर्श (Genetic Counseling):

इससे परिवार के मेडिकल हिस्ट्री को समझा जाता है और रिस्क का अंदाजा लगाया जाता है।

रिस्क फ्री स्क्रीनिंग टेस्ट (Carrier Screening):

यह जांचता है कि क्या माता-पिता दोनों या किसी एक में डाउन सिंड्रोम या अन्य जेनेटिक डिसऑर्डर का कैरियर तो नहीं है।

ब्लड टेस्ट (Blood Test):

एएफपी (Alpha-fetoprotein) टेस्ट

एचसीजी (hCG) टेस्ट

ये टेस्ट गर्भ में भ्रूण के कुछ जननुगत विकारों का अनुमान लगाने में मदद करते हैं।

फैमिली हिस्ट्री चेक:

परिवार में कोई पहले से डाउन सिंड्रोम या अन्य क्रोमोसोमल डिजॉर्डर हो, तो डॉक्टर को सूचित करें।

एंजियोमासिटी टेस्ट (NIPT - Non-Invasive Prenatal Testing):
प्रेगनेंसी के दौरान या उससे पहले भी NIPT से डाउन सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।

क्यों जरूरी है ये टेस्ट?

डाउन सिंड्रोम एक क्रोमोसोमल विकार है जिसमें बच्चे के पास 21वें क्रोमोसोम की तीन कॉपियाँ होती हैं।

कुछ परिवारों में इसका खतरा ज्यादा होता है।

टेस्ट से पता चलने पर उचित मेडिकल सलाह और निर्णय लिए जा सकते हैं।

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