गर्दन दर्द को न करें नजरअंदाज: जानिए सर्वाइकल की पूरी जानकारी

आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में लगातार कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटॉप पर झुके रहने से गर्दन और कंधों में दर्द की शिकायत तेजी से बढ़ रही है। इसे आम भाषा में सर्वाइकल दर्द या सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि ये दर्द केवल उम्र बढ़ने की वजह से नहीं होता? कई बार छोटी-छोटी आदतें भी इस दर्द की बड़ी वजह बन सकती हैं। आइए जानते हैं डॉक्टरों की राय में इसके कारण, लक्षण और इलाज क्या हैं।
सर्वाइकल दर्द क्या है?
सर्वाइकल दर्द, गर्दन के ऊपरी हिस्से में होने वाला दर्द होता है जो कई बार कंधे, हाथ और यहां तक कि सिर तक भी फैल सकता है। यह समस्या अक्सर गर्दन के जोड़ (vertebrae) और डिस्क में घिसावट या तनाव की वजह से होती है।
मुख्य कारण क्या हैं?
1. गलत बैठने या सोने की आदतें
लंबे समय तक झुककर मोबाइल देखना या कुर्सी पर सही पोश्चर में न बैठना गर्दन की मांसपेशियों पर दबाव डालता है।
2. लंबे समय तक एक ही पोजीशन में काम करना
ऑफिस में 8–10 घंटे लगातार लैपटॉप पर काम करना सर्वाइकल की शुरुआत का कारण बन सकता है।
3. उम्र का असर
40 की उम्र के बाद रीढ़ की हड्डियों और डिस्क में बदलाव सामान्य है, जो सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का रूप ले सकते हैं।
4. चोट या अकस्मात मोच
कभी-कभी अचानक झटका लगने से भी गर्दन में सूजन या दर्द हो सकता है।
लक्षण क्या हो सकते हैं?
डॉक्टरों के अनुसार, निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
गर्दन में लगातार या तीव्र दर्द
सिरदर्द, खासकर गर्दन से शुरू होकर सिर की ओर जाना
कंधों और बाजू में झनझनाहट या सुन्नपन
गर्दन घुमाने में कठिनाई या अकड़न
चक्कर आना या बैलेंस बिगड़ना (कभी-कभी)
नींद में बाधा, थकान और तनाव
इलाज और घरेलू उपाय क्या हैं?
डॉक्टरी इलाज
एक्स-रे या MRI से जाँच
फिजियोथेरेपी
दर्द निवारक दवाएं
गर्दन के लिए सपोर्टिंग कॉलर (सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर)
घरेलू उपाय
गर्म पानी की सिकाई
हल्के स्ट्रेचिंग व्यायाम
मोबाइल का सीमित उपयोग
सही तकिया और गद्दे का उपयोग
योग और ध्यान
कैसे करें बचाव?
हर 30-40 मिनट में काम के बीच ब्रेक लें
स्क्रीन को आंखों के स्तर पर रखें
झुककर मोबाइल देखने से बचें
गर्दन और पीठ की एक्सरसाइज को दिनचर्या में शामिल करें
रात को सोते समय गर्दन को सही स्थिति में रखें
सर्वाइकल दर्द आज की सबसे सामान्य लेकिन नजरअंदाज की जाने वाली समस्याओं में से एक है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए, तो यह पुरानी और जटिल समस्या बन सकती है। जरूरी है कि हम अपने शरीर के संकेतों को समझें और समय रहते जरूरी कदम उठाएं।
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