दशहरे के बाद बदलता मौसम: सेहत का रखें खास ध्यान

दशहरे के बाद का समय भारत में मौसम के बदलाव की शुरुआत माना जाता है। बरसात की नमी धीरे-धीरे ठंड में बदलने लगती है, दिन गर्म और रातें ठंडी होने लगती हैं। ऐसे में शरीर को अनुकूल होने में समय लगता है और इस दौरान सर्दी-जुकाम, वायरल संक्रमण, त्वचा संबंधी समस्याएं, पाचन संबंधी दिक्कतें और एलर्जी जैसी परेशानियाँ आम हो जाती हैं।चलिए बताते हैं कि बदलते मौसम में अपनी सेहत को कैसे बनाए रखें, और किन सावधानियों से आप खुद को स्वस्थ और ऊर्जावान रख सकते हैं।
1. खानपान में लाएं बदलाव
मौसमी फल और सब्ज़ियाँ खाएं:
बदलते मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए विटामिन C युक्त फल जैसे अमरूद, संतरा, आंवला और हरी पत्तेदार सब्जियाँ ज़रूर शामिल करें।
गर्म और सुपाच्य भोजन करें:
ठंड बढ़ने के साथ-साथ पाचन शक्ति थोड़ी धीमी हो जाती है। ऐसे में ताज़ा पका हुआ, हल्का और गर्म भोजन करना फायदेमंद होता है। ठंडा, बासी या तैलीय खाना पाचन को प्रभावित कर सकता है।
हर्बल ड्रिंक्स लें:
अदरक-तुलसी की चाय, हल्दी वाला दूध, या गर्म पानी में शहद-नींबू का मिश्रण लेना गले और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए फायदेमंद है।
2. कपड़ों में करें समझदारी से बदलाव
दशहरे के समय दिन में तापमान सामान्य लगता है, लेकिन सुबह और शाम में ठंडक बढ़ जाती है। ऐसे में:
सुबह-शाम हल्के गर्म कपड़े पहनें।
अचानक तापमान में बदलाव से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह ढकें।
पसीने वाले कपड़े न पहनें, इससे ठंड लग सकती है।
3. सफाई और हाइजीन का रखें विशेष ध्यान
बदलते मौसम में हवा में नमी और बैक्टीरिया की सक्रियता बढ़ जाती है।
हाथ धोने की आदत बनाए रखें, खासकर खाने से पहले।
नाक-मुंह को ढककर बाहर निकलें, खासतौर पर धूल-धुएँ वाले इलाकों में।
नहाने के बाद बाल और शरीर को अच्छे से सुखाना न भूलें।
4. पानी और हाइड्रेशन को न करें नजरअंदाज़
ठंड के चलते लोग पानी पीना कम कर देते हैं, जिससे शरीर में डिहाइड्रेशन और पाचन समस्याएं हो सकती हैं।
दिन में कम से कम 7–8 गिलास गुनगुना पानी पिएं।
चाहें तो सूप, नारियल पानी या हर्बल काढ़ा लें।
5. नियमित व्यायाम और योग को बनाए रखें
मौसम बदलते ही शरीर आलस्य की ओर झुकने लगता है। ऐसे में सुबह की हल्की धूप में टहलना, प्राणायाम और योग करना जरूरी है।
योग से शरीर लचीला और मानसिक रूप से शांत रहता है।
अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी जैसे प्राणायाम फेफड़ों और सर्दी-जुकाम से लड़ने में मदद करते हैं।
6. बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखें
बदलते मौसम का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है। उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है।
उन्हें पूरी तरह ढक कर रखें, खासकर सिर और पैर।
उन्हें बाहर की ठंडी चीज़ें या आइसक्रीम खाने से रोकें।
बच्चों को स्कूल भेजते समय हल्का गर्म पानी जरूर पिलाएं।
7. नींद पूरी लें और तनाव से बचें
बदलते मौसम में शरीर की कार्यक्षमता थोड़ी कमजोर हो जाती है। ऐसे में:
रोज़ाना कम से कम 7–8 घंटे की नींद लें।
देर रात तक जागना या अनियमित दिनचर्या से बचें।
गुनगुना पानी पीकर सोने की आदत बनाएं।
दशहरे के बाद मौसम का यह संक्रमण काल हमारी सेहत की परीक्षा लेता है। यदि समय रहते सही सावधानियां अपनाई जाएँ, तो न केवल बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि यह मौसम शरीर को शुद्ध करने और ऊर्जा से भरने का भी काम करता है...प्राकृतिक खानपान, नियमित दिनचर्या और सावधानी भरा व्यवहार इस मौसम को आनंददायक और स्वस्थ बना सकता है। याद रखें — बदलाव मौसम का स्वभाव है, लेकिन सतर्कता हमारा कर्तव्य है।
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