एक ऐसी जनजाति जहां के पुरुष अपनी पत्नियों को देते दूसरे मर्दों से संबंध बनाने की अनुमति

आपको बता दें कि नामीबिया के रेगिस्तानी इलाकों में रहने वाली हिम्बा जनजाति अपनी अनोखी परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए जानी जाती हैं. .हिम्बा जनजाति की जीवनशैली और संस्कृति न केवल आकर्षक हैं, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि दुनिया में अभी भी कई ऐसी संस्कृतियां और समाज हैं जो अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.यह जनजाति आज भी अपने पूर्वजों के बनाए नियमों का पालन करती हैं, जो आधुनिक समाज से बिल्कुल अलग हैं. जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.

हिम्बा जनजाति की विशेषताएं:

हिम्बा जनजाति की परंपराएं कुछ ऐसी हैं जिसे सुन कर आप हैरान हो जाएंगे . आपको बता दें कि हिम्बा जनजाति में मर्द अपनी पत्नियों को अनजान पुरुषों के साथ संबंध बनाने की अनुमति देता हैं. साथ ही यह समाज विवाहेतर संबंधों को स्वीकृति देता हैं. वही इस हिम्बा जनजाति में लोग अपनी पत्नियों की अदला-बदली करते हैं. इस हिम्बा जनजाति की महिलाओं को पूरी स्वतंत्रता हैं , कि वो  किसी भी व्यक्ति के साथ संबंध बना सकती हैं.वही हिम्बा जनजाति के पुरुषों के एक से अधिक पत्नियां रखना आम बात हैं. और महिलाओं को तलाक लेना और देना आसान बात हैं.

हिम्बा जनजाति के बारे में रोचक तथ्य:
आपको बता दें कि हिम्बा जनजाति की आबादी लगभग 50,000 हैं.हिम्बा जनजाति के लोग अपनी पत्नियों को अनजान पुरुषों के साथ संबंध बनाने की अनुमति देते हैं.वहीं हिम्बा जनजाति में महिलाओं को तलाक लेना आसान हैं.साथ ही वहा के हिम्बा जनजाति में पुरुषों के लिए एक से अधिक पत्नियां रखना आम बात हैं. हिम्बा जनजाति के लोग अपने पारंपरिक कपड़ों में रहते हैं.नामीबिया में रहने वाले करीब 20-50 हजार हिंबा जनजाति के लोग जिस तरह से अपनी परम्पराओं जुड़े हुए हैं वो सोचने में अजीब और काल्पनिक लगता हैं पर यह एक बड़ी सच्चाई हैं और सबसे बड़ी बात ये हैं कि इस हिम्बा जनजाति की महिलाओं को अफ्रीका में सबसे खूबसूरत माना जाता हैं. खास बात यह हैं कि इस जनजाति की महिलाएं जिंदगी में सिर्फ एक बार नहाती हैं, वह भी सिर्फ तब जब उनकी शादी होती हैं और पूरी जिन्दगी ये महिलाएं अपना आधा ही शरीर ढकती हैं .

हिम्बा जनजाति की चुनौतियां:
वही हिंबा जनजाति के लोग खानाबदोश लोग हैं वे रेगिस्तान की कठोर जलवायु में रहने के आदि होते हैं, और बाहरी समुदायों और दुनिया से अपने आप को अलग रखते हैं. ये सुबह, दोपहर, शाम ज्यादातर दलिया खाते हैं जो मक्के या बाजरे के आटे के बना होता हैं. ये लोग बाजरे को महांगू कहते हैं. जो नामीबिया में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं वहीं शादी समारोह या किसी खास मौकों पर ये लोग मीट खाना पसंद करते हैं. अफ्रीका के अन्य आदिवासी समाज की तरह हिंबा के लोग भी गाय पर निर्भर हैं. यहां तक कि अगर समूह में किसी के पास गाय नहीं है, तो उसे सम्मान की नजरों से नहीं देखा जाता हैं . वे मवेशी पालते हैं, जिनमें गायों के साथ साथ बकरी और भेड़ भी होते हैं. गायों का दूध निकालने की जिम्मेदारी महिलाओं पर होती हैं . हिम्बा जनजाति को कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है.जैसे वहां के लोगो में  शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते रहना.हिम्बा जनजाति की कहानी हमें यह याद दिलाती हैं कि दुनिया में अभी भी कई ऐसी संस्कृतियां और समाज हैं जो अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यह हमें यह भी सिखाती है कि संस्कृति और परंपरा की महत्ता को समझना और उनका सम्मान करना आवश्यक हैं. 

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