क्या है हिंदु धर्म में पक्ष का महत्व

हिंदु धर्म में तिथियों का विशेष महत्व होता है . हिंदु धर्म का हर कार्य तिथियों के अनुकूल मनाया जाता है , इसलिए हम सबके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि कौन सी तिथी का क्या महत्व है ,आज हम जानेंगे शुक्ल पक्ष के बारें में जिसका का एक आध्यातम से जुडा विशेष महत्व है , बता दें कि महिने मे तीस दिन होते है और इन तीस दिनों में दो पक्ष होते है जिन्हे 15 15 दिन में बांटा गये है , एक होता है शुक्ल पक्ष और एक होता है कृष्ण पक्ष तो चलिए बताते है क्या होता है शुक्ल पक्ष ..
क्या होता है शुक्ल पक्ष
अमावस्या के बाद के 15 दिन को शुक्ल पक्ष कहा जाता है , अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ने लगता है , और आकाश में प्रकाश होने लगता है ,पूर्णिमा के दिन चांद बहुत बड़ा और रोशनी से भरा हुआ होता है, इस समय में चंद्रमा अपने पूरे आकार में रहता है, इसलिए कोई भी शुभ काम करने के लिए इस पक्ष को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. दरसल जब दक्ष प्रजापति के शाप के चलते क्षय रोग से चंद्रमा का तेज कम होने लगा और उनका अंत करीब आने लगा. तब चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की और शिवजी चंद्रमा की आराधना से प्रसन्न होकर चंद्रमा को अपनी जटा में धारण कर लिया था. शिवजी के प्रताप से चंद्रमा का तेज फिर से लौटने लगा और उन्हें जीवनदान मिला. लेकिन दक्ष के शाप को रोका नहीं जा सकता था ऐसे में शाप में बदलाव करते हुए चंद्रमा को हर 15-15 दिनों में कृष्ण और शुक्ल पक्ष में जाना पड़ता है. और ऐसे शुल्ल पक्ष की शुरुआत हुई.
क्या होता है कृष्ण पक्ष
कृष्ण पक्ष का नाम भले ही भगवान नारायण के अवतार से जुड़ा हुआ हो लेकिन ये पक्ष हिंदु पंचाग में अशुभ मान जाता है .मान्यता है कि जब भी कृष्ण पक्ष होता है तो उस दौरान कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता है .क्योंकि इस समय चंद्रमा की घटती हुई कलाएं होती है. पूर्णिमा के बाद जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता है वैसे वैसे चंद्रमा घटता जाता है. और उसका प्रकाश कमजोर होने लगता है . और जब चंद्रमा के आकार और प्रकाश में कमी आती है तो रातें अंधेरी होने लगती है, इस कारण कृष्ण पक्ष को अशुभ माना जाता है
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